देहरादून। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) ने गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उत्तराखंड में पत्रकारिता के दमन को लेकर की जा रही कार्रवाई का विस्तार से खुलासा किया है। साथ ही उनसे अनुरोध किया है कि उत्तराखंड में जनता की हितों की बात करने वाले पत्रकारों के खिलाफ इस तरह की दमन आत्मक कार्यवाही पर तत्काल रोक लगाई जाए। अन्यथा पत्रकार संगठन आंदोलन के लिए विवश हो जाएंगे।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष रासबिहारी मोहंती ने अपने पत्र में पर्वतजन के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ खबर छापने के परिणाम स्वरुप गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का विरोध जताते हुए कहा है कि लोकतंत्र में इस तरह की दमनकारी कार्रवाई बिल्कुल भी असहनीय है।
गौरतलब है कि 2 दिन पूर्व ही वरिष्ठ पत्रकार तथा समाजसेवी उमेश कुमार ने पर्वतजन के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर के सम्बंध में गृहमंत्री, सुप्रीम कोर्ट, एनयूजे नैशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट (इंडिया) को ट्विट किया था। ट्वीट का संज्ञान लेकर आज पत्रकारों की संस्था एनयूजे ने गृहमंत्री को पत्र लिख कर सूचित किया था। एनयूजे ने कहा कि अगर ये कार्यवाही बंद नहीं की गयी तो देशभर में आंदोलन होगा।
उत्तराखंड में कुछ पुलिसवालों ने मुख्यमंत्री के इशारे पर उनका भ्रष्टाचार छुपाने के लिए पत्रकारों को जेल तक भेज दिया और आज भी डराना धमकाना जारी है। कई पत्रकार मानसिक तनाव में आत्महत्या तक के कगार पर आ चुके हैं। एफआईआर जिसको पुलिस 3 महीने से दबाकर बैठी थी, अब जाकर वह सामने आ सकी। खबर चलाने पर मानहानि का दावा सुना था, किसी के इशारे पर इतनी गम्भीर धाराओं में एफआईआर पहली बार सुनी है।
एनयूजे इंडिया के अध्यक्ष रासबिहारी और महासचिव प्रसन्ना मोहंती ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र में बताया है कि पत्रकार सरकार की नाकामियों को इसलिए बताते हैं कि ताकि उन्हें ठीक किया जा सके, लेकिन उनके खिलाफ उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में धड़ाधड़ मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं।
अध्यक्ष रासबिहारी ने इसे लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता के खिलाफ बताते हुए इस पर तत्काल संज्ञान लेकर कार्यवाही करने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में पत्रकारिता का जिस तरह से दमन किया जा रहा है, उसको लेकर सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में आक्रोश का माहौल तैयार हो रहा है। गृह मंत्री अमित शाह से एनयूजे इंडिया ने उत्तराखंड में पत्रकारों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान कराए जाने का अनुरोध किया है, ताकि उत्तराखंड में पत्रकार निडर होकर स्वतंत्रता पूर्वक पत्रकारिता कर सकें।