नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी (Nainital’s Ghoda Library) की मन की बात कार्यक्रम में की सराहना
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
पहाड़ों में शिक्षा हासिल करने में बच्चों को कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पहले तो संसाधनों की कमी और दूसरा कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, जिससे कि छात्र स्कूल भी पढ़ाई के लिए नहीं पहुंच पाते। इसके अलावा शहरों में लाइब्रेरी के जरिए छात्रों को
पढ़ाई करने में काफी मदद मिल जाती है, पहाड़ों में इस तरह की सुविधाएं मिलना सपना जैसा ही है। लेकिन नैनीताल जिले के युवाओं ने एक ऐसी अनोखी पहल की है जिससे पहाड़ों में भी दूरस्थ क्षेत्रों में आसानी से किताबें उपलब्ध हो रही है। यहां पर कुछ युवाओं ने घोड़े की पीठ पर
चलती-फिरती लाइब्रेरी यानी घोड़ा लाइब्रेरी शुरू की है। जो कि गांवों में पहुंचकर बच्चों को किताबी ज्ञान पूरा करवाने में मदद कर रही है। ये लाइब्रेरी ऐसे समय में बच्चों के बहुत काम आ रही है जब पहाड़ों में बारिश से रास्ते बंद हो जाते हैं।
घोड़ा लाइब्रेरी में सामान्य ज्ञान, प्रेरक कहानियां और नैतिक शिक्षा संबंधी पुस्तकें दी जा रही हैं। युवाओं का कहना है कि सरकार की ओर से पाठ्यक्रम की पुस्तकें स्कूलों में मिल जाती हैं। उनका प्रयास बच्चों को साहित्य व नैतिक शिक्षा से जोड़ना है। नैनीताल जिले के कोटाबाग के आंवलाकोट निवासी शुभम बधानी ने बताया कि 10 जून को बारिश ने दूरस्थ गांवों में आपदा ने काफी नुकसान पहुंचाया। शुभम ने युवाओं के साथ मिलकर बच्चों को साहित्य और नैतिक शिक्षा से जोड़ने की मुहिम शुरू की। बाघिनी गांव से घोड़ा लाइब्रेरी शुरू करने का निर्णय लिया। इस गांव के लोगों की मदद से एक घोड़ा मिला। घोड़े की पीठ पर पुस्तकें लेकर वह टीम के साथ गांव में निकले और बच्चों को पुस्तकें दीं।जिसके बाद जलना, तोक व आलेख गांव तक घोड़ा लाइब्रेरी पहुंच गई। युवाओं की टोली अब तक 300 पुस्तकें बांटी जा चुकी हैं।
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उन्होंने आगे बताया कि पुस्तकें पहुंचाने के साथ ही उनकी ओर से चौपाल लगाकर नौनिहालों को अक्षर ज्ञान के साथ ही कई फिजिकल एक्टिविटीज भी कराई जाती है, जो उनके बौद्धिक विकास के साथ ही शारीरिक विकास दोनों के लिए बेहद कारगर सिद्ध होगी। एम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी का जिक्र किया। इस लाइब्रेरी में सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं।और इतना ही नहीं, ये सेवा, बिल्कुल नि:शुल्क है।
अब तक घोड़ा लाइब्रेरी के माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को लाभान्वित किया गया है। हिमोत्थान के शुभम ने बताया कि दूरस्थ पर्वतीय गांवों (तल्ला जलना, मल्ला जलना,मल्ला बाघनी, सल्वा एवं बदनधुरा) में जहां ना सड़क हैं, ना जाने की अन्य कोई सुविधाएं, कुछ पगडंडी रास्ते हैं, लेकिन वो भी भूस्खलन की मार झेल रहे हैं। ऐसे में हिमोत्थान टाटा ट्रस्ट द्वारा पर्वतीय गांव बाघनी, छड़ा, सल्वा, जलना के युवाओं एवं स्थानीय शिक्षा प्रेरकों की मदद से घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की गई।
( लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )