जागेश्वर। उत्तराखंड के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने प्रवासियों की पीड़ा को उजागर करते हुए इसके लिए सरकार को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि क्वारंटीन में रह रहे प्रवासियों का सारा खर्च सरकार वहन करेगी, लेकिन आज तक ग्राम प्रधानों के खाते में कोई धनराशि जारी नहीं की गई, जिससे प्रधान क्वारंटीन व्यवस्था संचालित कर सकें।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से प्रवासियों की पीड़ा को उजागर किया है। उनका कहना है कि यदि समय रहते विभिन्न राज्यों के प्रवासियों को उनके घरों तक पहुंचा दिया जाता तो आज गरीब कामगारों के सम्मुख ऐसा संकट खड़ा नहीं होता। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लॉकडाउन अचानक से लागू कर दिया गया और लोगों को घर जाने के लिए समय ही नहीं दिया गया।
श्री कुंजवाल कहते हैं कि उत्तराखंड सरकार दावा कर रही है कि प्रवासियों को अपने खर्च पर उनके घरों तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने स्वयं व्यक्तिगत रूप से अपनी विधानसभा क्षेत्र के लगभग दो हजार लोगों से मिलकर उनका हाल जाना। इस दौरान उन्हें आश्चर्यजनक बातें देखने को मिली। इन लोगों में से मात्र पांच प्रतिशत लोग ही ऐसे थे, जिन्होंने स्वीकारा कि वे सरकार के खर्च से अपने घर पहुंचे। बाकी लोग अपने निजी वाहनों या किराये की गाडिय़ों में अपने खर्च पर अपने घर पहुंचे हैं। लेकिन सरकार वाहवाही लूटना चाहती है।
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आज सबसे बड़ी चिंता यह है कि अब इन गरीब कामगार प्रवासियों की रोजी-रोटी का इंतजाम आगे कैसे होगा। इस दिशा में अभी तक सरकार ने कोई योजना नहीं बनाई। वह स्वयं रोजगार गारंटी के बारे में कई बार कह चुके हैं कि तुरंत हर गांवों में रोजगार गारंटी का काम शुरू करवाया जाए, लेकिन ग्राम पंचायत में कोई भी ब्लॉक स्तर का अधिकारी भी जाने को तैयार नहीं हैं। कुछ जगहों में काम जरूर लगा है, लेकिन वे पुराने प्रस्ताव हैं। नया काम अभी शुरू नहीं हो पाया है।
श्री कुंजवाल ने प्रदेश सरकार को अनुरोध कर सलाह देते हुए कहा है कि सबसे पहले गांव में रोजगार देने की दिशा में योजना बनाकर काम शुरू किया जाए और प्रवासियों को रोजगार देने का प्रयास करना चाहिए, ताकि उनका मनोबल नहीं टूटे और वे आत्मसम्मान के साथ अपने गांवों में रह सकें।
उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि सबसे गरीब तबके की स्थिति आज किसी से छिपी नहीं है। उनके लिए सरकार कोई ठोस योजना बनाए, उनके खातों में सीधे पैसे डाले जा सकें, ये सरकार को कोशिश करनी चाहिए। अभी तक ऐसे लोगों को सरकारी खजाने से कोई राहत नहीं दी गई है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के राहत कोष में से भी यदि 25-25 हजार रुपए कम से कम हर मजदूर के खाते में डाल दिया जाता है तो रोजगारविहीन लोगों को संतोष होगा कि सरकार भी उनके साथ खड़ी है और वे इस पैसे से अपना गुजर-बसर कर सकते हैं।