एक्सक्लूसिव : अस्थिरता का माहौल : अग्निपथ (agnipath) से गुस्साए युवाओं को शांत करने के बजाय राजनीतिक दल राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) में उलझे - Mukhyadhara

एक्सक्लूसिव : अस्थिरता का माहौल : अग्निपथ (agnipath) से गुस्साए युवाओं को शांत करने के बजाय राजनीतिक दल राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) में उलझे

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शंभू नाथ गौतम

मौजूदा समय में सड़क से लेकर राजधानी दिल्ली तक सियासत गरमाई हुई है। अगले महीने 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) के लिए भाजपा और विपक्षी दल दांवपेंच लगाए हुए हैं। मतलब साफ है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष अपना-अपना राष्ट्रपति बनाने के लिए मीटिंग करने में व्यस्त हैं।

वहीं देश के कई राज्यों में सेना में भर्ती को अग्निपथ (agnipath) की स्कीम के विरोध पर लाखों युवा लगातार छह दिनों से सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसकी वजह से कई शहरों में हिंसा और आगजनी की घटनाओं से आम नागरिकों में दहशत का माहौल है। युवाओं के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए सैकड़ों ट्रेनों को रद कर दिया गया है। बाजार के साथ व्यापार भी प्रभावित हो रहा है।

अग्निपथ योजना(agnipath) पर बवाल बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच कुछ संगठनों ने आज भारत बंद का एलान किया है। इसका असर भी दिखाई दे रहा है। दिल्ली-एनसीआर, बिहार समेत कई शहरों में सड़कों पर जाम के साथ प्रदर्शन किए जा रहे हैं ।

अग्निपथ योजना के खिलाफ भारत बंद के एलान में कई संगठन शामिल हैं। पिछले कई दिनों से प्रदर्शन के नाम पर हिंसक घटनाएं हो रही हैं। इसमें सरकारी संपत्ति से तोड़फोड़, आगजनी आदि शामिल है। प्रदर्शनकारी अब तक कई ट्रेनों और बसों को आग के हवाले कर चुके हैैं।

दिल्ली के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में अफरा-तफरी का माहौल है। ‌अग्निपथ(agnipath) का विरोध कर रहे युवाओं के साथ कांग्रेस भी मैदान में कूद पड़ी है। ‌सड़कों पर आक्रोश और अराजकता का माहौल है। कई राज्यों में यह बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। सड़कों में जारी हिंसा को रोकने के बजाय राजनीतिक दल राष्ट्रपति चुनाव में उलझे हैं।

जेपी नड्डा ने राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) को लेकर बैठक कर किया मंथन

राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) को लेकर सियासी दलों के बीच गहमागहमी तेज हो गई है। चुनाव को लेकर विपक्ष की बैठक के बाद अब बीजेपी भी मंथन कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की उसके बाद बीजेपी की अहम बैठक हुई। ये बैठक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर आयोजित की गई।

इस बैठक में गजेंद्र शेखावत, अश्विनी वैष्णव, ओम पाठक, विनोद तावड़े, संबित पात्रा, अर्जुन राम मेघवाल, जी किशन रेड्डी व अन्य मौजूद रहे। ये बैठक करीब एक घंटे तक चली। जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) को लेकर विस्तार से चर्चा की गई।

बता दें कि, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सभी सियासी दलों के साथ बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राजनाथ सिंह कई विपक्षी नेताओं से राष्ट्रपति चुनाव पर उम्मीदवारों को लेकर बात कर चुके हैं।

ममता बनर्जी के बाद शरद पवार एक बार फिर विपक्षी दलों के साथ कल करेंगे बैठक

राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) को लेकर विपक्ष एक बार फिर से मंगलवार को मीटिंग करने जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद अब एनसीपी चीफ शरद पवार ने 21 जून को नई दिल्ली में विपक्ष की बैठक बुलाई है। टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि ममता बनर्जी कुछ जरूरी प्रोग्राम्स की वजह से बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगीं। हालांकि टीएमसी की ओर से अभिषेक बनर्जी बैठक में मौजूद रहेंगे।

इससे पहले 15 जून को दिल्ली में ममता बनर्जी के नेतृत्व में विपक्ष की बैठक हुई थी। बैठक में शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और गोपाल गांधी के नाम पर सहमित बनी थी।

एनसीपी चीफ शरद पवार के नाम पर तो इस बैठक से पहले विपक्ष के सहमत होने की खबरें आ रही थीं, लेकिन शरद पवार इस राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का उम्मीदवार बनने से इनकार कर दिया। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला के नाम पर चर्चा शुरू हुई।

वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक ने संयुक्त विपक्ष के फैसले का सम्मान करते हुए अपना नाम वापस ले लिया।

बता दें कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) के लिए वोटिंग होनी है। वहीं 21 जुलाई को नतीजे आएंगे। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है।

कुल मिलाकर इस समय राजनीतिक दल राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) में अपने-अपने उम्मीदवार चुनने में व्यस्त हैं। वहीं अग्निपथ पर युवाओं का प्रदर्शन और गुस्से को शांत करने के लिए फिलहाल सत्ता पक्ष या विपक्ष आगे आता नहीं दिख रहा। जिसके वजह से सड़कों पर जारी हिंसा में आम लोग भी सहमे हुए हैं।

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