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जोशीमठ (Joshimath) के पैतृक आवास छोड़ने को तैयार नहीं हैं लोग

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जोशीमठ (Joshimath) के पैतृक आवास छोड़ने को तैयार नहीं हैं लोग

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

मध्य हिमालय की शांत वादी में सुकून के साथ अपने बच्चों के बेहतर भविष्य का सपना संजो रहे जोशीमठ के कई परिवार अब आपदा के कारण पलायन करने के लिए मजबूर हैं।  पुनर्वास के लिए मुआवजा लेने के बाद भी जोशीमठ में कई परिवार भूधंसाव की जद में आए अपने भवन छोड़ने को तैयार नहीं। जान जोखिम में डालकर क्षतिग्रस्त भवनों का उपयोग कर रहे हैं पुनर्वास के लिए मुआवजा लेने के बाद भी जोशीमठ में कई परिवार भूधंसाव की जद में आए अपने भवन छोड़ने को तैयार नहीं। जान जोखिम में डालकर क्षतिग्रस्त भवनों का उपयोग कर रहे हैं। भूधंसाव के बाद करीब 1200 घर खतरे की जद में हैं।

यह बात सीबीआरआई ने सर्वे के बाद शासन को भेजी रिपोर्ट में कही है इसके अलावा पुनर्वास की सिफारिश भी की है। पहाड़ पर 14 पॉकेट ऐसी हैं, जहां पर ये सभी घर बने हैं और रहने के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। जोशीमठ में पिछले साल हुए भूधंसाव के बाद विभिन्न तकनीकी संस्थानों की ओर से अलग-अलग स्तर पर तकनीकी जांच की थी। सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों की ओर से पहाड़ पर बने मकानों की दरारों और जमीन में आई दरारों के आधार पर खतरे का आकलन किया था। भवनों को तीन वर्गों में बांटा गया वैज्ञानिक ने बताया कि सर्वे के
दौरान सभी भवनों में आई दरारों का अलग-अलग पैरामीटर के हिसाब से आकलन किया गया। साथ ही जमीन के भीतर आई दरारों के लिए भूवैज्ञानिक रिपोर्ट का भी आकलन किया गया। जिसके आधार पर भवनों को तीन वर्गों में बांटा गया।

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सर्वे के दौरान 14 हाई रिस्क जोन चिह्नित किए गए। ये जोन पहाड़ पर पॉकेट के रूप में हैं, जहां बने भवन रहने के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। हाई रिस्क जोन मारवाड़ी बाजार, लोवर बाजार, अपर बाजार, मनोहर बाग और सिंहधार में स्थित है। हाल ही में जोशीमठ का फिजिकल सर्वे भी किया गया है। उन्होंने बताया कि करीब 2500 भवनों में से 1200 भवनों को हाई रिस्क के अंतर्गत रखा गया है। इन भवनों में रह रहे लोगों के पुनर्वास की सिफारिश की गई है। वर्ष 2023 की शुरुआत से ही विश्वभर में चर्चा में रहे जोशीमठ में 1000 से अधिक भवनों को ध्वस्त किया जाएगा।

हाई रिस्क जोन में आए इन भवनों में आवासीय और व्यावसायिक भवन शामिल हैं। हाई रिस्क जोन में आए ये सभी भवन नगर पालिका के चार वार्डों में हैं जहां जमीन धंस गई है। यहां सबसे अधिक भूधंसाव हुआ जिसके कारण कई परिवार विस्थापित भी हुए। लगभग 1200 घर रहने के लिहाज से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। सीबीआरआई ने हाई रिस्क जोन में आ रहे इन भवनों का नक्शा तैयार किया है और इन मकानों में रहने वालों के पुनर्वास की सिफारिश शासन से की गई है।

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सीबीआरआई की इस सिफारिश के बाद यह तय है कि हाई रिस्क जोन में आए इन घरों को ध्वस्त किया जाना है। वर्ष 2021 के अक्टूबर माह में जोशीमठ के कुछ घरों में पहली दरारें दिखाई दी थी, लेकिन प्रशासन ने उस समय पर्याप्त कदम नहीं उठाया। वर्ष 2022 में इमारत में दरारें ज्यादा दिखाई देने लगीं तो प्रशासन की नींद टूटी। वर्ष 2023 में इन दरारों ने विकराल रूप ले लिया। शहर के नौ वार्डों में 723 घरों के फर्श, छत और दीवारों पर बड़ी या छोटी दरारें दिखने लगी।

सरकार ने जोशीमठ से 90 किमी दूर गौचर के बमोथ में 26 हेक्टेयर भूमि आपदा प्रभावितों के पुनर्वास को चयनित की है। आपदा प्रभावित परिवार यहां भी जाना नहीं चाहते। उनका तर्क है कि यह पुनर्वास स्थल अत्यंत दूर है। इसी तरह करीब ढाई करोड़ रुपये से जोशीमठ से 15 किमी दूर ढाक में आपदा प्रभावितों के लिए बनाए गए 15-प्री फेब्रिकेटेड हट भी धूल फांक रहे हैं।

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आपदा प्रभावितों ने स्पष्ट कह दिया कि वह जोशीमठ से अन्यत्र विस्थापित नहीं होंगे। यहां से उनका रोजगार व अन्य संसाधन जुड़े हैं। इन परिस्थितियों से बल्कि जोशीमठ का शहर का हर दूसरा व्यक्ति जूझ रहा है। यहां हर कोई अपने भविष्य को लेकर चिंतित और नए ठौर की तलाश में जुटा है। लोग जबरदस्ती पलायन करने के लिए मजबूर हो गए हैं। जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न हैं वे तो किसी तरह दूसरी जगह आशियाना तलाश लेंगे लेकिन शहर में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जिन्हें इन्हीं हालातों में अपने और बच्चों के भविष्य को तराशना है। जान जोखिम में डालकर क्षतिग्रस्त भवनों का उपयोग कर रहे हैं। मनोहर बाग क्षेत्र में ऐसे 28 भवनों की विद्युत व पेयजल आपूर्ति रविवार को पहुंची ऊर्जा निगम और पेयजल की संयुक्त टीम ने बंद कर दी। ताकि इनमें आवाजाही को रोका जा सके। यह लेखक के निजी विचार हैं।

( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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