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Health: सांस रुकने और धड़कन बंद होने के बाद भी जिंदगी मौत से यूं भी बचा सकते हैं घायल को

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Health: सांस रुकने और धड़कन बंद होने के बाद भी जिंदगी मौत से यूं भी बचा सकते हैं घायल को

देहरादून/मुख्यधारा

सांसें रुक जाएं और दिल धड़कना बंद हो जाए… तब भी कुछ मिनट के भीतर सीपीआर देकर जिंदगी बचाई जा सकती है। कल चकराता रोड पर एक दुर्घटना के बाद ऐसा ही वाकया पेश आया। भीड़ से घिरे युवक को सड़क पर पड़ा देखकर उधर से गुजरते एक डॉक्टर ने सीपीआर देकर मौत की ओर कदम बढ़ा चुके युवक को नई जिंदगी की सौगात दे दी।

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चकराता रोड पर सुद्धोवाला के पास सुबह करीब साढ़े दस बजे यह घटना हुई। बाईक दुर्घटना के बाद 28-30 साल का युवक जमीन पर पड़ा था और चारों तरफ तमाशबीन जैसे अंदाज में तमाम लोग खड़े थे। उधर से गुजरते डॉ एस पी गौतम भीड़ देखकर वहां पहुंचे और वहां पड़े युवक की जांच की। डॉ गौतम ने पाया कि युवक का शरीर कोई हरकत नहीं कर रहा था। उसकी सांसें बंद हो चुकी हैं और दिल का धड़कना रुक गया है। पेशे से कार्डियक एनेस्थिया के विशेषज्ञ डॉ गौतम ने वहीं बैठकर उस युवक की सीपीआर शुरू कर दी।

डॉ गौतम ने बताया कि भीड़ में से किसी के मदद न करने के कारण उन्हें अकेले सीपीआर (सीने को एक खास विधि से बार बार दबाने) में दिक्कत आ रही थी। तभी एक कार में सवार व्यक्ति मदद के लिए आगे आया और सीपीआर देते हुए उन्होंने युवक को कार में चढ़ा दिया। इसके बाद युवक को ग्राफिक एरा अस्पताल पहुंचाकर इलाज शुरु कर दिया गया। युवक को कई गंभीर चोटें आई हैं। अभी वह वेंटिलेटर पर है, लेकिन रिस्पॉंस करने लगा है। ग्राफिक एरा अस्पताल के कार्डियक एनेस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ एस पी गौतम के प्रयासों ने इस युवक को मौत के क्रूर जबड़ों से छीन लिया।

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डॉ गौतम ने आज कहा कि सांस और धड़कन बंद होने के तीन से पांच मिनट के बाद दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती हैं। इससे पहले सीपीआर मिल जाए, तो मस्तिष्क को क्षति पहुंचने से बचाया जा सकता है। यही इस मामले में हुआ।

घायल युवक का नाम रजत है। उसके पिता सुनील कुमार आईटीबीपी में सेवारत हैं। आज उन्होंने कहा कि समय पर सीपीआर मिलने के कारण उनका बेटा बच गया। शायद इसी लिए डॉक्टर को भगवान कहते हैं।

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