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कैबिनेट बैठक : मोदी सरकार ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल को दी मंजूरी, अगले सप्ताह संसद में पेश होगा, विपक्ष ने जताया विरोध

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कैबिनेट बैठक : मोदी सरकार ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल को दी मंजूरी, अगले सप्ताह संसद में पेश होगा, विपक्ष ने जताया विरोध

मुख्यधारा डेस्क

राजधानी दिल्ली में गुरुवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मोदी सरकार ने “एक देश एक चुनाव” देश में लागू करने के लिए बिल को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट से मंजूरी के बाद इस विधेयक को अगले सप्ताह संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने इसकी सिफारिश की थी। इससे लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव एक साथ होंगे। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के बाद यह फैसला आया है। इससे लोकसभा, विधानसभा, नगर निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ होंगे। यह सब 100 दिनों के अंदर होगा।

सरकार का मानना है कि इससे देश की जीडीपी में 1-1.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी। कई नेताओं ने इस फैसले का समर्थन किया है। उनका कहना है कि बार-बार चुनाव से समय और पैसा दोनों बर्बाद होते हैं। बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा था कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर आम सहमति बनानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मामला किसी एक दल का नहीं, बल्कि पूरे देश के हित में है। विपक्ष ने इस फैसले पर आपत्तियां जताई हैं।

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आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन अलोकतांत्रिक व असंवैधानिक है। एक चुनी हुई सरकार की समय से पहले हटाना या किनारे करना या किसी की अवधि बढ़ाना भी ठीक नहीं। सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि पहले मसौदा आने दीजिए। पढ़ने के बाद तय करेंगे। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन का सदन में विरोध करेंगे।

उल्लेखनीय है कि सितंबर में सरकार ने इसके लिए बनाई गई हाईलेवल कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दी थी, जिसमें लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को चरणबद्ध तरीके से एक साथ कराने का प्रस्ताव था। सिफारिशों के अनुसार पहला बिल संविधान के अनुच्छेद 82ए में संशोधन करेगा, जिससे लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल की समाप्ति एक साथ हो सके।

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इस बिल को लागू करने के लिए राज्यों से सहमति की जरूरत नहीं होगी, लेकिन अगर स्थानीय निकाय चुनावों को लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ करने का प्रस्ताव आता है, तो उसे कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों की विधानसभाओं से मंजूरी की आवश्यकता होगी।

बता दें कि केंद्र सरकार शुरू से ही वन नेशन, वन इलेक्शन के समर्थन में रही है। हालांकि, मौजूदा व्यवस्था को बदलना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। इसके लिए आम सहमति बेहद आवश्यक है। देश में एक राष्ट्र एक चुनाव को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करने के लिए करीब 6 विधेयक लाने होंगे। इन सभी को संसद में पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी।

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