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सुरक्षा का नायाब तरीका: दिल्ली के चौक-चौराहों पर लंगूरों (langurs) के शक्ल के लगाए गए कटआउट, लंगूर की आवाज निकालने के लिए गार्ड भी किए तैनात, जानिए पूरा मामला

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सुरक्षा का नायाब तरीका: दिल्ली के चौक-चौराहों पर लंगूरों (langurs) के शक्ल के लगाए गए कटआउट, लंगूर की आवाज निकालने के लिए गार्ड भी किए तैनात, जानिए पूरा मामला

मुख्यधारा डेस्क

किसी भी देश की राजधानी सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से सबसे सुरक्षित मानी जाती है। ऐसे ही भारत की राजधानी नई दिल्ली भी है जहां पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत सभी केंद्रीय सरकार के मंत्रियों का आवास है। किसके साथ राजधानी दिल्ली में ही विदेशी दूतावास के दफ्तर भी हैं। इन सभी वीवीआईपी हस्तियों की सुरक्षा में हजारों की संख्या में जवान 24 घंटे मुस्तैद रहते हैं। अब राजधानी दिल्ली में विदेशी मेहमानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कमांडो या पुलिसकर्मी नहीं, बल्कि लंगूरों के शक्ल के कटआउट लगाए जा रहे हैं।

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बता दें कि 10 दिन बाद राजधानी में G20 समिट की मीटिंग 9 और 10 सितंबर को दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में आयोजित की जाएगी। इस मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और राजनायिक दिल्ली पहुंचने वाले हैं। केंद्र सरकार ने इस समिट को भव्य बनाने के लिए सभी तैयारी कर ली है। दिल्ली में बंदरों की आबादी बहुत ज्यादा है। रिहायशी इलाकों के अलावा दफ्तरों और ऐतिहासिक स्थलों पर भी बंदर खुलेआम घूमते हैं। आए दिन आम लोग इनके हमले का शिकार होते हैं। इससे निपटने के लिए एनडीएमसी, एमसीडी और अन्य एजेंसियों ने लंगूर का कटआउट हर चौक-चौराहों पर लगाने का फैसला लिया है। मंगलवार को दिल्ली के कई वीआईपी इलाकों में लंगूरों के कटआउट लगाए गए। इस दौरान वहां से गुजर रहे लोगों ने लंगूरों के कटआउट के साथ फोटो भी खिंचवाए। बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी का लुटियंस जोन भी बंदरों के आतंक से अछूता नहीं है, जबकि यहां राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, बड़े-बड़े नेताओं और बिजनसमैन के बंगले हैं।

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जी-20 समिट के दौरान बंदरों को इन इलाकों से दूर रखने के लिए लंगूर के कटआउट्स के साथ 30-40 ऐसे लोगों की तैनाती होगी। 8 से 10 सितंबर के दौरान बंदरों की बेरोकटोक आवाजाही की वजह से विदेशी मेहमानों को परेशानी न हों। न ही बंदर उनकी मूवमेंट में बाधा उत्पन्न कर सके। लंगूर के जो कटआउट लगाए हैं, वहां पर दो सुरक्षा गार्ड भी तैनात होंगे। दो में से एक लंगूर की तरह आवाज निकालने में माहिर होगा, जबकि दूसरा कटआउट की रखवाली करेगा।

राजधानी के इन स्थानों पर बंदरों का सबसे ज्यादा रहता है आतंक

जी 20 शिखर सम्मेलन में सरदार पटेल रोड सबसे अहम है। इस रोड पर स्थित होटल में विदेशी मेहमान रुकेंगे। इनमें अमेरिका के राष्ट्रपति सहित अन्य महत्वपूर्ण लोग भी शामिल हो सकते हैं। इस सड़क पर अक्सर बंदरों का आतंक रहता है। 11 मूर्ति से ताज होटल तक बंदर रिज क्षेत्र से निकलकर बाहर सड़क पर आ जाते हैं। सबसे ज्यादा समस्या मालचा मार्ग से बापू धाम तक है। ऐसे में जी 20 आयोजन के दौरान इन बंदरों को सड़कों तक आने से रोकने के लिए लंगूर का कटआउट का विकल्प लगाया जा रहा है। नई दिल्ली क्षेत्र में सेना भवन, शास्त्री भवन, ताज पैलेस होटल सहित अन्य जगहों पर बंदरों का आतंक है। ये बंदर किसी पर भी हमला कर देते हैं। इन बंदरों के हमले में कई बार लोग तक घायल हो जाते हैं।

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जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान इन्हें रोकने के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल एनडीएमसी उन जगहों की पहचान कर रही है, जहां बंदरों का आतंक है। ऐसे जगहों पर यदि कटआउट से बात नहीं बनती तो पड़ोसी राज्यों से लंगूर लाने की भी व्यवस्था की जाएगी।बंदरों के आतंक को दूर करने के लिए नई दिल्ली नगरपालिका परिषद 30 ऐसे लोगों की तैनाती करेगा, जो लंगूर की आवाज निकालने में माहिर हैं।

सरकार के एक अधिकारी ने कहा, ‘सम्मेलन के मुख्य स्थल समेत अन्य सभी महत्वपूर्ण स्थानों, विदेशी मेहमानों के होटलों को कवर किया जा रहा है ताकि कार्यक्रम के दौरान बंदरों की फौज न दिखाई दे, एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि आयोजन स्थलों के आसपास 30-40 प्रशिक्षित लोगों को तैनात किया जाएगा जो लंगूर की आवाज निकाल सकें और बंदरों को डरा सकें। एक अधिकारी ने बताया कि सरदार पटेल मार्ग समेत विभिन्न क्षेत्रों में लंगूरों के कटआउट भी लगाये गए हैं जहां बड़ी संख्या में बंदर हैं। उन होटलों में भी एक-एक लंगूर का कटआउट रखा जाएगा, जहां विदेशी मेहमान रुकेंगे। दिल्ली में G20 नेताओं की शिखर बैठक 9 और 10 सितंबर को होने वाली है। इसे ध्यान में रखकर बड़ी संख्या में प्रमुख सड़कों और शहर के अन्य क्षेत्रों की साफ सफाई की गई है। साथ ही प्रगति मैदान में नवनिर्मित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में होने वाले प्रमुख कार्यक्रम की तैयारियों के तहत उनका सौंदर्यीकरण किया गया है।

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