बलूनी की इगास पर त्रिवेंद्र रावत की छठ पूजा भारी
राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने कई माह पहले ‘अपना वोट – अपने गांव’ अभियान के तहत देश विदेश के उत्तराखंड के प्रवासियों से अपील की थी कि वे अपना लोक पर्व ईगास अपने गांव में मनाए, जिसको लेकर उत्तराखंड की नामचीन हस्तियों ने भी इस अभियान में हिस्सा लेकर प्रवासियों से ईगास पर्व अपने ही गांव में मनाने की अपील की। उत्तराखंड के अनेक लोक कलाकार भी इस अभियान में सम्मिलित हुए। पर्वतारोही बछेंद्री पाल, गीतकार प्रसून जोशी, पद्मश्री प्रीतम भरतवाण से लेकर अनेक नामी उत्तराखंडी इस अभियान में भागीदार बने।
उत्तराखण्ड में बलूनी की बढ़ती चर्चाओं और केंद्र में अपने प्रभाव से उत्तराखंड से जुड़े बड़े मामलों में कार्य करने के कारण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और बलूनी के बीच दूरियां बढ़ गई थी, जिसके बाद बाकायदा अनिल बलूनी के खिलाफ एक अभियान ही चल पड़ा। हाल के दिनों में सुनियोजित तरीके से उनके इलाज का मजाक बनाया गया। जहां बलूनी एक माह से ज्यादा समय से गंभीर रूप से अस्वस्थ हैं और उपचार करा रहे हैं। इन सब जानकारियों के बाद भी मुख्यमंत्री कैंप के चहेतों द्वारा बलूनी के पंचायत चुनाव में वोट न डालने को लेकर मजाक उड़ाया गया। निजी हमले किये गये।
यह अभियान यहीं नहीं रुका, आठ नवम्बर को ईगास मनाने के लिए प्रवासियों से जो अपील की गई है, उसकी हवा निकालने के लिए बाकायदा पूरे सप्ताह का एक अभियान चलाया जा रहा है, जो 9 नवंबर राज्य स्थापना दिवस के दिन तक चलेगा। इसके पीछे इगास की अनदेखी भी है। बेहतर होता राज्य सरकार इस दिन को लोग पर्वों के नाम पर समर्पित कर सकती थी। हड़बड़ी में सरकार के काबिल सलाहकार गैरसैंण को भूल गये। पूरे सप्ताह के बड़े-बड़े कार्यक्रमों में गैरसैंण विधान भवन को कोई जगह नहीं मिली। जिस लोक पर्व इगास की देश विदेश में चर्चा हो रही हो, उसके लिए सरकार एक दिन की छुट्टी का शासनादेश जारी कर सकती थी, किंतु छठ के नाम छुट्टी कर सरकार ने विकास को धुंधला करने की कोशिश की है। बहरहाल बलूनी इन सबसे दूर अपनी बीमारी से जूझ रहे हैं।