देहरादून। कोरोना संकटकाल में आर्थिक चुनौतियों के बढ़ जाने के कारण उत्तराखंड शासन में गैर जरूरी पदों को खत्म करने व नये पदों के सृजन पर रोक लगा दी गई है। यही नहीं तकनीकी रित्त पदों पर संविदा या आउटसोर्सिंग से नियुत्ति होगी, जबकि नये कार्यालयों और आवासीय भवनों के निर्माण पर भी रोक लगाई गई है।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों और स्वायत्तशासी संस्थाओं के लिए प्रशासनिक व्यय में मितव्ययता के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए है।
बुधवार को जारी आदेश के अनुसार वर्तमान परिपेक्ष्य में अनुपयोगी पदों को चिन्हित कर समाप्त करने और संबंधित कार्मिकों को अन्य विभागों व पदों पर समायोजित किया जाएगा। चालू वित्तीय वर्ष में किसी पद का वेतनमान उच्चीकृत नहीं किया जाएगा। चिकित्सा एवं पुलिस को छोड़कर बाकी विभागों में नये पद स्वीकृत नहीं किए जाएंगे।
यही नहीं सेवा नियमों के विपरीत ढांचे के सापेक्ष नियत वेतन, दैनिक वेतन और संविदा आदि नियुत्तियों पर भी रोक लगा दी गई है। चतुर्थ श्रेणी के साथ विशिष्ट तकनीकी कार्य हेतु सृजित वाहन चालक, माली, वायरमैन, इलैक्ट्रिशियन, प्लंबर, मिस्त्री, लिफ्टमैन, एसी मैकेनिक एवं अन्य इसी प्रकार के रित्तफ पदों पर नियमित नियुत्ति नहीं की जाएंगी। ये सेवाएं संविदा या आउटसोर्सिंग से ली जाएंगी।
विभिन्न विभागों में सलाहकार, अध्यक्ष व सदस्यों आदि के सहयोगी स्टाफ की नियुत्ति नहीं होगी, बल्कि विभागीय सरप्लस स्टाफ से व्यवस्था की जाएगी। मितव्ययता की दृष्टि से यात्रा कम (विदेश यात्रा सहित),मुद्रण प्रकाशन, व्यवसायिक एवं विशेष सेवाएं, विज्ञापन एवं प्रसार तथा कार्यालय व्यय आदि में भी कैंची चलाई गई है।
यात्रा न्यूनतम और हवाई यात्रा इकोनॉमी क्लास में करने की हिदायत दी गई है। सुरक्षा संबंधी आवश्यकता को छोड़कर नये वाहनों की खरीद नहीं होगी तथा अनुबंध पर वित्त विभाग की सहमति से वाहन लिया जा सकता है। कार्यशाला, सेमिनार, सम्मेलन आदि निजी होटलों के बजाय सरकारी भवनों या परिसरों में किए जाएंगे।
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