कर्नाटक में भाजपा सरकार के लगाए गए हिजाब (Hijab) पहनने के प्रतिबंध को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हटाया, जानिए पूरा मामला
आदेश आज से लागू
मुख्यधारा डेस्क
कर्नाटक में करीब डेढ़ साल से चला रहा हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हटाने का एलान किया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में मुस्लिम वर्ग के लोगों ने खुशी जताई है। पिछली भाजपा सरकार ने कर्नाटक में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को हिजाब पर लगे बैन को हटाने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी पसंद के हिसाब से कपड़े पहनने का अधिकार है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध आज से हटा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पोशाक और भोजन का चुनाव व्यक्तिगत है और इसमें किसी को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मैसूरु जिले के नंजनगुड में तीन पुलिस स्टेशनों के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी को भी वोट बैंक की राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उन्होंने कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर लगे बैन को हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
सिद्धारमैया ने कहा कि अपनी पसंद के कपड़े पहनना हर किसी का अधिकार है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी परिधान और जाति के आधार पर लोगों और समाज को बांटने का काम कर रही है। मैंने हिजाब पर लगे बैन को हटाने के निर्देश दिए हैं।
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पीएम मोदी का ‘सब का साथ, सब का विकास’ का नारा फर्जी है। बीजेपी परिधान और जाति के आधार पर लोगों और समाज को बांट रही है। फरवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में क्लासरूम के भीतर हिजाब पर बैन लगा दिया गया था। इसके बाद एक-एक कर कई शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाए गए थे। इसके बाद कर्नाटक की तत्कालीन बसवराज बोम्मई सरकार ने स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पर बैन लगाने के आदेश दिए थे। भाजपा सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे। इस मामले पर राज्य में काफी विवाद हुआ था। बाद में राष्ट्रीय स्तर पर मामला पहुंचने पर राजनीतिक सियासत गरमा गई थी। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था, जहां कोर्ट ने इस मामले पर बंटा हुआ फैसला दिया था।
कोर्ट की खंडपीठ ने चीफ जस्टिस से अनुरोध किया था कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा जाए। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।