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अंकिता (Ankita) के परिजन,नहीं सूखे माता-पिता के आंसू,कौन था वीआईपी ?

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अंकिता (Ankita) के परिजन,नहीं सूखे माता-पिता के आंसू,कौन था वीआईपी ?

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

17 सितंबर 2022 को पूरा उत्तराखंड सिहर गया था, जब अंकिता की लाश गंगा नदी से मिली थी। अंकिता भंडारी की वनंत्रा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने अपने दो साथियों के साथ हत्या कर दी थी। लेकिन शर्म की बात है कि एक गरीब मां बाप अपनी बेटी के लिए इंसाफ मांगने के लिए दर दर भटक रहे हैं, लेकिन साल भर होने के बाद भी उनको न्याय नहीं मिल सका है। एक साल बीत जाने के बाद भी अंकिता के माता-पिता उसे याद कर रोने लगते हैं।अंकिता के माता-पिता आज भी बेटी खोने के दर्द से जूझ रहे हैं। करीब एक साल पहले पौड़ी जिले के डोभ श्रीकोट निवासी वीरेंद्र भंडारी की इकलौती बेटी अंकिता यमकेश्वर के वनंत्रा रिजॉर्ट से गुम हो गई थी। पिता वीरेंद्र भंडारी ने बताया कि लाडली बेटी को खो देने का गम आज तक उनको सता रहा है। लाडली के साथ ऐसा हादसा होगा, इस बात को याद करके भी रूह कांप जाती है।

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अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद हर कोई उसके लिए इंसाफ की मांग कर रहा था, मगर साल भर होने के बाद भी अंकिता को इंसाफ दिलाने में सरकार नाकामयाब रही है। आज भी उसके माता पिता, अपनी बच्ची के लिए लड़ रहे हैं। सरकार ने अंकिता के गांव तक सड़क पहुंचाने व बेटे को सरकारी नौकरी देने का भी भरोसा दिया था, लेकिन एक साल होने को है। ये दोनों ही बातें आज तक पूरी नहीं हुई। अंकिता के माता-पिता की आंखें अब केवल न्याय मिलने की राह देख रही हैं। शर्म की बात यह है कि अबतक अंकिता भंडारी हत्याकांड से जुड़े कई गवाह पेश हो चुके हैं जो कि इसको इंगित करते हैं कि पुलकित आर्या और उसके साथियों ने अंकिता की हत्या की है। यहां तक की तीनों ने हत्या का जुर्म भी कबूला है। उसके बावजूद, साल भर के बाद भी अंकिता को अब तक न्याय नहीं मिल सका है।

इस मामले में सरकार के आदेश से फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई शुरू हुई। पुलिस ने चार्जशीट में 97 गवाह बनाए।इनमे से अब तक19गवाहों की गवाही कोर्ट में हुई है। इस दौरान गवाहों ने कोर्ट के सामने बहुत से नए तथ्यों को उजागर किया है। अंकिता भंड़ारी की हत्या के बाद पूरे उत्तराखंड में विरोध प्रदर्शन हुए थे। कई जगह विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस से भी झड़पें हुई थी। राज्य सरकार ने अंकिता भंडारी के नाम पर डोभ (श्रीकोट) कॉलेज का नाम रखने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 16 सितंबर को इस संबंध में एक्स पर लिखा, “हमारी सरकार ने राजकीय नर्सिंग कॉलेज डोभ (श्रीकोट) का नाम दिवंगत बेटी अंकिता भण्डारी के नाम पर रखे जाने का निर्णय लिया है। हम बेटी अंकिता के परिजनों के साथ खड़े हैं और प्रदेश की हर बेटी का सम्मान और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु संकल्पबद्ध हैं”। अंकिता के माता-पिता अब भी उसे न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे हैं। बेटी का जिक्र करते हुए उनकी आंखों में पानी आ जाता है, जबान लड़खड़ाने लगती है लेकिन बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए उनके हौसले बुलंद हैं।

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उत्तराखंड में जिस तरह से महिला उत्पीड़न के मामले बढ़ रहे हैं सरकार को चाहिए की कड़े कदम उठाए जिससे इस तरह के मामलों की
पुनरावृत्ति ना हो। आज एक वर्ष पूर्ण होने के बाद भी अंकिता के हथियारों को सजा नहीं मिली। वीआईपी के नाम का खुलासा सरकार के ढीला रवैया कारण आज भी नहीं हुआ। जिस वीआईपी के कारण अंकिता भंडारी को अपनी जान गंवानी पड़ी है, सरकार उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलाएं। आज भी उसके माता-पिता न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं अंकित भंडारी के माता-पिता को जब अंकिता की याद आती है तो उनकी आंखें नम हो जाती है वह उस दिन को याद करके रोने लगते हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार अंकित भंडारी को न्याय क्यों नहीं मिल पाया क्यों साल भर बाद भी अंकित के माता-पिता न्याय के लिए भटक रहे हैं हालांकि इस मामले पर सरकार के आदेश पर फास्ट ट्रैक अदालत में सुनवाई हुई है पुलिस ने चार्ज सीट में 97 गबाह बनाए हैं। इनमें से अब तक 19 का गबाहो की कोर्ट में गवाही हो चुकी है लेकिन अभी अंकिता के परिजनों को न्याय की दरकार है।

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अंकिता भंडारी हत्याकांड की बरसी, देहरादून में सड़कों पर उतरे लोग, बेटी की याद कर रो पड़ी मां अंकिता भंडारी वनंत्रा रिजॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करती थी, जहां उसकी हत्या कर दी गई। अंकिता हत्याकांड की बरसी पर बेटी को याद कर मां सोनी की आंखें भर आईं। उनका कहना था कि जब सरकार हत्याकांड में लिप्त वीआईपी का नाम उजागर करेगी और आरोपियों को फांसी देगी तभी उनकी बेटी को सच्ची श्रद्धांजलि मिलेगी अंकिता के माता-पिता आज भी बेटी खोने के दर्द से जूझ रहे हैं। एक साल होने बाद भी अंकिता के माता-पिता अपनी लाडली को याद कर आज भी फफक-फफक कर रो पड़ते हैं। अंकिता के माता-पिता की आंखें अब केवल न्याय मिलने की राह देख रही हैं।

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किसे पता था कि पढ़ा-लिखाकर जिस बेटी को समाज में जीने लायक बनाया, उसी समाज ने उसे मौत के घाट उतार दिया। यह कहना है कि दिवंगत अंकिता के पिता का। इकलौती बेटी को याद कर आज भी पिता की आंखें नम हो जाती हैं। करीब एक साल पहले पौड़ी जिले के डोभ श्रीकोट निवासी वीरेंद्र भंडारी की इकलौती बेटी अंकिता यमकेश्वर के वनंत्रा रिजॉर्ट से गुम हो गई थी। पिता ने बताया कि लाडली बेटी को खो देने का गम आज तक उनको सता रहा है।लाडली के साथ ऐसा हादसा होगा, इस बात को याद करके भी रूह कांप जाती है। बेटी को खो जाने का गम तो जीवन भर रहेगा, लेकिन सिस्टम का उन्हें साथ नहीं मिला कुल मिलाकर अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले को आज एक साल पूरा हो गया है लेकिन अभी भी अंकिता को न्याय ना मिलना बेहद चिंता की बात है। हांलाकि मुख्यमंत्री ने परिजनों को आश्वस्त तो किया है कि राज्य सरकार बेटी अंकिता के परिजनों के साथ खड़ी है। प्रदेश की हर बेटी का सम्मान और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार संकल्पबद्ध है देखना होगा कबतक अंकिता को न्याय मिल पाता है।

( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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