कोटद्वार/मुख्यधारा
अवैध खनन मामले में वन मंत्री हरक सिंह के निर्देशों पर कार्यवाही करते हुए उप वन संरक्षक/डीएफओ को लैंसडौन वन प्रभाग कोटद्वार से हटाकर प्रमुख वन संरक्षक कार्यालय देहरादून से संबद्ध किया गया है।
इस संबंध में सचिव विजय कुमार यादव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि भारतीय वन सेवा-उत्तराखंड संवर्ग के उप वन संरक्षक/प्रभागीय वनाधिकारी लैंसडौन वन प्रभाग कोटद्वार के प्रभार से अवमुक्त करते हुए अग्रिम आदेशों तक प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) उत्तराखंड देहरादून के कार्यालय से संबद्ध किया गया है।
इस संबंध में वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत का कहना है कि मेरी ही विधानसभा क्षेत्र में इस तरह से अवैध खनन हो रहा है। मंैने यहां के अधिकारियों से चीफ गढ़वाल पटनायक जी से कहा था कि इसकी जांच कराएं। जो जांच रिपोर्ट आई है, उसमें जांच टीम ने स्वीकार किया है कि यहां अवैध रूप से खनन हुआ है। यहां बड़े-बड़े खड्ड हुए हैं, जो रिवर ट्रेनिंग के नाम हुए हैं।
हरक सिंह रावत ने कहा कि इससे मेरी छवि पर कुप्रभाव पड़ रहा है। लोग ये सोचते थे कि मैं वन मंत्री हूं और वन विभाग मेरी देख-रेख में अवैध खनन कर रहा है। इसलिए इसकी निष्पक्ष जांच हो सके, इसलिए लैंसडौन वन प्रभाग कोटद्वार के डीएफओ को मैंने पत्र लिखा है और निर्णय लिया गया है कि डीएफओ को वन मुख्यालय में संबद्ध किया जा रहा है। उनके खिलाफ जांच की जाएगी और अगर वे जांच में दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ सरकार कठोर कदम उठाएगी। इस तरह ये द्वंद खत्म किया।
वन मंत्री ने कहा कि उन्हें लोग कई बार कहते थे कि अवैध खनन हो रहा है, किंतु वे सोचते थे कि शायद ये नियमों के तहत हो रहा होगा। क्योंकिं रिवर ट्रेनिंग में यह भी है कि नदी के बीच में साफ करना पड़ता है, किंतु यहां अवैध खनन डीएफओ की देख-रेख में हो रहा है, इसलिए सरकार को ये कदम उठाना पड़ा।
वहीं इस संबंध में डीएफओ दीपक सिंह का कहना है कि इस तरह के सभी आरोप निराधार हैं।
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