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सियासत : आम आदमी पार्टी से देवेश्वर भट्ट, दौलत कुंवर व कार्यकर्ताओं का इस्तीफा। बीजेपी-कांग्रेस की खिली बांछें

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आम आदमी पार्टी को उत्तराखंड में न पनपने देने की चेतावनी। आप ने सभी आरोप बताए अनर्गल व बेबुनियाद

मुख्यधारा ब्यूरो
देहरादून। अभी पार्टी को ज्वाइन किए जुम्मे-जुम्मे चार दिन ही तो हुए थे। आम आदमी पार्टी पर भरोसा भी पूरा एक सौ एक परसेंट था। तभी तो सैकड़ों कार्यकर्ताओं समेत आप को ज्वाइन करने में तनिक भी हिचक महसूस नहीं की, लेकिन रविवार को एकाएक देवेश्वर भट्ट सहित उत्तराखंड संवैधानिक संरक्षण मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर और कार्यकर्ताओं ने आप से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में आम आदमी पार्टी को जहां जोर का झटका धीरे से लगा है, वहीं भाजपा व कांग्रेस की बांछें खिल गई है।
जी हां,  प्रदेश में अब तक बारी-बारी से शासन करते आ रहे दो प्रमुख दल यह कभी नहीं चाहेंगे कि यहां कोई तीसरा दल उभरकर सामने आए। उत्तराखंड में सियासत इस बार दो प्रमुख दलों बीजेपी-कांग्रेस के बीच नहीं, बल्कि एक ऐसे दल की सामने आई है, जो आगामी विधानसभा चुनाव 2022 की जोर-शोर से तैयारी कर रही है। इसी अभियान को बढ़ाते हुए पार्टी ने गुजरात में व्यवसाय करने वाले देवेश्वर भट्ट और उत्तराखंड संवैधानिक संरक्षण मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर और उनके कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ा था। यह दोनों नाम अच्छा खासा जनाधार भी रखते हैं।
बताते चलें कि देवेश्वर भट्ट हाल ही में तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने लॉकडाउन में प्रवासी उत्तराखंडियों की समस्या को देखते हुए गुजरात से ट्रेनों के जरिए उन्हें उत्तराखंड पहुंचाने में मदद की थी। इसके बाद वह उत्तराखंड में भी खासे चर्चित हो गए। उसके बाद आम आदमी पार्टी मेें वह शामिल हो गए थे।
इधर उत्तराखंड संवैधानिक संरक्षण मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर भी काफी समय से सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं और वह चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनका भी क्षेत्र में अच्छा-खासा जनाधार है।   भाजपा-कांग्रेस की नीतियों से खिन्न दौलत कुंवर व उनके कार्यकर्ता भी आस्था जताते हुए आप में शामिल हो गए थे। तब से लेकर देवेश्वर भट्ट और दौलत कुंवर सहित उनकी पूरी टीम पार्टी को मजबूत करने की दिशा में सक्रिय हो गई थी, लेकिन आज इस्तीफे के वक्त उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि पार्टी उन सभी की अनदेखी कर रही थी।
इस्तीफे के अवसर पर डा. देवेश्वर भट्ट ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुझसे आम आदमी पार्टी ने दिल्ली बुलाकर यह वायदा किया था कि उन्हें उत्तराखंड का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा, लेकिन अब उन्हें कहा जा रहा है कि यदि आपकी साढे तीन सौ करोड़ रुपए देने की क्षमता है तो आपको पद मिलेगा नहीं तो नहीं मिलेगा। इसलिए वह दुखी मन से पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने यह वादा भी किया कि वे लोग भविष्य में प्रदेश में पार्टी को पनपने नहीं देंगे।
दौलत कुंवर ने कहा कि उत्तराखंड संवैधानिक संरक्षण मंच के प्रदेश संयोजक होने के नाते आम आदमी पार्टी में इतनी आस्था थी कि 3 लाख 74 हजार कार्यकर्ताओं को उन्होंने पार्टी के साथ जोड़़ने का कार्य किया। लेकिन अभी हाल ही में मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के राज में एक घटना हुई, जहां किसान दंपत्ति को खेतों में दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। जिस पर उन्हें विवश होकर अपनी जीवन लीला समाप्त करनी पड़ी। उन्होंने इसका विरोध करते हुए कहा था कि आम आदमी पार्टी इस तरह की गुंडई बर्दाश्त नहीं करेगी। इस पर पार्टी के प्रदेश प्रभारी मौनिया ने कहा कि जब तक वे परमिशन नहीं देंगे, तब तक आप अपनी कोई भी बात नहीं रख सकते। तभी से वह घुटन महसूस कर रहे थे। पिछले दस दिनों से उन्हें प्रलोभन दिया जा रहा था कि आपके कार्यकर्ताओं को उत्तराखंड में सर्व पदों पर रखा जाएगा, लेकिन एमपी की निंदनीय घटना पर बोलने के लिए उन्हें रोका गया और उनके कार्यकर्ताओं को प्रताडि़त किया गया। इसलिए वह और उनके कार्यकर्ता पार्टी को छोड़ रहे हैं।

इस संबंध में जब आम आदमी पार्टी की उमा सिसौदिया से पूछा गया तो उनका कहना था कि पार्टी पर लगाए गए सभी आरोप अनर्गल, बेबुनियाद और निराधार हैं। देवेश्वर भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का कोई प्रलोभन नहीं दिया गया। किसी भी नए व्यक्ति को इतना बड़ा पदभार का जिम्मा नहीं दिया जा सकता है। हां उन्हें यह जरूर कहा था कि पार्टी को मजबूत करें, मेहनत कीजिए। उसके बाद आपका कद स्वयं ही पार्टी में बढ़ जाएगा।

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उमा सिसौदिया ने कहा कि जहां तक बात दौलत कुंवर की है, वह सम्मानित व्यक्ति हैं। अभी तक उन्होंने अपना संगठन चलाया है, जिसमें वह सर्वेसर्वा थे और जब चाहे, कोई भी बात रख सकते थे, लेकिन जब आप किसी राष्ट्रीय पार्टी के साथ जुड़ते हैं तो वहां अनुशासन में रहना होता है और पार्टी अनुशासन के हिसाब से अपनी बात रखनी होती है। ऐसे में वह पार्टी की इजाजत के बगैर बयान जारी कर रहे थे तो उन्हें ऐसा न करने के लिए कहा गया।
सिसौदिया ने कहा कि अभी इस्तीफा देने वालों को एक माह का समय भी नहीं हुआ, फिर कैसे नए लोगों को पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। जब वे मेहनत करते तो उनका कद और पद स्वयं ही बढ़ जाता।
कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी की धीरे-धीरे उत्तराखंड में बन रही पैठ को लेकर भाजपा व कांग्रेस भी चिंतित दिखाई दे रहे हैैं। उनकी चिंता जायज भी है, क्योंकि कहीं न कहीं इन दोनों दलों से नाराज कार्यकर्ता तीसरे विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी की शरण में जा सकते हैं। ऐसे में पार्टी में मची इस सियासत के बाद इन दोनों प्रमुख दलों ने थोड़ी सी राहत जरूर महसूस की है। हालांकि इन दोनों दलों को ‘आप’ को इस तरह से कमजोर आंकना भूल भी साबित हो सकता है।

बहरहाल, पार्टी से इस्तीफा देने वाले नेताओं द्वारा लगाए गए आरोप कितने सही हैं या फिर पार्टी ने उन्हें प्रलोभन दिया या नहीं दिया, यह तो वे लोग ही बेहतर बता सकते हैं, लेकिन अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में किस तरह की नई रणनीति अपनाती है और पार्टी से इस्तीफा देने वाले नेताओं की क्या नई रणनीति होगी, यह समय ही बताएगा।

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