देहरादून। उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ के आह्वान पर उपनल से संविदा में कार्यरत करीब 18000 कर्मचारी पूर्व सैनिक वर्तमान में सेना में कार्यरत सैनिकों के आश्रित वीर नारियों द्वारा चरणबद्ध तरीके से विरोध प्रदर्शन विभिन्न मांगों को लेकर चौथे दिन भी काले फीते बांध कर विभागों में कार्य किया गया।
प्रदेश महामंत्री मनोज जोशी द्वारा कहा गया कि जब वर्ष 2016 में उपनल कर्मचारियों द्वारा अपनी मांगों के लिए जनपदों से लेकर राज्य में आन्दोलन किया गया था, तब भारतीय जनता पार्टी, जो कि उस समय विपक्ष में थी, उनके दर्जनों विधायकों द्वारा उपनल कर्मचारियों को यह कहकर समर्थन किया था कि जब हम सत्ता में आयेंगे तो उपनल कर्मचारियों को समान कार्य का समान वेतन देंगे तथा सुरक्षित भविष्य के लिए नियमावली बनायेंगे, लेकिन कथनी और करनी में फर्क देखिए उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा उपनल कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य और समान कार्य का समान वेतन दिए जाने का फैसला दिया गया था, लेकिन सरकार उसको लागू करने के बजाय उच्चतम न्यायालय में चली गयी कि उपनल कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जाना चाहिए। जो विधायक उस समय उपनल कर्मचारियों के समर्थन में आये थे, आज वे सब मौन हैं। उनको आज उपनल कर्मचारियों का दर्द नहीं दिखाई देता।
प्रदेश अध्यक्ष रमेश शर्मा द्वारा कहा गया कि समान कार्य का समान वेतन को तो छोड़िये, सरकार द्वारा पिछले दो वर्षों से उपनल कर्मचारियों के वेतन में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गयी। आज उपनल कर्मचारियों को 8 से 10 हजार महीने का दिया जा रहा, जिसमें उनको अपने परिवार का भरण पोषण करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि पूरे प्रदेश में आज उपनल कर्मचारी कोरोना महामारी में ड्यूटी पर लगे हुए हैं।
विरोध प्रदर्शन में मनीष वर्मा, निशा, कमल गढ़िया, राकेश उपाध्याय, त्रिभुवन बसेरा, विमल धामी, मनोज शर्मा, प्रमोद गोसाई, आंचल वर्मा, मनोज कुमार, ललित उपाध्याय, शैलेंद्र रावत अजीत डोभाल सुनील ओसवाल हरीश नेगी, संदीप भोटिया आदि शामिल रहे। जिसमें सचिवालय, चिकित्सा विभाग, शुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज, दून मेडिकल, आईटीआई, पालीटेक्निक, उच्च शिक्षा, उद्यान, इलेक्शन, श्रम, सेवायोजन, सेल टैक्स, माध्यमिक शिक्षा, ऊर्जा विभाग के साथ साथ सभी जनपदों के कर्मचारी शामिल रहे।
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