उत्तराखंड : उपचुनाव में दोनों सीटों पर कांग्रेस का लहराया परचम, भाजपा चितपट
बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी लखपत बुटोला तो मंगलौर से काजी निजामुद्दीन ने की जीत दर्ज
मामचन्द शाह
आखिरकार काफी लंबे समय बाद उत्तराखंड कांग्रेस को आतिशबाजी कर जश्न मनाने का मौका मिल ही गया है। यहां उपचुनाव में दोनों सीटों पर कांग्रेस नेे इस बार सत्तारूढ़ पार्टी से जीत छीनकर अपना झंडा बुलंद करने में सफलता पाई है, वहीं पार्टी के मीडिया मैनेजरों की अति आत्मविश्वास भरे दावों के उलट भारतीय जनता पार्टी दोनों सीटों पर चितपट हो गई है।
बताते चलें कि बद्रीनाथ सीट पर लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के विधायक रहे राजेंद्र सिंह भंडारी ने अचानक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। तभी से उनके अधिकांश समर्थक व क्षेत्रवासी उनसे नाराज चल रहे थे। इसके अलावा जब वे भाजपा में शामिल हुए तो यहां काफी समय से तैयारी कर रहे लोगों की बेचैनी भी साफ दिखाई दे रही थी और कई मौकों पर उनकी नाराजगी दिखाई भी दी। हालांकि पार्टी ने कार्यकर्ताओं का मूड भांपने की बजाय कांग्रेस से आए राजेंद्र भंडारी पर ही दांव खेल दिया और उन्हें उपचुनाव में उतार दिया। वहीं कांग्रेस ने लखपत बुटोला को भंडारी के विरुद्ध मैदान में उतार दिया। परिणामस्वरूप नाराज कार्यकर्ताओं ने भंडारी को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब भाजपा की स्थिति ‘अब पछताए होत क्या, जब चिडिय़ा चुग गई खेत’ वाली दिखाई दे रही है।
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बद्रीनाथ विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला ने जीत दर्ज की है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राजेन्द्र सिंह भण्डारी को 5224 मतों से पराजित किया।
बद्रीनाथ सीट पर चार प्रत्याशियों ने उप चुनाव लड़ा। इसमें कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला को सबसे अधिक 28161 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र सिंह भंडारी को 22937 वोट मिले। वहीं तीसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी नवल किशोर खाली को 1813 वोट और सैनिक समाज पार्टी के उम्मीदवार हिम्मत सिंह नेगी को सबसे कम 494 वोट मिले। इसके अलावा इस उपचुनाव में 823 लोगों ने नोटा का बटन भी दबाया।
वोटों की गिनती पूरी होने पर रिटर्निंग ऑफिसर आरके पांडेय ने उप चुनाव में विजेता रहे कांग्रेस उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला को प्रमाण पत्र दिया।
वहीं हरिद्वार की मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का परिणाम घोषित होते ही कांग्रेसियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। हालांकि यह जीत कांग्रेस के लिए इतनी आसान नहीं थी। इसके पीछे पार्टी कार्यकर्ताओं ने कड़ी मेहनत की। इसके अलावा राजनैतिक समीकरण भी कांग्रेस के पक्ष में ही बैठे, जिससे मंगलौर सीट पर भले ही जीत का अंतर काफी कम रहा हो, किंतु काजी निजामुद्दीन एक बार फिर से विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए हैं।
कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन को 31710 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना को 31261 मत प्राप्त हुए। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी उबेर्दुर रहमान (मोन्टी) को 19552 वोट मिले। इस प्रकार काजी निजामुद्दीन ने 449 वोटों से जीत दर्ज की।
कुल मिलाकर अति आत्मविश्वास में डूबी भारतीय जनता पार्टी को यह नतीजे आईने दिखाने के संकेत प्रतीत हो रहे हैं। वहीं कांग्रेस के पक्ष में ये परिणाम ठीक ऐसे समय आए हैं, जब बहुत जल्द राज्य में नगर निकाय और फिर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। यही नहीं केदारनाथ विधानसभा सीट पर भी आगामी छह माह के भीतर उपचुनाव कराया जाना है। कांग्रेस के दिग्गज यदि आपसी सिरफुटव्वल के बजाय जनमुद्दों को लेकर एकजुट होकर संघर्ष करने में सफल रहे तो इस उपचुनाव की भांति जश्न मनाने के और मौके मिलने की संभावना बढ सकती है!