उत्तरकाशी। पूर्व व वर्तमान केंद्र व प्रदेश सरकार भले ही दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों व तोकों में नाम बदल बदल कर राजीव गांधी व दीनदयाल उपाध्याय विधुतीकरण योजना के तहत गांव को रोशन करने के दावे करते हो, किंतु योजना की धरातलीय सच्चाई का अंदाजा मोरी आराकोट क्षेत्र के थुनारा समेत दर्जनों तोकों से लगाया जा सकता है जहां 8 वर्ष बाद भी विधुतीकरण तो दूर खंभे व लाईन तक जर्जर हो कर क्षतिग्रस्त हो गये है।
राजीव गांधी ग्रामीण विधुतीकरण योजना के तहत 2010-11 में मोरी के आराकोट न्याय पंचायत के अंर्तगत थुनारा गांव, कसेडी, जाखधार, शिसन, भींडा बागडोली, डंडराली, डासटी, इशाली, धुनियाया व रूनवा आदि दर्जनभर गांव तोकों विधुतीकरण को शासन ने स्वीकृति दी।
2012-13 में लाईन बिछानें कार्य भी शुरू हुआ, किंतु आज तक राजस्व गांव थुनारा के अलावा किसी भी तोक में बिजली आना तो दूर, न तो मानकों के अनुरूप खंभे गाड़़े गये न ही लाईन बिछाई गई।
लाईन बिछाने का आलम यह है अधिकांश खंभे मानकों के उलट गड्ढों में खंबें गाड़ने में सीमेंट व रोड़ी न डालकर मिट्टी में खड़े कर दिये गये हैं। व कई खंभे तो एक माह में ही गिर गये। थुनारा के किशोर राणा, नरेश राणा, महेश राणा ने बताया कि थुनारा गांव व 10 तोको में 473 परिवार की डेढ हजार की आबादी रहती हैं तथा स्वीकृति व निमार्ण शुरू होने के आठ वर्ष बाद भी थुनारा गांव के अलावा तोकों में अंधेरा है, जबकि विधुतीकरण कार्य में तेजी लाने, लाईन बिछाने, पोल गाडने के कार्य में बरती गई अनियमितता की जांच की कई बार मांग की गई, पर कोई सुनने वाला नहीं है।
राज्य आंदोलनकारी किशोर राणा कहते हैं कि डडराली, बागडोली, कसेडी, शीसन, डामठी समेतधुनियारा, जाखधार, भींडा, इशाडी आदि तोकों में 79 व थुनारा गांव में 72 परिवारों कुल 151 परिवारों की 695 की आबादी आज भी अंधेरे में राते काटने को मजबूर हैं।