नीरज उत्तराखंडी/पुरोला
तरुण पर्यावरण विज्ञान संस्था ने TdH-BMZ परियोजना कार्यक्रम के अंतर्गत पृथ्वी दिवस की 50वीं सालगिरह के अवसर पर मोरी ब्लाक के ग्राम सभा धारा, पाँव मल्ला, एवं देवरा में पृथ्वी दिवस मनाया गया। जिसमें युवा समूह, बाल समूह एवं महिला समूह के सदस्यों ने प्रतिभाग किया।
कोविड-19 कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते लाॅकडाउन की परिस्थिति में संस्था कार्यकर्ताओं द्वारा सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बच्चों युवाओं एवं महिलाओं के साथ पेंटिंग व वृक्षारोपण कार्यक्रम किये गए।
पेंटिंग में युवाओं एवं बच्चों ने जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण से संबंधित पेंटिंग बना कर यह संदेश देने की कोशिश की गयी कि लॉकडाउन के कारण प्रदूषण कितना असर हुआ है।
दुनियाभर में लॉकडाउन की स्थिति में रहने वाले 300 करोड़ से अधिक लोगों के साथ, वैश्विक अर्थव्यवस्था के कई महत्वपूर्ण क्षेत्र ठप हो गए हैं।
परिवहन, जो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का लगभग एक चौथाई हिस्सा बनाता था, उसमें गिरावट आई है।
न तो सड़कों पर वाहन चल रहे हैं और न ही आसमां में हवाई जहाज। बिजली उत्पादन और औद्योगिक इकाइयों जैसे अन्य क्षेत्रों में भी बड़ी गिरावट आई है। इससे वातावरण में डस्ट पार्टिकल न के बराबर हैं और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन भी सामान्य से बहुत अधिक नीचे आ गया है।
इस तरह की हवा मनुष्यों के लिए बेहद लाभदायक है। इसके अलावा रुक-रुक कर हुई बारिश ने भी धूल के कण और कार्बन पार्टिकल को आसमान से जमीन पर नीचे बैठाने का काम किया। इससे भारत, चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन और यूके के कई प्रमुख शहरों में जहरीली गैस का उत्सर्जन थमने से वायु गुणवत्ता बेहतर हुई है।
इसके साथ साथ प्लास्टिक का निर्माण एवं उपयोग होना कम हुआ है।
वहीं पौधरोपण में संस्था कार्यकर्ताओं ने युवाओं एवं बच्चों के साथ अलग अलग स्थान पर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए पौधरोपण किया गया तथा उन्हें पेड़ों की उपयोगिता के बारे में बताया गया।
कि लॉकडाउन से पर्यावरण को नुकसान होना बंद हो गया है। अभी जल्दबाजी दिखाना ठीक नहीं है। सभी को अंदेशा कि जब औद्योगिक गतिविधियां फिर से शुरू हो जाएंगी, तब फिर से बड़े पैमाने पर कार्बन डाइ ऑक्साइड और अन्य ओडीएस का उत्सर्जन शुरू होगा और फिर शायद पहले की स्थिति लौट न आए,
क्योंकि पुरानी स्थिति वापस आ सकती है। यह ओजोन सुधार और ग्रीन हाउस गैसों के बीच एक तरह की रस्साकशी है।”
पृथ्वी को वायुमंडल की पहली परत क्षोभमंडल के ठीक ऊपर ओजोन की परत है, जो अंतरिक्ष से आने वाले अल्ट्रावॉयलेट (पराबैगनी) किरणों को धरती की सतह तक आने नहीं देती हैं। पराबैगनी किरणों से हमारी आंखों और त्वचा को खास तौर पर नुकसान होता है। इन किरणों से लोगों में कैसर जैसी बीमारी तक हो सकती है।
दुनियाभर में उद्योगों के बंद होने से वायुमंडल को नुकासन पहुंचाने वाली गैसों का उत्सर्जन बंद हो गया है।
वहीं दूसरी तरह सार्वजनिक और निजी यातायात लगभग बंद होने से पैट्रोल और डीजल के कारण वाहनों से निकलने वाली कार्बन डाइ ऑक्साइड जैसी गैसें निकलना भी बहुत ही कम हो गई हैं। ऐसे में प्रदूषण का स्तर, खासतौर पर महानगरों में अभी से दिखने भी लगा है, इस पर बच्चों ने अपनी अपनी प्रतिक्रिया दी तथा बताया कि सभी को इस धरती को हरा भरा करने का प्रयास करने होंगे।