मैडम का अटैचमेंट खत्म “सुगम से दुर्गम में वापसी”
28 नवंबर को पिथौरागढ़ उपचुनाव के परिणाम के बाद भाजपा के वे नेता और पालिटिकल पंडित मुंह छुपाये भाग रहे हैं, जो चुनाव प्रचार के दौरान प्रकाश पंत की मृत्यु से उपजी सहानुभूति के सहारे रिकॉर्ड मतों से जीतने की भविष्यवाणी कर रहे थे।
पिथौरागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस के ढुलमुल रवैये के साथ-साथ टूटे मन से चुनाव लड़ने की बातें स्पष्ट रूप से सामने दिख रही थी। कभी ढूंढ कर प्रत्याशी नहीं मिल रहे थे। किशोर उपाध्याय हरीश रावत को लड़ा रहे थे। मयूख महर खुद ही किनारे हो गए। मथुरा दत्त जोशी को टिकट दिया नहीं। प्रीतम सिंह कभी प्रचार में नहीं दिखे, जिन्हें प्रचार की कमान दी गई, वह भी चल दिए। चुनाव के बीच कांग्रेस के भीतर बिखराव तो दिखा ही, किंतु चुनाव परिणाम ने स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस आज अगर सबसे बुरे दौर में है तो उसके लिए कांग्रेस का निकम्मापन जिम्मेदार है और कांग्रेस में नेतृत्व क्षमता का भारी अभाव है। पिथौरागढ़ उपचुनाव की इस जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गए हैं।
सुरेश जोशी 2002, 2007, 2012 और 2017 में प्रकाश पंत के लिए वोट मांगते थे। 2019 में प्रकाश पंत की पत्नी के लिए वोट मांगते दिखे और 2022 में प्रकाश पंत के बेटे सौरव पंत के लिए वोट मांगते दिखे तो आश्चर्य नहीं होगा।
सुरेश जोशी जैसे सैकड़ों नेता जीवनभर इसी तरह दूसरों के परिवार का पीढ़ी दर पीढ़ी झोला उठा कर चलने वाली राजनीति करते रहेंगे। उत्तराखंड में सुगम दुर्गम की लड़ाई में शिक्षा विभाग खूब बदनाम रहा है। शिक्षा मंत्री इस कारण सबसे ज्यादा निशाने पर रहे हैं। 8 साल पहले प्रकाश पंत की पत्नी, जो कि पिथौरागढ़ के किसी स्कूल में सरकारी शिक्षका थी, उस दुर्गम पिथौरागढ़ के विद्यालय को छोड़कर देहरादून के राजपुर रोड के शानदार स्कूल में अटैच होकर आ गई, क्योंकि दुर्गम में जाना कोई नहीं चाहता। समय का फेर देखिए, जो शिक्षिका एक विद्यालय चलाने के लिए तैयार नहीं, उसे अब पूरी विधानसभा की जिम्मेदारी दे दी गई है। पिथौरागढ़ विधानसभा की जनता को उन्हीं शिक्षिका को अब विधायक के रुप में उन्हें स्वीकार करना होगा, जो पिथौरागढ़ स्कूल आने को बोझ समझती थी।
सवाल यह है कि अब देहरादून के उस स्कूल का क्या होगा, जहां मैडम पढाती थी, उन बच्चों की पढाई के बारे में तो अब अरविंद पांडे ही जाने। उनके विधायक बनने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान देने की बातें भी चलने लगी है। कुछ भी हो, दुनिया बहुत छोटी है और गोल भी, घूम फिर कर वापस दुर्गम में आने की यह पहली अनोखी घटना है।
बहरहाल, अब पिथौरागढ़ की जनता को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं तो बनती ही हैं। अब देखना यह है कि विधायक महोदया चंद्रा पंत स्वर्गीय प्रकाश पंत के अधूरे कार्यों को किस प्रकार आगे बढ़ाती हैं!