याचिकाओं पर हुई सुनवाई : केंद्र सरकार की 'नोटबंदी (demonetisation)' के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया, 5 जजों की बेंच ने सुनाया फैसला - Mukhyadhara

याचिकाओं पर हुई सुनवाई : केंद्र सरकार की ‘नोटबंदी (demonetisation)’ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया, 5 जजों की बेंच ने सुनाया फैसला

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याचिकाओं पर हुई सुनवाई : केंद्र सरकार की ‘नोटबंदी (demonetisation)’ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट  ने सही ठहराया, 5 जजों की बेंच ने सुनाया फैसला

मुख्यधारा डेस्क

छह साल बाद देश की शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार के नोटबंदी फैसले को सही बताते हुए मुहर लगा दी है। ‌ बता दें कि केंद्र सरकार के नोटबंदी को लेकर चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की। सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है।

जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता। इससे पहले जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने पांच दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल रहे। इनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बाकी चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था। इसे अध्यादेश की जगह कानून के जरिए लिया जाना था।

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हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इससे पुराने फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा। केंद्र ने याचिकाओं के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जाली नोटों, बेहिसाब धन और आतंकवाद जैसी गतिविधियों से लड़ने के लिए नोटबंदी एक अहम कदम था। नोटबंदी को अन्य सभी संबंधित आर्थिक नीतिगत उपायों से अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए या इसकी जांच नहीं की जानी चाहिए। आर्थिक व्यवस्था को पहुंचे बहुत बड़े लाभ और लोगों को एक बार हुई तकलीफ की तुलना नहीं की जा सकती।

नोटबंदी ने नकली करंसी को सिस्टम से काफी हद तक बाहर कर दिया। नोटबंदी से डिजिटल अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा है। वहीं दूसरी ओर इस मामले में याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26 (2) किसी विशेष मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों को पूरी तरह से रद करने के लिए सरकार को अधिकृत नहीं करती है। केंद्र को एक खास सीरीज के करेंसी नोटों को रद करने का अधिकार देती है, न कि संपूर्ण करेंसी नोटों को।

बता दें कि 8 नवंबर साल 2016 को रात करीब 8 बजे केंद्र सरकार ने अचानक देश में नोटबंदी लागू की दी। इसके तहत 1000 और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। इस फैसले के बाद पूरे देश को नोट बदलवाने के लिए लाइनों में लगना पड़ा था। नोटबंदी के फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आया है।

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