नई दिल्ली। मध्य प्रदेश कांग्रेस की रीढ़ ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने उनके घर पहुंचे। इस अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। ऐसे में यह उम्मीद प्रबल हो गई है कि सिंधिया जल्द भाजपा ज्वाइन करते हैं।
इस समीकरण के बाद एमपी कांग्रेस में दो फाड़ हो गए हैं और कांग्रेस की सरकार के लिए संकट खड़ा हो गया है। कांग्रेस अगर वहां बहुमत साबित करने में सफल नहीं हो पाती है तो फिर भाजपा के लिए वहां सरकार बनाने में आसानी हो जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक सिंधिया को बीजेपी से राज्यसभा भेजा जा सकता है और उन्हें केंद्रीय मंत्री पद से भी नवाजा जा सकता है। सिंधिया व उनके समर्थक एमपी में कमलनाथ सरकार के रवैये से खुश नहीं थे। वहीं अब तक लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक मंत्री-विधायकों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस्तीफे सौंप दिए हैं। इससे कमलनाथ का सियासी संकट बढ़ गया है।
बहरहाल, मध्य प्रदेश के हालिया राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए एमपी सरकार भंवर में फंसती हुई दिखाई दे रही है। जहां सरकार के छह मंत्रियों के साथ ही कुल 17 विधायक बंगलुरु में बताए जा रहे हैं। इन सभी नेताओं के फोन बंद बताए जा रहे हैं। वहीं अपने समर्थकों के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से अपना इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसे ट्वीटर के माध्यम से बकायदा सार्वजनिक किया है। इस प्रकार एमपी में बड़े उलटफेर की संभावना बन गई है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी भी मानते हैं कि अब मध्य प्रदेश में हमारी सरकार बचने के रास्ते नहीं दिखाई दे रहे। भाजपा हमेशा प्रतिद्वंदी सरकारों को गिराने का प्रयास करती रहती है।
उधर नई समीकरणों पर भोपाल में भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में मंथन चल रहा है। जिसमें शिवराज सिंह चौहान के साथ ही कई वरिष्ठ नेता मौजूद हैं।
बताते चलें कि एमपी में कुल 230 सीटें हैं, जबकि दो सीट खाली हैं। इस प्रकार बहुमत का जादुई आंकड़ा 115 है। यहां कांग्रेस के 114, निर्दलीय 4, बीएसपी के 2, सपा के एक को मिलाकर कांग्रेस के पास कुल 121 विधायक हैं। 17 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कुल आंकड़ा 211 हो जाएगा। भाजपा के यहां 107 विधायक हैं। ऐसे में यदि चार निर्दलीय विधायक भाजपा को समर्थन करते हैं तो भाजपा का आंकड़ा 111 हो जाएगा। ऐसे में एमपी में भाजपा की सरकार बनाने की राह आसान हो जाएगी।
बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि मध्य प्रदेश में राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठता है।