आफत का मंजर बादल फटने (Cloud Burst) से भारी तबाही - Mukhyadhara

आफत का मंजर बादल फटने (Cloud Burst) से भारी तबाही

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आफत का मंजर बादल फटने (Cloud Burst) से भारी तबाही

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड़ में आसमान से आफत बरस रही है। बादल फटने से प्रदेश में तबाही का मंजर देखने को मिला। गरुड़ गंगा मे भी बादल फटने से भारी तबाही हो गई है। गरुड़ गंगा लॉज नदी के किनारे दो आवासीय मकान नदी में बह गए है। गरुड़ निवासी के अनुसार के मकानों के बहने की सूचना है जबकि ग्राम पंचायत पाखी के विभिन्न तोक खतरे की जद मे आ गए हैं।उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत पाखी के ऊपर भी भू धंसाव के कारण गांव में पानी भर गया है लोग दहशत मे है।भारी बारिश व बादल फटने के कारण गरुड़ गंगा नदी के किनारे दो मकान, गरुड़
गंगा मंदिर एवं पुल भी खतरे की जद मे आ गए हैं। इसके चलते कई मकान और दुकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सीसी और वैली ब्रिज भी टूट गया है। धाधड़ बगड़ में भारी नुकसान होने की आशंका है।

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वहीं, सोल घाटी मोटर मार्ग का 50 मीटर हिस्सा पानी में बह गया है। चमोली जिले में बद्रीनाथ हाईवे पर मायापुर में पहाड़ से आए मलबे के नीचे कई गाड़ियां दब गई हैं। डीएम चमोली ने बताया कि मलबे के नीचे वाहन दबे हैं लेकिन अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। इसके चलते कई मकान और दुकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सीसी और वैली ब्रिज भी टूट गया है। धाधड़ बगड़ में भारी नुकसान होने की आशंका है। वहीं, सोल घाटी मोटर मार्ग का 50 मीटर हिस्सा पानी में बह गया है। चमोली जिले में बद्रीनाथ हाईवे पर मायापुर में पहाड़ से आए मलबे के नीचे कई गाड़ियां दब गई हैं।

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डीएम चमोली ने बताया कि मलबे के नीचे वाहन दबे हैं लेकिन अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। मौसम विभाग ने देहरादून, टिहरी, चंपावत, पौड़ी गढ़वाल, चंपावत, नैनीताल और उधम सिंह नगर में भारी बारिश होने का रेड अलर्ट जारी किया है। हरिद्वार में बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट की चेतावनी दी गई है। वहीं अन्य जिलों में यलो अलर्ट रहेगा। मौसम विभाग के निदेशक के अनुसार सोमवार को 8 जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की आशंका है। बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग मायापुर, नंदप्रयाग, बाजपुर, छिनका, गुलाबकोटी, बेलाकुची, पागलनाला, काली मंदिर टंगणी, हाथीपर्वत व विष्णुप्रयाग के पास मलबा आने के कारण सड़क मार्ग अवरुद्ध हैं। श्रद्धालुओं/यात्रियों से चमोली पुलिस की अपील है कि कृपया धैर्य बनाए रखें और मार्ग खुलने तक सुरक्षित स्थानों पर रुके रहें, जल्दबाजी न करें, यात्रा मार्ग का अपडेट लेकर ही प्रस्थान करें।

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इसके साथ ही चमोली में बहने वाली नदियाँ अलकनंदा पिंडर व नंदाकिनी नदी भी उफान पर हैं। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग धरासू बैंड और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग डाबरकोट में लैंडस्लाइड होने से बंद हो गया है। दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग बन्द होने से बड़ी संख्या में यात्री और वाहन फंस गए हैं। दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग को खोलने में बीआरओ और NH विभाग जुटा है। नीलकंठ के रास्ते पर एसडीआरएफ की टीम रेस्क्यू के लिए पहुंची है। कहीं नदी-नाले तो कहीं मलबे की वजह से रेस्क्यू कार्यों में दिक्कतें हो रही हैं।

राजधानी देहरादून से लगे टिहरी क्षेत्र के धनोल्टी विधानसभा के चिफल्टी गांव में नदी में आई बाढ़ से दो घर बह गए। उत्तराखंड में लोगों का जनजीवन आज कहीं अतिवृष्टि से तो कहीं सूखे और पेयजल की मार से पहले ही कष्टमय बना हुआ है। उस पर जलवायु परिवर्तन के कारण बादल फटने की घटनाओं ने इस समस्या को बहुत गम्भीर बना दिया है। पर सबसे बड़ा सवाल आज यह है कि इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कौन है? राज्यप्रशासन? मौसमविभाग? जलवायु परिवर्तन? या पर्यावरण विरोधी हमारी विकास योजनाएं?

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वास्तविकता यह भी है कि उत्तराखंड सरकार ने इन बादलों के फटने से उत्पन्न होने वाली आपदाओं के नियंत्रण और आपदा से पीड़ित लोगों को राहत देने की किसी स्थायी योजना पर कभी गम्भीरता से विचार ही नहीं किया। देवभूमि उत्तराखंड से बादल फटने जैसी दिल दहलाने वाली प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएं होने लगती हैं। परंतु हमारे देश का मौसम विभाग इस प्रकार की आपदाओं के पूर्वानुमान को गम्भीरता से नहीं लेता जिससे कि इन बादल फटने की घटनाओं से होने वाले जानमाल के नुकसान को रोका या कम किया जा सके। किंतु बादल कब फटेंगे किस क्षेत्र में फटेंगे इसकी सूक्ष्म जानकारी देने का प्रयास मौसम विभाग द्वारा कभी नहीं किया गया और न ही इस दिशा में कोई कार्य योजना बनाई गई।

उत्तराखंड के बादल फटने वाले संवेदनशील इलाकों में आब्जर्वेटरी ही नहीं है तो फिर कैसे मौसम विभाग को बादलों के फटने की खतरनाक हरकत का पता चल पाएगा? ऐसे हादसों के मौकों पर प्रायः मौसम विभाग भारी वर्षा होने का अलर्ट जारी करके अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लेता है। विषम आर्थिक और भौगोलिक परिस्थितियों ने यदि यहां के जीने की राह मुश्किल की है तो उनसे लड़ने का हौसला भी दिया है।

(लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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