Header banner

पर्यावरण से खिलवाड़ पर एनजीटी (NGT) अनुरूप या विरुद्ध

admin
n 1

पर्यावरण से खिलवाड़ पर एनजीटी (NGT) अनुरूप या विरुद्ध

harish

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की फटकार के राज्य प्रदूषण बोर्ड ने पर्यटन विभाग से कुमाऊं में मानकों के अनुरूप या विरुद्ध संचालित होटलों-होम स्टे तथा रेस्टोरेंट का ब्यौरा मांगा है। पीसीबी को होटलों के साथ ही रेस्टोरेंट व होमस्टे पंजीकरण, कमरों की संख्या, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट व सोकपिट की स्थिति, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन निस्तारण के इंतजाम के बारे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में तीन माह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करनी है। उधर पीसीबी के पत्र से पर्यटन विभाग में कार्मिकों की कमी की वजह से असमंजस बना है। एनजीटी ने नैनीताल में पेड़ों के अवैध कटान से संबंधित शिकायती पत्र को याचिका के रूप में संज्ञान लेते हुए करीब डेढ़ सौ होटलों का सीवरेज व कूड़ा झील में जाने को एनजीटी ने बेहद गंभीरता से लिया था। नैनीताल में भले ही आवासीय भवन तथा होटल-रेस्टोरेंट सीवरेज से जुड़े हों लेकिन एनजीटी में सरकार की ओर से यह तथ्य मजबूती से नहीं रखा गया।

यह भी पढें : सुरक्षा का नायाब तरीका: दिल्ली के चौक-चौराहों पर लंगूरों (langurs) के शक्ल के लगाए गए कटआउट, लंगूर की आवाज निकालने के लिए गार्ड भी किए तैनात, जानिए पूरा मामला

अब इस मामले में एनजीटी की फटकार के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी की ओर से नैनीताल के साथ ही अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत के जिला पर्यटन अधिकारी को पत्र लिखकर बताया है कि होटल-रेस्टोरेंट-होम स्टे का राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमानुसार व्यवस्थाएं स्थापित कर संचालन की सहमति प्राप्त किया जाना अनिवार्य है। पर्यटन विभाग में पंजीकृत होटल-रेस्टोरेंट व होम स्टे में रूम-बेड, सीटों- की स्थिति, सोकपिट की स्थिति, ठोस अपशिष्ट या कूड़ा-कचरा निस्तारण के इंतजाम के बारे में ब्यौरा मांगा गया है।

माना जा रहा है कि इस बहाने पहाड़ में अवैध रूप से संचालित होटलों को भी पंजीकरण का आसान रास्ता मिल गया है। कुमाऊं में पर्यटन विशेषज्ञों के अनुसार करीब पांच हजार के आसपास होटल-होम स्टे संचालित हैं। पीसीबी के नियमानुसार 20 कमरों से अधिक के होटल में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जबकि 20 से कम में सोकपिट होना चाहिए। हाई कोर्ट में विचाराधीन जनहित याचिका में पारित आदेश के अनुसार होटलों सहित होम स्टे-रेस्टोरेंट में कूड़ा निस्तारण का पुख्ता इंतजाम होना चाहिए।

यह भी पढें : विधानसभा सत्र में सिंगटाली मोटर पुल (Singtali Motor Bridge) को लेकर सवाल उठाएंगे विधायक दिलीप रावत, प्रमुख महेंद्र राणा ने किया अनुरोध

नैनीताल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष के अनुसार नैनीताल में सवा सौ से अधिक पंजीकृत होटलों ने पीसीबी में पंजीकरण के लिए आवेदन बहुत पहले ही कर दिया था जबकि नैनीताल में घरों, होटल-रेस्टोरेंट सीवरेज लाइन से जुड़े हैं। रूसी में नया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बन रहा है। होटलों-रेस्टोरेंट या घरों का सीवरेज किसी दशा में झील में ना जाए, यह सुनिश्चित करना लोकल बॉडी की जिम्मेदारी है। इन्सेट कुमाऊं में कहीं निकायों या अन्य सरकारी संस्था में होटल-रेस्टोरेंट, होम स्टे पंजीकृत हैं, आपसी समन्वय से एक स्थान पर पंजीकरण का तंत्र हो, इसलिए पर्यटन विभाग से जानकारी मांगी गई है, जो अब तक नहीं मिली है। सीवरेज से संबंधित मामला एनजीटी में भी विचाराधीन है। जीवनदायी हिमालय से खिलवाड़ नहीं रुका तो भविष्य होगा और मुश्किल हैं।

सभी राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने यहां के पर्यावरण के हालात पर जो रिपोर्ट पेश किया है, उसके अनुसार जल संसाधन प्रदूषित हैं, वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या है, भूजल की गहराई बढ़ती जा रही है। प्रदूषण का असर मानव स्वास्थ्य के साथ साथ जन्तुओं और वनस्पतियों पर भी पड़ रहा है। एनजीटी के आदेशों के बाद ही राज्यों की नींद खुलती है और फिर याचिका से संबंधित आधा- अधूरा काम करते हैं।एनजीटी ने अपने निर्देश में सभी राज्यों को प्रयावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं और फिर इसके अनुपालन पर चर्चा करने के
लिए जुलाई से सितंबर के बीच फिर से सभी प्रमुख सचिवों को व्यक्तिगत तौर पर एनजीटी में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।

यह भी पढें : उत्तराखंड: इन IAS-PCS अधिकारियों के दायित्वों में हुआ फेरबदल (IAS-PCS transfer in Uttarakhand)

इस निर्देश के अनुसार हरेक राज्य को तीन शहर और तीन कस्बों को पर्यावरण संरक्षण के सन्दर्भ में मॉडल शहर/कस्बा का चयन करने का निर्देश दिया है। इसी तरह हरेक जिले में तीन गांव का भी चयन किया जाएगा। एनजीटी ने वर्षा जल संरक्षण और जल संसाधनों के संरक्षण से संबंधित निर्देश भी दिए हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या पर्यावरण संरक्षण के सन्दर्भ में देश के संस्थान कुछ करेंगे?

( लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

Next Post

कई औषधीय गुणों का भंडार है घिंघारू (Ghingharu)

कई औषधीय गुणों का भंडार है घिंघारू (Ghingharu) डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल के पारंपरिक खानपान में जितनी विविधता एवं विशिष्टता है, उतनी ही यहां के फल-फूलों में भी। खासकर जंगली फलों का तो यहां समृद्ध संसार […]
gb

यह भी पढ़े