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आरोप: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कही राष्ट्रीय खेलों में महाघोटाले होने की बात, बोले- कुछ कंपनियों, नेताओं व अधिकारियों ने काटी जमकर चांदी

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आरोप: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कही राष्ट्रीय खेलों में महाघोटाले होने की बात, बोले- कुछ कंपनियों, नेताओं व अधिकारियों ने काटी जमकर चांदी

देहरादून/मुख्यधारा

राष्ट्रीय खेल का आयोजन राज्य के लिए सम्मान होता है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि यदि हमारे प्रिय राज्य उत्तराखण्ड के सम्मान की बात आए तो हमको सारे राजनैतिक मतभेद भुलाते हुए उन आयोजनों को सफल करना चाहिए। इसलिए खेल के आयोजन तक हमने जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाते हुए कुछ नहीं कहा। लेकिन मेरा साफ आरोप है कि, राष्ट्रीय खेलों में महाघोटाले हुए हैं। कुछ कम्पनियों , नेताओं और अधिकारियों ने जमकर चांदी काटी है। समय के साथ हम उन सभी को बेनकाब करेंगे।

इन आयोजनों में राज्य के मूल निवासी और अर्जुन पुरस्कार विजेताओं को तक नहीं बुलाया गया। रोइंग में अर्जुन पुरस्कार विजेता चमोली के सुरेन्द्र सिंह कनवासी ने वीडियो पोस्ट करके आरोप लगाया कि, राज्य के खिलाड़ियों, खेल प्रशिक्षकों और पूर्व खिलाड़ियों को न तो बुलाया गया और न ही अनका कोई योगदान लिया गया।

सरकार ने ये राष्ट्रीय खेलों के आयोजन का काम अपनी पार्टी के एक बड़े नेता के परिवार की कम्पनी को पिछले दरवाजे से दिया और कुछ अधिकारियों के परिवारों से जुड़ी कम्पनियों ने भी इस आयोजन में काफी चांदी काटी है। सरकार ने बताया कि, इन खेलों का आयोजन राज्य के विभिन्न स्थानों पर किया गया। मेरा साफ आरोप है कि, राज्य के कई महत्वपूर्ण स्थानों को राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से दूर रखा गया है।

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पौड़ी का रांसी स्टेडियम देश में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित स्टेडियम है। वहां सरकार ने कोई भी खेल आयोजित नहीं किया।

सरकार अगर चाहती तो राष्ट्रीय खेलों के बहाने देश भर के खिलाड़ियों, कोचों और खेल संघो का परिचय पौड़ी के रांसी स्टेडियम से कराते। ताकि आने वाले सालों में वहां साल भर अन्र्तराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने जाने से पहले देश भर के खिलाड़ियों के प्रशिक्षण शिविर आयोजित किये जा सकते थे।

राज्य में इससे कई रोजगार पैदा होते और यहां के खिलाड़ियों का सम्पर्क देश के प्रतिभावान खिलाड़ियों से होता। लेकिन आपकी सरकार ने ये अवसर चुका दिया।

बिजिंग एशियाई खेलों से पहले देश की कयाकिंग सलालम टीम का प्रशिक्षण रुद्रप्रयाग जिले के चन्द्रापुरी में हुआ था। विदेशी कोच ने मंदाकिनी प्र तब बनायें सलालम कोर्स को देश का सबसे अच्छा सलालम कोर्स बताया था। लेकिन वहां इस इंवैंट को नहीं किया गया।

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सरकार ने कई जिलों और खेलों के लिए मुफीद कई स्थानों को ही नहीं छोड़ा बल्कि राज्य के मूल निवासी खिलाड़ियों और खेल विशेषज्ञों को भी छोड़ दिया।

सरकार 100 से अधिक पदकों को लाने का दावा कर रही है सरकार को पदक जीतने वाले उन सभी खिलाड़ियों के मूल निवास भी बताने चाहिए। मेरा आरोप है कि, क्योंकि इन बाहरी राज्य के खिलाड़ियों ने उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व कर लिया है अब भविष्य में राज्य में खेल कोटे से भी इन्ही बाहरी राज्यों के खिलाड़ियों की नौकरी लगेगी। अब इन पदकों के लिए मिलने वाले पुरस्कार की धनराशि भी दूसरे राज्य के खिलाड़ियों के खाते में जायेगी।

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