देहरादून। उत्तराखंड प्रसिद्ध लोकगायक सुर सम्राट हीरा सिंह राणा का दिल का दौरा पडऩे से आज तड़के निधन हो गया है। इस खबर के मिलते ही प्रदेशभर में शोक की लहर दौड़ गई है।
दशकों तक अपनी सुरमयी आवाज से उत्तराखंडी लोगों के दिलों में राज करने वाले प्रख्यात गायक हीरा सिंह राणा का आज तड़के 2:30 बजे दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। उनका एक कालजयी गीत रंगीली बिदी, घाघर काई, धोती लाल किनर वाई, हाय हाय, हाय रे मिजाता, हो हो होई रे मिजाता, आज भी लोगों को झूमने पर मजबूर कर देता है। यही नहीं दर्जनों ऐसे गीत है, जो अभी भी लोगों के दिलों में राज करते हैं। उनके निधन से प्रदेश की लोक कला को अपूर्णनीय क्षति हुई है। स्व. चंद्र सिंह राही के बाद यह ऐसी क्षति है, जिसकी पूर्ति नहीं की जा सकती। वह लोक के महान सेवक, संगीत को समर्पित, लेखन के धनी, विनम्र स्वभाव, आडंबरों से दूर रहने वाले व्यक्तित्व के धनी थे।
वह उत्तराखंड भाषा अकादमी के उपाध्यक्ष दिल्ली सरकार एवं उत्तरांचल भ्रातृ सेवा संस्थान के मुख्य सलाहकार के पद भी थे। इस दुखद घटना से उत्तराखंड के लोक कलाकारों और आम जन के बीच शोक छा गया है। उनके निधन पर अनेक राजनीतिज्ञों, लोक कलाकारों और उनके चाहने वालों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
उनका जन्म आजादी से भी पांच वर्ष पूर्व 16 सितंबर 1942 को हुआ था। आज 13 जून 2020 को उनका निधन हो गया है। ऐसे सुरों के जादूगर का इस धरा पर बार-बार जन्म लेना संभव नहीं है। इन महान लोक कलाकार को उत्तराखंडी जनमानस की ओर से भी शत्-शत् नमन्।
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