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निकिता (Nikita) ने तीसरी बार एशियाई चैंपियनशिप को किया अपने नाम

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निकिता (Nikita) ने तीसरी बार एशियाई चैंपियनशिप को किया अपने नाम

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड भारत का एक ऐसा राज्य है जिसे देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड जितना अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है उतना ही अपने होनहार युवाओं के नाम के लिए भी जाना जाता है। हाल ही में कजाकिस्तान में चल रहे जूनियर एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में राज्य के युवा अपना हुनर दिखाते दिखे राज्य के पिथौरागढ़ से पांच युवा कजाकिस्तान में हो रहे इस मुकाबले के लिए चयनित किए गए थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन पांचों युवाओं ने इस प्रतियोगिता में भारत के लिए पदकों की लाइन लगाते हुए अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन करके दिखाया है। इन में सबसे ज्यादा चर्चित रहि है निकिता चंद।

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निकिता को कजाकिस्तान में आयोजित जूनियर एंड यूथ एशियाई चैंपियनशिप में भारत की तरफ से चुना गया था। निकिता ने 60 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल मुकाबले में उज्बेकिस्तान की बॉक्सर को पहले ही राउंड में धूल चटा दी और एशियाई चैंपियन का खिताब अपने नाम दर्ज कर लिया। जानकारी के अनुसार निकिता तीन बार एशियाई चैंपियनशिप की विजेता बन चुकी हैं। निकिता बिजेंद्र मल्ल बॉक्सिंग अकादमी से प्रशिक्षण ले रही हैं। वह पीएनएनएफ स्कूल की छात्रा हैं। निकिता के पिता सुरेश चंद पिथौरागढ़ के ग्राम बड़ालू के रहने वाले हैं। निकिता नौ साल की उम्र में पिथौरागढ़ में अपने फूफा विजेंद्र मल के यहां आ गई थी। उसे समय वह कक्षा 4 में थी और फूफा जी ने उनका एडमिशन स्कूल में कर दिया था।

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निकिता ने फूफा को बॉक्सरों के साथ पंच मारते देखा तो उसे भी बॉक्सिंग का शौक हुआ और उसने अपने फूफा की ही अकादमी में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। 21वीं सदी में जहां बच्चे फोन, सोशल मीडिया और गेम खेलने में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ निकिता ने तीन बार भारत को स्वर्ण पदक दिला दिए हैं। वह युवाओं के बीच में एक मिसाल बनकर खड़ी है। संसाधनों की कमी होने के बावजूद भी पिथौरागढ़ के बड़ालू गांव की निवासी निकिता चंद ने पूरे देश का मान बढ़ाया है। निकिता के पिता एक मामूली बकरी पालक हैं। निकिता ने सिर्फ 9 साल की उम्र में ही बॉक्सिंग को अपना लक्ष्य बना लिया था। इसके बाद शुरू हुआ एक मामूली से गांव पिथौरागढ़ की रहने वाली छोटी सी लड़की का एशियन चैंपियनशिप तक का सफर। निकिता के पिता सुरेश चंद खेती-बाड़ी और बकरी पालन कर परिवार का पालन पोषण करते हैं। जब निकिता के घर वालों को निकिता के जीत की खबर पहुंची तो वे सब बेहद ही भावुक हो उठे। पूरा उत्तराखंड इस होनहार बेटी की कामयाबी से बेहद ही खुश है।

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पिथौरागढ़ के बड़ालू में खुशी के लहर दौड़ पड़ी है। आज के इस वक्त में ज्यादातर बच्चे जहां मोबाईल में ट्रेडिंग रील्स, सोशल मीडिया और गेम्स के दीवाने बने फिरते हैं वही निकिता जैसी बेटी एक मिसाल है जो इतनी कम उम्र में भारत को एक बार नहीं बल्कि 3 बार स्वर्ण पदक दिला चुकी है। 2016 में, उनके चाचा ने अन्य मुक्केबाजों के साथ निकिता को मुक्केबाजी का प्रशिक्षण देना शुरू किया। ट्रेनिंग के बाद निकिता ने 2019 में नेशनल स्कूल में कांस्य पदक जीता। बाद में कोरोना वायरस के कारण रुकावटें आईं, लेकिन ट्रेनिंग जारी रही। निकिता ने सोनीपत में 2021 नेशनल जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। 2021 में ही निकिता ने दुबई में जूनियर एशियन चैंपियनशिप और मार्च 2022 में जॉर्डन में एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। निकिता ने अगस्त 2022 में मणिपुर में आयोजित नेशनल जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप भी जीती।

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बता दें कि निकिता का लक्ष्य 2028 में होने वाले ओलंपिक खेलों में पदक जीतना है। वह इसके लिए तैयारी कर रही हैं। निकिता चंद पहले ही बॉक्सिंग में अपनी कुशलता का लोहा मनवा चुकी हैं। इस लड़की ने एक बार फिर इस राज्य का नाम रोशन किया है।

( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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