देहरादून या गैरसैंण? कहां होगा विधानसभा सत्र (Assembly session)
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बजट सत्र आहूत किए जाने को लेकर राजनीतिक सियासत गरमाई हुई है। दरअसल, पिछले कुछ सालों की तरह इस साल भी पूर्णकालिक बजट सत्र गैरसैंण में आहूत होने की संभावना है। लेकिन इसी बीच न सिर्फ विपक्ष के विधायक बल्कि सत्ता पक्ष के भी अधिकांश विधायकों ने ठंड का बहाना लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजा है कि देहरादून में ही विधानसभा बजट सत्र आहूत किया जाए। गैरसैंण में कई बार विधानसभा सत्र आहूत हो चुके हैं। इसके साथ ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने का
निर्णय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपने कार्यकाल के दौरान लिया था।
गैरसैंण में विधानसभा सत्र की कार्यवाही के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री ने चार मार्च को गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था। साथ ही गैरसैंण में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने को लेकर 200 करोड़ रुपए का प्रावधान अगले 10 सालों के लिये किया था।साथ ही हर साल विधानसभा बजट सत्र गैरसैंण में आहूत करने का निर्णय लिया था। उसके बाद लगभग हर साल बजट सत्र गैरसैंण में आहूत होता आ रहा है।
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उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान देहरादून के रिस्पना पुल के पास ट्रैफिक में समस्याओं से जूझते हुए आपके जेहन में ये बात जरूर आती होगी कि इस विधानसभा सत्र से आपका क्या भला होगा और क्या लेना देना है? विधानसभा सत्र में होने वाली हर एक बात का सीधा सरोकार आप से ही यानी की राज्य की जनता होता है, लेकिन कैसे? दरअसल, विधानसभा सत्र के दौरान राज्य निर्माण का काम होता है। उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो राज्य की 70 विधानसभा सीटों से जीत कर आने वाले सभी 70 विधायक सदन के माननीय सदस्य होते हैं। इन सभी 70 विधायकों की मौलिक जिम्मेदारी होती है कि वो अपने विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ राज्य के महत्वपूर्ण विषयों पर सदन में चर्चा करें।इसमें एक तरफ सरकार होती है तो दूसरी तरफ सदन के बाकी सारे सदस्य। सरकार की तरफ से सरकार के सभी मंत्री जवाब देते हैं तो वहीं सदस्यों में ज्यादातर विपक्ष के विधायक सवाल उठाते हैं।
विधानसभा प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत होती है। विधानसभा में राज्य के अतीत से लिए गए अनुभव पर चर्चा करते हुए प्रदेश के भविष्य को तय किया जाता है। उत्तराखंड की एक करोड़ की आबादी और उनकी भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती है, उत्तराखंड विधानसभा इसलिए विशेष है, क्योंकि इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही आते हैं। यानी बिना विपक्ष के विधानसभा की परिकल्पना अधूरी है। नियम ये है कि साल के 365 दिनों में से कम से कम 60 दिन से ज्यादा सदन चलना चाहिए।
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लेकिन वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि उत्तराखंड में 7 दिन के बजाय 20 दिन भी पूरे साल भर में सदन नहीं चल पाता। वहीं, इसके अलावा विधानसभा में पूछे जाने वाले हर एक सवाल का जवाब संतुष्टि से मिलना भी एक स्वस्थ विधानसभा का बड़ा मानक होता। उत्तराखंड विधानसभा के अधिकांश विधायक ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित भराड़ीसैंण विधानमंडल भवन में बजट सत्र आहूत करने के पक्ष में नहीं हैं। करीब 7841 फीट की ऊंचाई पर स्थित भराड़ीसैंण की कंपकंपा देने वाली ठंड ने अधिकांश विधायकों के वहां जाने के इरादों को ठंडा कर दिया है। 40 से अधिक विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि इस बार का बजट सत्र देहरादून में कराया जाए।
बता दें कि विधानसभा ने ही यह संकल्प पारित कर रखा है कि बजट सत्र भराड़ीसैंण स्थित विधानमंडल भवन में ही होगा। लोकसभा चुनाव की तैयारियों के चलते धामी सरकार फरवरी में ही बजट सत्र आहूत करने की सोच रही है। हालांकि अभी सरकार ने इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन आधिकारिक सूत्रों के हवाले से जो खबर आ रही है, उसके मुताबिक 26 फरवरी से विधानसभा के बजट सत्र की घोषणा हो सकती है। लेकिन विधानसभा सत्र कहां होगा, इस बारे में तस्वीर अभी साफ नहीं है। पिछला बजट सत्र होने के बाद गैरसैंण में फिर कोई विधानसभा सत्र नहीं हुआ। पिछले एक साल के दौरान वहां सिर्फ 15 अगस्त, राज्य स्थापना दिवस या 26 जनवरी पर हुए समारोह ने वहां पसरे सन्नाटे को तोड़ा है। ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने के बावजूद गैरसैंण से भराड़ीसैंण तक सिर्फ ठंड के सिवाय कोई सरगर्मी नहीं है।
हालांकि उसके अवस्थापना विकास के लिए हजारों करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा हुई थी। लेकिन सैकड़ों करोड़ के भव्य विधानमंडल
भवन और आलीशान आवासीय परिसरों के निर्माण से आगे वहां सबकुछ ठहर सा गया है। 12 महीनों में सिर्फ चंद दिनों के लिए गर्मियों की यह राजधानी तभी गुलजार दिखती है कि जब सरकार यहां सत्र कराने पहुंचती है। सरकार के जाते ही फिर लंबा सन्नाटा पसर जाता है। भराड़ीसैंण में विधानसभा सत्र का आयोजन होते कई वर्ष हो चुके हैं, लेकिन सरकारें वहां कभी व्यवस्थाएं नहीं बना पाईं। इन्हीं बदइंतजामी के बहाने अब विधायकों से लेकर अफसर तक वहां जाने से परहेज कर रहे हैं।
उनका तर्क है कि सर्द भराड़ीसैंण में फरवरी में सत्र होगा तो ठंड का प्रकोप और भीषण हो जाएगा, जिससे दिक्कतें आएंगी। भराड़ीसैंण में इन दिनों काफी ठंड है। इससे वहां ड्यूटी पर तैनात होने वाले कर्मचारियों,पुलिस व होमगार्ड कर्मचारियों को बहुत परेशानी होगी। इसलिए हम कई विधायकों के हस्ताक्षरित एक पत्र विधानसभा अध्यक्ष को दिया और उनसे अनुरोध किया है कि बजट सत्र देहरादून में आहूत करा लिया जाए और बाद में ग्रीष्मकालीन सत्र गैरसैंण में करा दिया जाए।
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उत्तराखंड में विधानसभा बजट सत्र आहूत करने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. असमंजस इस बात को लेकर है कि सत्र कहां आहूत की जाए देहरादून या गैरसैंण। बताया जा रहा है कि कई विधायक गैरसैंण में सत्र न आहूत कराने को लेकर पत्र लिख चुके हैं। सियासी दलों के चुनावी घोषणापत्रों में गैरसैंण भले ही हाशिये पर रहा हो लेकिन आम जनमानस से लेकर बुद्धिजीवी वर्ग अब भी गैरसैंण को लेकर संजीदा है। पलायन आयोग के उपाध्यक्ष का मानना है कि उत्तराखंड की राजधानी पहाड़ में ही होनी चाहिए और इसके लिए गैरसैंण से बेहतर
और कुछ नहीं।स्थाई राजधानी गैरसैंण संयुक्त संघर्ष समिति उत्तराखण्ड के अध्यक्ष ने कहा कि गैरसैंण को प्रदेश की स्थायी राजधानी बनाने व राज्य में भू-कानून लागू करने को लेकर प्रदेश सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है।जिसको लेकर प्रदेश की तमाम संघर्षशील ताकतें व अन्य संगठनों द्वारा बागेश्वर में जनसभा व रैली की ।
उन्होंने सूबे के सीएम को पत्र भेजकर गैरसैंण को स्थाई राजधानी, प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग की है। उत्तराखंड के लिए लड़ाई लड़ी। हमारे पुरुषों और महिलाओं ने इसके लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। जब मुजफ्फरनगर, मसूरी और खटीमा में गोलीबारी की घटनाएं हो रही थीं, तब आप कहां थे? उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बजट सत्र आहूत किए जाने को लेकर राजनीतिक सियासत गरमाई हुई है। दरअसल, पिछले कुछ सालों की तरह इस साल भी पूर्णकालिक बजट सत्र गैरसैंण में आहूत होने की संभावना है।
लेकिन इसी बीच न सिर्फ विपक्ष के विधायक बल्कि सत्ता पक्ष के भी अधिकांश विधायकों ने ठंड का बहाना लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजा है कि देहरादून में ही विधानसभा बजट सत्र आहूत किया जाए। इसपर नेताओं की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री की भी प्रतिक्रिया सामने आई है।
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गैरसैंण में कई बार विधानसभा सत्र आहूत हो चुके हैं। इसके साथ ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने का निर्णय तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल के दौरान लिया था। गैरसैंण में विधानसभा सत्र की कार्यवाही के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चार मार्च 2020 को गैरसैंण को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था। साथ ही गैरसैंण में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने को लेकर 200 करोड़ रुपए का प्रावधान अगले 10 सालों के लिये किया था। साथ ही हर साल विधानसभा बजट सत्र गैरसैंण में आहूत करने का निर्णय लिया था। उसके बाद लगभग हर साल बजट सत्र गैरसैंण में आहूत होता आ रहा है। लेकिन अब गैरसैंण में विधानसभा बजट सत्र आहूत होने की संभावना के बीच पहाड़ के लगभग तमाम विधायक ही बहानेबाजी करने लग गए हैं।
बहाना गैरसैंण में बहुत ठंड का दिया जा रहा है। वहीं, पूर्व सीएम का कहना है कि सत्र आहूत करने के लिए सरकार के विधानमंडल दल को फैसला करना है।लेकिन उनका मानना है कि गैरसैंण में सत्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर पहाड़ के विधायक पहाड़ के बारे में नहीं
सोचेंगे तो फिर पहाड़ का विकास नहीं हो पाएगा। लेखक, के व्यक्तिगत विचार हैं।
(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं)