Ganesh chaturthi: दस दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव की हुई शुरुआत, पंडालों और घर-घर में विराजे बप्पा, आज चार शुभ योगों के साथ मनाई जा रही गणेश चतुर्थी
मुख्यधारा डेस्क
आज गणेश चतुर्थी है। 10 दिनों तक चलने वाले हिंदुओं के इस पद को गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश समेत पूरे भारत वर्ष में गणेश उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का दिन भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आज देशभर के पंडालों और घरों में गणपति बप्पा की स्थापना की जाएगी। माया नगरी मुंबई में तो बप्पा की भक्ति में मुंबईकरों में अलग नजर दिखाई देता है। मुंबई में क्या आम क्या खास सभी बप्पा की भक्ति में रंग जाते हैं। गणेश पुराण के अनुसार माता पार्वती के मैल से भगवान गणेश की उत्पत्ति हुई है।
गणेश जी बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि के देवता हैं। इसकी कृपा से जीवन की हर बाधा दूर होती है। यही वजह है कि हर शुभ काम में सबसे पहले गणपति जी की पूजा की जाती है ताकि बिना विघ्न के कार्य संपन्न हो। गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और उन्हें विधि-विधान से पूजते हैं।
माना जाता है कि इस दिन गणेश जी का प्राकट्य हुआ था। साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश धरती पर आकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान गणेश को मोतीचूर के लड्डू बहुत ही प्रिय हैं।
ऐसी मान्यता है कि मोतीचूर के लड्डू अर्पित करने से गणेशजी बहुत जल्दी प्रस्न्न होते हैं और घर परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है और हिंदू देवी-देवताओं में सबसे प्रसिद्ध और ज्यादा पूजे जाने वाले देवता हैं। भगवान गणेश के कई नाम हैं जैसे गणपित, लंबोदर, विनायक, गजानन सुखकर्ता और विन्घहर्ता आदि नामों से जाना जाता है।
देशभर में गणेश उत्सव का पर्व 10 दिनों तक चलेगा और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्ति को जल में विसर्जित करके विदाई दी जाएगी। ‘आज गणेश चतुर्थी पर इस बार गणपति स्थापना पर सुमुख नाम का शुभ योग बन रहा है। ये गणेशजी का एक नाम भी है। इसके साथ पारिजात, बुधादित्य और सर्वार्थसिद्धि योग बन रहे हैं’।
ज्योतिषियों का मानना है कि इस चतुर्महा योग में गणपति स्थापना का शुभ फल और बढ़ जाएगा।आज गणपति स्थापना और पूजा के लिए दिनभर में 3 शुभ मुहूर्त रहेंगे। मूर्ति स्थापना सूर्यास्त के पहले करने का विधान है। गणेश पुराण के मुताबिक गणपति का जन्म चतुर्थी तिथि और चित्रा नक्षत्र में मध्याह्न काल में हुआ था। ये शुभ काल सुबह 11.20 से शुरू हो रहा है। पूरे भारत सहित दनिया के कई हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाए जाने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे से हुई थी। 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव के दौरान पूरा शहर धार्मिक रंग में रंगा रहता है। पुणे का गणेशोत्सव पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस उत्सव की शुरुआत शिवाजी महाराज के बाल्यकाल में उनकी मां जीजाबाई द्वारा की गई थी। आगे चलकर पेशवाओं ने इस उत्सव को बढ़ाया और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे राष्ट्रीय पहचान दिलाई।शिवाजी महाराजा के बाद पेशवा राजाओं ने गणेशोत्सव को बढ़ावा दिया। पेशवाओं के महल शनिवार वाड़ा में पुणे के लोग और पेशवाओं के सेवक काफी उत्साह के साथ हर साल गणेशोत्सव मनाते थें।
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इस उत्सव के दौरान ब्राह्मणों को महाभोज दिया जाता था और गरीबों में मिठाई और पैसे बांटें जाते थे। शनिवार वाड़ा पर कीर्तन, भजन तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था। भजन-कीर्तन की यह परंपरा आज भी जारी है। ब्रिटिश काल में लोग किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम या उत्सव को साथ मिलकर या एक जगह इकट्ठा होकर नहीं मना सकते थे। लोग घरों में पूजा किया करते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया। आगे चलकर उनका यह प्रयास एक आंदोलन बना और स्वतंत्रता आंदोलन में इस गणेशोत्सव ने लोगों को एक जुट करने में अहम भूमिका निभाई है।लोकमान्य तिलक ने उस दौरान गणेशोत्सव को जो स्वरूप दिया उससे गजानन राष्ट्रीय एकता के प्रतीक बन गए। वीर सावरकर तथा अन्य क्रांतिकारियों ने गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किया। महाराष्ट्र के नागपुर, वर्धा, अमरावती आदि शहरों में भी गणेशोत्सव ने आजादी का नया ही आंदोलन छेड़ दिया था।
गणेशोत्सव में वीर सावकर, लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्टर चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू आदि लोग भाषण देते थे और लोगों का संबोधित करते थे। गणेशोत्सव स्वाधीनता की लड़ाई का एक मंच बन गया था। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में गणेशोत्सव का जो सार्वजनिक पौधारोपण किया था वह अब विराट वट वृक्ष का रूप ले चुका है।
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वर्तमान में केवल महाराष्ट्र में ही 50 हजार से ज्यादा सार्वजनिक गणेश मंडल हैं। इसमें से अकेले पुणे में 5 हजार से ज्यादा गणेश मंडल है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में काफी संख्या में गणेशोत्सव मंडल है। इतना ही नहीं अब विदेशों में भी गणेशोत्सव मनाया जाता है।