डीजीसीए व एटीसी नियमों का हो कड़ाई से पालन, खटारा हैली चलाने पर लगे प्रतिबंध : करन माहरा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा की अगुवाई में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव को सौंपा 6 सूत्री ज्ञापन
देहरादून/मुख्यधारा
उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में लगातार हो रही हैली दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य में मौत की उड़ानों पर लगाम लगाने व डीजीसीए व एयर ट्रैफिक नियमावली का कड़ाई से पालन किए जाने समेत छह सूत्री मांगों को लेकर आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करण माहरा के नेतृत्व में आज शाम प्रदेश के मुख्य सचिव आनंद वर्धन से उनके सचिवालय स्थित कार्यालय में मिला। प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने मुख्य सचिव से वार्ता के दौरान कहा कि राज्य की सबसे प्रतिष्ठित चार धाम यात्रा में पिछले सवा महीने में पांच हिली दुर्घटनाएं घटित होना और उसमें अब तक तरह लोगों की अकाल मृत्यु होना बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि यह दुर्घटनाएं राज्य में एक पारदर्शी व सुरक्षा की दृष्टि से लचर उड्डयन नीति के कारण घटित हो रही हैं ।
उन्होंने कहा कि राज्य में कोई तय हैली संचालन के लिए तय मानक नहीं है और एटीसी व डीजीसीए नियमावली का अता पता ही नहीं है। उन्होंने कहा कि कितनी उड़ानें होनी हैं कितनी लैंडिंग होनी हैं कितने घंटे एक हैली लगातार उड़ सकता है इसका कोई हिसाब किताब नहीं है और खटारा हैलिकॉप्टरों का संचालन व अंधाधुंध उड़ान हैली दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि आज अंधाधुंध हैली उड़ानों के कारण उत्तराखंड में पर्यावरणीय चिंताएं भी बढ़ रही हैं, राज्य के नैशनल पार्क, वन्य जीव व ग्लेशियर सभी को खतरा पैदा हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्य सचिव से मांग करते हुए कहा कि राज्य में एक पारदर्शी डीजीसीए व एयर ट्रैफिक सिस्टम के दिशानिर्देशों वाली पारदर्शी उड्डयन नीति बनाई जाए और उसका कड़ाई से पालन हो।
माहरा ने प्रदेश में घट रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्य सचिव से मांग करी कि पहाड़ों में चार पहिया गाड़ियों के चालकों के लिए हिल ड्राइविंग लाइसेंस आवश्यक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नैनीताल में नई टैक्सी परमिटों पर प्रतिबंध लगा हुआ है किन्तु देश भर के अन्य प्रांतों की टैक्सियां को नैनीताल समेत पूरे पहाड़ में चलने की अनुमति है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने मुख्य सचिव से कहा कि प्रदेश में अब तक संचालित हो रही हैली सेवाओं पर सरकार व उड्डयन विभाग का कोई नियंत्रण नहीं था या यूं कहा जाए कि उनको मन माफिक उड़ने की अलिखित अनुमति सरकार व शासन प्रशाशन ने दे रखी थी जिसके कारण सारे नियम दर किनारे कर यात्रियों की जान से खिलवाड़ करते हुए हैली सेवा चल रही थी। धस्माना ने कहा कि १५ जून को घटित दुर्घटना भी नियमों की धज्जियां उड़ाने से हुई क्योंकि जिस हैली को प्रातः छह बजे उड़ना था वो शुभ पांच बज कर सत्रह मिनट पर ही उड़ गया व इसी कारण सुबह 5 बज कर बीस मिनिट पर वह दुर्घटना ग्रस्त भी हो गया। उन्होंने कहा कि हैली कंपनियां पैसा कमाने की आपाधापी में सारे नियमों को तक पर रख कर हैलिकॉप्टरों को विक्रम टेम्पो की तरह चला रही हैं इसी के कारण यह दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं।
धस्माना ने मुख्य सचिव से कहा कि हैली कंपनियां की मनमानी के कारण प्रदेश में हवाई यात्रा में अराजकता का वातावरण है। उन्होंने राज्य की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार राज्य की उड्डयन नीति बनाए जाने की मांग की।
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प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार।सरदार अमरजीत सिंह, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शीश पाल सिंह बिष्ट,महानगर कांग्रेस अध्यक्ष डॉक्टर जसविंदर सिंह गोगी,प्रदेश अनुसूचित जाति विभाग अध्यक्ष मदन लाल, प्रदेश कांग्रेस श्रम प्रकोष्ठ अध्यक्ष दिनेश कौशल, देवेंद्र सिंह शामिल थे।
ज्ञापन
आदरणीय महोदय उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी आपका ध्यान उत्तराखंड के गढ़वाल संभाग में पिछले सवा महीने में पांच हैली दुर्घटनाओं व उनके कारणों की ओर आकृष्ट करना चाहती है। 8 मई 2025 से 15 जून 2025 के बीच अब तक पांच हैली दुर्घटनाओं से पूरा प्रदेश व देश स्तब्ध है। 13 लोग इन दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके है।
38 दिनों में 5 हैली दुर्घटनाएं घटित हुई
मई 8 को छह लोग मृत एक घायल
गंगनानी गंगोत्री जाते हुए
मई 12 को बद्रीनाथ जी से टेक ऑफ करते हुए हैली का पंखा एक गाड़ी से उलझ गया लोग बाल बाल बचे
मई 17 को aiims ऋषिकेश की air एम्बुलेंस दुर्घटना ग्रस्त हो गई हैली की में सवार डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ तथा पायलट बाल बाल बचे
7 जून को हैली रुद्रप्रयाग के बड़ासु में सड़क पर क्रैश लैंड किया जिसमें सवार पांच यात्री व पायलट बाल बाल बचे
और बीते 15 जून को केदारनाथ जी में फिर एक हैली दुर्घटना ग्रस्त हुआ जिसमें पायलट समेत 7 लोग मारे गए जिसमें एक 22 महीने की छोटी बच्ची शामिल है।
हैली सेवाओं को बिना किसी नियमावली के संचालित किया जा रहा है। एयर ट्रैफिक कंट्रोल की कोई गाइडलाइंस नहीं बनी हैं , कोई समय सारिणी नहीं है और अगर है तो उसका पालन नहीं किया जा रहा। हर दो तीन मिनट में देहरादून सहस्त्रधारा एरोड्रम से हैलीकॉप्टर इस तरह उड़ान भर रहे हैं जैसे टैंपो ऑटो संचालित होते हैं। धामों के आसपास वाले हेलीपैड में नियमों धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, हैली रोडवेज की बसों व विक्रम टैंपो की तरह संचालित हो रहे हैं। हैली के एक दिन में फ्लाइंग हॉर्स, टेक ऑफ व लैंडिंग की संख्या निर्धारित नहीं है और एक एक हैली कई कई घंटे बिना पंखे रुके उड़ान भर रहे हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल संभाग में राजाजी नैशनल पार्क, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क,नंदा देवी नैशनल पार्क, वैली ऑफ फ्लावर्स, केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी आदि स्थित हैं और पिछले एक दशक से जिस प्रकार से राज्य में अंधाधुंध हैली सेवाएं संचालित होने से पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और नैशनल पार्क्स व सेंचुरी में वन्य जीवों पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। इसके अलावा यमुनोत्री गंगोत्री केदारनाथ व बद्रीनाथ हिम आच्छादित पर्वत श्रृंखला हैं जहां ग्लेशियर हैं जो लगातार चल रही अंधाधुंध हैली सेवाओं के कारण पिघल रही हैं और इसका बड़ा विपरीत प्रभाव पर्यावरण पर पड़ रहा है।
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महोदय उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों बहुत कठिन पर्वतीय घाटियों चोटियों के कारण यहां उड़ान भरने वाले हैलीकॉप्टरों की सेफ्टी ऑडिट, उनकी तकनीकी फिटनेस, भार क्षमता, हैलीकॉप्टर के पायलटों का उत्तराखंड जैसे पहाड़ों में उड़ान का तजुर्बा ऐसे महत्वपूर्ण पक्ष हैं जिनको नजरंदाज नहीं किया जा सकता।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी उत्तराखंड सरकार से मांग करती है कि
1.उत्तराखंड में एक पारदर्शी व स्पष्ट दिशा निर्देश वाली उड्डयन नीति बनाई जाए जो डीजीसीए के दिशा निर्देशों व एयर ट्रैफिक कंट्रोल नियमावली के नियमों का सख्ती से पालन करे।
2 उत्तराखंड में यहां की भौगोलिक स्थिति के अनुरूप सुरक्षा मानकों पर खरे हैलिकॉप्टरों को ही उड़ने की इजाजत दी जाए।
3 उड़ान का समय निर्धारित हो , टेक ऑफ, लैंडिंग निर्धारित संख्या में हों व फ्लाइंग घंटे भी निर्धारित हों।
4 हेलिकॉप्टर्स के पायलट के पहाड़ों में उड़ान का अनुभव का मानदंड निर्धारित हो।
5 हैली सेवा का संचालन इस प्रकार से हो कि उत्तराखंड का पर्यावरण, वन्य जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े।
6 उत्तराखंड में उड़ने वाले किसी भी हैलीकॉप्टर की आयु सीमा, सेफ्टी ऑडिट तय राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों।
हमें पूर्ण विश्वाश है कि नागरिकों व यात्रियों की सुरक्षा, उत्तराखंड के पर्यावरण व वन्य जीवों की सुरक्षा आदि को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड सरकार तत्काल उपरोक्त बिंदुओं पर कार्यवाही करेगी।
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