नीरज कंडारी/पोखरी, चमोली
वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव एवं रोकथाम के लिए सरकार जहां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, वहीं जिलों में इसके लिए जिम्मेदार लोगों की लापरवाही के कारण कई लोगों की जान खतरे में पड़ रही है। ताजा मामला चमोली जनपद का है, जहां पिछले चौबीस घंटे बीत जाने के बाद भी कोरोना मरीजों को कोविड सेंटर/आइसोलेशन सेंटर नहीं पहुंचाया जा सका है। यह संबंधित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की घोर लापरवाही को दर्शाता है।
मामला चमोली जनपद के पोखरी के नजदीकी गांव का है, जहां दो कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों को कोविड केयर सेंटर/आइसोलेशन सेंटर में ले जाकर आइसोलेट नहीं किया गया। कोरोना मरीजों के प्रति बरती गई इस लापरवाही से ग्रामीणों आक्रोश है और वे आशंका जता रहे हैं कि ऐसे में गांव के अन्य लोग भी संक्रमित हो सकते हैं।
इस संबंध में जब जनपद के स्वास्थ्य विभाग से बात की गई तो उनका कहना है कि भारी बारिश होने के कारण देरी हो रही है, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि 24 घण्टे में इस इलाके में ऐसी बारिश हुई ही नहीं। मजेदार बात यह है कि पॉजिटिव मरीजों का गांव आइसोलेशन वार्ड से मात्र 8-9 किलोमीटर की ही दूरी पर स्थित है।
अब इसे लापरवाही कहें या कोविड-19 के सुरक्षा नियमों का घोर उल्लंघन, यह तो विभागीय कर्मचारी ही बेहतर बता सकते हैं, किंतु ऐसी बीमारी के प्रति लापरवाही बरती जानी उत्तराखंड सरकार के कोरोना से बचाव एवं रोकथाम वाले प्रयासों को भी पलीता लगा रही है।
समाचार लिखे जाने तक स्वास्थ विभाग की टीम गांव तक नहीं पहुंची थी। हालांकि इस संवाददाता के पूछने पर डाक्टर ने कहा कि हम टीम 9 बजे तक भेज रहे हैं।
ग्राम प्रधान व निगरानी समिति को भी इनकी पॉजिटिव होने की कोई जानकारी प्रशासन व स्वास्थ विभाग ने नहीं दी है। इससे प्रतीत होता है कि जनपद का स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। ग्रामीणों में इस लापरवाही को लेकर रोष दिखाई दे रहा है।
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