जब हरीश रावत बने थे उत्तराखण्ड के बेस्ट सीएम, दोनों विधानसभा सीटों से हार गए थे चुनाव
7 अगस्त 2015 को दिल्ली की एक कंपनी ने देहरादून के नगर निगम हाल में एक कार्यक्रम में तत्कालीन हरीश रावत को मुख्यमंत्री रहते बेस्ट सीएम अवार्ड दिया गया।
हरीश रावत से पहले बीस विधायकों को एम एल ए आफ द इयर अवार्ड दिया गया। विधायक लोग परिवार, रिश्तेदारों व समर्थकों को लेकर अवार्ड लेने पहुंचे। बाद में अवार्ड पाने वाले विधायक अजय भट्ट, ललित फर्सवाण, भीम लाल आर्य, विजय पाल सजवाण, डा. जीतराम, मदन बिष्ट सहित 90% अवार्ड पाने वाले विधायक, यहाँ तक कि स्वयं हरीश रावत तक भी दो विधानसभाओं से चुनाव लड़ने के बावजूद चुनाव हार गये। भाजपा ने अवार्ड पाने वाले विधायक महावीर रांगड़ को तो टिकट देने लायक भी नहीं समझा।
सवाल यह है कि अब यह कैसे हो गया होगा? भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट इतना बड़ा अवार्ड पाने के बावजूद प्रचंड मोदी लहर, जिसमें 57 सीट भाजपा जीती थी, के बावजूद अपनी सीट नहीं बचा पाये।
इस अवार्ड समारोह के मुख्य अतिथि भी हरीश रावत ही थे और बेस्ट सीएम का अवार्ड उन्हें अजय भट्ट, प्रबल प्रताप सिंह व यशपाल आर्य के हाथों दिया गया। जिन विधायकों के क्षेत्र में लाइट नहीं आती, इंटरनेट सेवा बदहाल थी, उन्हें आनलाइन सर्वे के माध्यम से तब बेस्ट एमएलए आफ द इयर अवार्ड मिला था। चुनाव के बाद पता चला कि अवार्ड देने वाले और लेने वाले बहुत भले लोग थे, वोट देने वाली जनता ही कलियुगी निकली, जो अपने हीरों को पहचान न सकी।
बहरहाल, बेस्ट सीएम बनने का यह सिलसिला जारी है और वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हाल ही में सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री के खिताब से नवाजा गया है। ऐसे में पिछले इन तमाम उदाहरणों को देखते हुए उनके सम्मुख कई चुनौतियां खड़ी होंगी, जिनसे पार पाने के लिए उन्हें पिछले उदाहरणों से सबक लेकर कुछ अलग करके जनता का विश्वास जीतना होगा।