एक नजर: आर्थिक के साथ अब राजनीतिक संकट भी, जनता सड़कों पर तलाश रही लंका का भविष्य, और बिगड़े हालात (srilanka)  - Mukhyadhara

एक नजर: आर्थिक के साथ अब राजनीतिक संकट भी, जनता सड़कों पर तलाश रही लंका का भविष्य, और बिगड़े हालात (srilanka) 

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शंभू नाथ गौतम

शनिवार को श्रीलंका (srilanka)  की राजधानी कोलंबो में राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शनकारियों के कब्जे की तस्वीरें पूरे दुनिया भर में खूब वायरल हुई। करीब 4 महीनों से आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में पब्लिक का गुस्सा और विद्रोह इतना भड़क गया कि सरकार को ही भागने पर विवश कर दिया।

लंका (srilanka)  की जनता ने भले ही राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को भागने पर मजबूर कर दिया हो लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। जनता सड़कों पर है।

श्रीलंका में अब आर्थिक संकट के साथ राजनीतिक संकट भी बढ़ गया है। राष्ट्रपति आवास पर कब्जा करने के बाद शनिवार देर रात प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के घर को भी घेर लिया, जिसके बाद विक्रमसिंघे ने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। राष्ट्रपति के भागने के बाद भले ही श्रीलंका के अधिकांश लोग खुशियां मना रहे हैं लेकिन आर्थिक हालात और खराब हो गए हैं।

देश में खाद्यान्न से लेकर पेट्रोल, डीजल, दूध के साथ मूलभूत जरूरतों का गहरा संकट छा गया है। स्कूल, कॉलेज और बैंक सभी बंद हैं। राजधानी कोलंबो समेत तमाम शहरों में तनावपूर्ण जैसे हालात हैं। भारत का पड़ोसी श्रीलंका फिलहाल गृहयुद्ध के कगार पर आ खड़ा हुआ है। देश में चारों तरफ सड़कों पर लोगों का हुजूम जमा है।

श्रीलंका में आर्थिक के साथ राजनीतिक संकट भी गहराया, कौन संभालेगा सरकार की कमान

श्रीलंका में आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद लोगों का सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता गया। 5 महीने पहले ही लंका की जनता ने इसके लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के विरोध में सड़कों पर उतरे थे। तब श्रीलंका सरकार ने लोगों की नाराजगी को हल्के में ले लिया था। लेकिन आर्थिक संकट के बीच गुस्साई जनता का विरोध बढ़ता गया और उग्र रूप ले गया।

‌बता दें कि इससे पहले उनके राष्ट्रपति गोटबाया के भाई महिंद्रा राजपक्षे मई में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के खिलाफ इसी साल 15 मार्च को प्रदर्शन शुरू हुआ था। अब राष्ट्रपति राजपक्षे के भागने और प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के इस्तीफा देने के बाद स्थिर सरकार भी नहीं बची है। सरकार के संकट के बीच असेंबली स्पीकर अभयवर्धने को अंतरिम राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव रखा है।

श्रीलंकाई संविधान के अनुसार राष्ट्रपति इस्तीफा दे, तो स्पीकर एक महीने के लिए अंतरिम राष्ट्रपति बन सकते हैं। श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों के राष्ट्रपति आवास पर कब्जा करने के बाद सबके मन में एक ही सवाल है, आखिर गोटबाया कहां हैं।

रिपोर्ट की मानें तो कोलंबो से फरार राष्ट्रपति गोटबाया ने 13 जुलाई को इस्तीफा दे सकते हैं। लेकिन राजनीतिक और आर्थिक संकट का समाधान होता नहीं दिख रहा है । श्रीलंका के नागरिक फिलहाल अपना भविष्य तलाश रहे हैं।

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