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श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में “आधुनिक युग में भारतीय पारंपरिक औषधियों के महत्व” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित (Sri Guru Ram Rai University)

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श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में “आधुनिक युग में भारतीय पारंपरिक औषधियों के महत्व” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित (Sri Guru Ram Rai University)

औषधियों के पारंपरिक ज्ञान को सहेजने की जरूरत : कुलपति

देहरादून/मुख्यधारा

श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में आधुनिक युग में भारतीय पारंपरिक औषधियों के महत्व पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का आयोजन भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।

सेमिनार में राज्य के विभिन्न संस्थानों से आए प्रबुद्ध वक्ताओं ने प्रतिभाग किया। सेमिनार में एचपी विश्वविद्यालय के योग अध्ययन विभाग के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर जीडी शर्मा, देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार योग एवं स्वास्थ्य संकाय सदस्य प्रोफेसर सुरेश लाल बरनवालए पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार के योग विज्ञान विभाग के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर ओम नारायण तिवारी एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के डॉ विक्रम सिंह मुख्य प्रवक्ता रहे।

सेमिनार का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर उदय सिंह रावत, कुलसचिव डॉ अजय कुमार खंडूरी और उपस्थित अतिथियों के साथ ही सामाजिक एवं मानविकी विज्ञान संकाय की डीन प्रोफेसर सरस्वती काला ने दीप प्रज्वलन कर किया।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज ने सेमिनार के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को शुभकामनाएं प्रेषित की।

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सेमिनार के प्रारंभ में डीन प्रोफेसर सरस्वती काला ने उपस्थित अतिथियों एवं वक्ताओं का परिचय प्रस्तुत किया। मेडिकल ऑडिटोरियम में आयोजित सेमिनार में पहले वक्ता प्रोफेसर जीडी शर्मा ने कहा कि आज हमें मानवीय मूल्यों को समझने की आवश्यकता है।

मनुष्य बुरी आदतों को त्याग कर बहुत सी व्याधियों से दूर रह सकता हैद्य साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि वैचारिक प्रदूषण को रोककर पर्यावरण की शुद्धि की जा सकती है। आज हमें अपनी परंपराओं से जुड़ने की जरूरत है, ताकि भौतिकए मानसिक एवं सामाजिक जीवन को सरल और निरोगी बनाया जा सके।

सेमिनार के दूसरे वक्ता प्रोफेसर सुरेश लाल बरनवाल ने अष्टांग योग और पंचमहाभूत के महत्व को बताया। मंत्रोच्चार से जीवन में अशुद्धियों को कैसे दूर किया जा सकता है, इस पर उन्होंने व्याख्यान प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर तीसरे वक्ता डॉ. विक्रम सिंह ने कहा कि कोरोना काल में हर व्यक्ति ने योग के महत्व को समझा और देखा। योग आज एक अभ्यास नहीं, बल्कि एक विज्ञान बन चुका है। उन्होंने पारिस्थितिकी संतुलन के लिए ग्रीन स्किल विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सेमिनार के अंतिम वक्ता डॉ. ओम नारायण तिवारी ने भारत की महान ज्ञान परंपरा के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने स्वास्थ्य जीवन जीने और अच्छी जीवनशैली के लिए अच्छे हार्मोन किस प्रकार विकसित किए जाएं, इसको विस्तार से समझाया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर उदय सिंह रावत ने कहा कि कोराना काल में योग को विश्वभर में अपनाया गया और कई बड़ी-बड़ी फार्मा कंपनियों ने आयुर्वेदिक नुस्खों का प्रयोग कर औषधियां बनाई। उनका कहना था कि आज योग एवं आयुर्वेदिक औषधियों का प्रचलन बहुत बढ़ चुका है। उन्होंने उपस्थित छात्रों एवं प्रतिभागियों को मनोवैज्ञानिक उपचार एवं योगाभ्यास के महत्व के विषय में बताया।

उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति के तहत योग और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित विषयों को शामिल किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां आज भी आधुनिक दवाइयों की पहुंच नहीं है, वहां पर आज भी पारंपरिक औषधियों का प्रयोग किया जा रहा है तथा वे प्रभावी है।

इस अवसर पर योग विभाग के शिक्षकों डॉक्टर सुनील कुमार श्रीवास, डॉक्टर सविता पाटिल द्वारा लिखित दो पुस्तकों योग समन्वय और श्रीमद्भगवद्गीता का योगिक सार, पुस्तकों का विमोचन किया गया।

सेमिनार में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के योग विभाग के शिक्षक डॉ विनोद नौटियाल एवं डॉ रजनी नौटियाल को उनके योग के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही कर्नाटक में आयोजित योगा प्रतियोगिता में उत्तराखंड राज्य का प्रतिनिधित्व कर स्वर्ण पदक हासिल करने वाली योग विभाग की छात्रा साक्षी को भी सम्मानित किया गया।
सेमिनार के दूसरे सत्र में देश के विभिन्न शिक्षा संस्थानों से आए प्रतिभागियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

सेमिनार के अंत में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अजय कुमार खंडूरी द्वारा दिया गयाद्य सेमिनार के समन्वयक डॉ सुनील कुमार श्रीवास रहेद्य इस अवसर पर उनके साथ योग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कंचन जोशी उपस्थित रहे।

सेमिनार में डीन अकादमिक प्रोफेसर मालविका कांडपाल, विश्वविद्यालय के मुख्य परीक्षा नियंत्रक डॉ संजय पोखरियाल, शोध संकाय के अध्यक्ष डॉक्टर लोकेश गंभीर, आईक्यूएसी निदेशक डॉ सुमन बिज, डॉ मनोज गहलोत, डॉ अनिल थपलियाल, डॉक्टर सुरेंद्र प्रसाद रयाल, डॉक्टर विजेंद्र सिंह, डॉक्टर सविता पाटिल के अलावा सभी संकायों के डीन, विभाग अध्यक्ष सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं सैकड़ों छात्र मौजूद रहे।

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