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विश्व की सर्वश्रेष्ठ महिला गेंदबाजों की बात करे तो एकता बिष्ट का नाम हमेशा याद आता हैं

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विश्व की सर्वश्रेष्ठ महिला गेंदबाजों की बात करे तो एकता बिष्ट का नाम हमेशा याद आता हैं

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला 

पहाड़ी प्रदेश और पहाड़ी जीवन कई मायनों में अलग होता है। मैदानी इलाकों में रहते हुए हम जब पहाड़ों की तरफ देखते हैं तो ऐसा लगता है मानो सब कुछ बड़ा ही सुखद और नैसर्गिक है, लगता है पहाड़ हमें अपनी ओर खींच रहे हैं लेकिन पहाड़ पर रहना और सफलता की कहानी लिखना किसी पहाड़ से कम नहीं है। देवभूमि उत्तराखंड, ऐसा राज्य जहां हर दिन हम कुछ ऐसी खबरें पढ़ते हैं, जो दिल को सुकून दे जाती हैं भारतीय बाएं हाथ की स्पिनर खिलाड़ी हैं एकता बिष्ट, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय जगत में अपने खेल की वजह से जगह बनाई है। वे जीवन में संघर्ष करते हुए आज महिलाओं के लिए रोल मॉडल का काम कर रही हैं। सीमित संसाधनों में भी उन्होंने अपने को खरा उतारा है। जिस साल भारत की पुरुष क्रिकेट टीम ने आईसीसी वनडे विश्व कप जीता था, उसी साल (2011) एकता ने भी भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाकर इतिहास बनायाथा।

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एकता बिष्ट अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की साल 2017 की वनडे और टी-20 टीम दोनों में जगह बनाने वाली इकलौती भारतीय खिलाड़ी हैं।आईसीसी महिला वर्ल्ड कप का 11वां मैच भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया जिसमें एकता बिष्ट की गेंदबाजी फिरकी के जादू ने पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ा दिए। पाक की धीरे-धीरे करके सारी टीम बिखर गई। इस मैच की हीरो विष्ट ही साबित हुई। इसके साथ ही बिष्ट 1 ही साल में वनडे में 2 बार5 विकेट लेने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। उन्हें इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने खेलरत्न से नवाजा है।उत्तराखंड में मैदान से लेकर स्टेडियम व एकेडमी के साथ-साथ कई सुविधाएं नहीं हैं। संसाधनों की कमी बहुत है। इसके सुधार के लिए प्रदेश सरकार को भी कदम उठाना चाहिए। मुझसे जो सहयोग होगा, मैं करूंगी। वहां के लोगों को सिखाने के लिए भी मैं तैयार हूं। राजनेताओं को भी इस बारे में ध्यान देना होगा। एकता बिष्ट ने गरीबों और बेसहाराओं की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। वह जरूरतमंदों को राहत सामग्री पहुँचाने के कार्य में बड़ी मेहनत से डटी पड़ी हैं। इंसानियत की मिसाल पेश करती एकता की यह पहल बहुत लोगों के लिए प्रेरणास्रोत का कार्य करेगी।

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बता दें कि वह लोगों के लिए खाना खुद हाथों से पैक भी कर रही हैं। साथ ही साथ उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के कोरोना के खिलाफ उठाये गए कदमों और प्रयासों की तारीफ की और देशवासियों को एकजुट होने के लिए भी कहा।इंसानियत की मिसाल पेश करती पहाड़ों की बेटी एकता बिष्ट के द्वारा किया गया यह नेक काम सराहनीय है। शून्य सुविधाओं के मध्य जीते हुये जीत का रास्ता बनाना और शिखर तक पहुँचना और असुविधाओं से निरन्तर लड़ते हुये एक अन्तर्राष्ट्रीय स्वप्न और उस चरम को छूना दो अलग-अलग परिस्थितियां हैं अन्तर हम सब जानते हैं। पहाड़ की बेहद कठिन ज़िन्दगी जीते हुये बेहद साधारण खानपान वाली एकता के चेहरे की मासूम हंसी अक्सर मेरी आँखों के सामने तैर जाती है। खेल के मैदान में जब तनाव अपने चरम पर होता है उस समय शांत रहना एकता के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खूबी है। इसलिए लोग प्रायः उसे लेडी धोनी भी कहते हैं। पहाड़ हमें सहनशीलता सिखाते हैं, विपरीत परिस्थितियों के मध्य जीवन की राह ढूंढ़ने वाली साधारण परिवार की लड़कियों के लिए एकता एक मिसाल है। उनका सफ़र दुनिया के हर उस शख्स के लिये प्रेरणादायी है जो सपने देखता है और अपने सपनों के लिए हाड़तोड़ मेहनत करता है।

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भारत के लिये टी-20 में हैट्रिक लेने वाली वह भारत की पहली गेंदबाज, एकता बिष्ट का बीस सालों का यह सफ़र किसी कहानी से कम नहीं है। लॉर्ड्स मैदान पर विश्वकप के फाइनल में भारतीय टीम की संघर्षगाथा एकता के जीवन की एक और सफलता है। ये अल्मोड़ा शहर के लिए गौरव का विषय है, क्यूंकि इस शहर ने एकता को कठोर अभ्यास और मेहनत करते देखा है। देवभूमि उत्तराखंड से खेल की दुनिया में कदम रखकर देश का नाम रोशन करने वाले होनहारों की फेहरिस्त बहुत लंबी है।इन्हीं में से एक है अल्मोड़ा की एकता बिष्ट जिन्होंने उत्तराखंड के छोटे से शहर से निकलकर क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय फलक पर भारत का नाम रोशन किया। एकता बिष्ट का अगला लक्ष्य 2000 में भारत को
वर्ल्ड कप जीतना है।

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(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत है)

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