देहरादून का प्रिंस होटल (Prince Hotel) अब यादों में रहेगा!
शीशपाल गुसाईं
देहरादून का प्रसिद्ध प्रिंस होटल, जो 1970, 1980 और 1990 के दशक में विलासिता और भव्यता का प्रतीक था, अब अपने अंतिम दिनों का सामना कर रहा है। अपनी सेवा के लिए मशहूर इस प्रतिष्ठित होटल को इसके मालिक लच्छा सेठ के बेटे हरीश विरमानी ध्वस्त करने जा रहे हैं। यह फैसला बदलते समय और शहर में आधुनिकीकरण की जरूरत के चलते लिया गया होगा।
दशकों तक, प्रिंस होटल देहरादून आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद रहा। इसका नाम आराम और आतिथ्य का पर्याय बन गया था और यहां ठहरने वाले लोग अक्सर अपने अविस्मरणीय अनुभवों को याद करते थे। होटल की बेहतरीन लोकेशन और शानदार सुविधाएं इसे बाकी होटलों से अलग बनाती हैं, जिससे यह शहर में एक लैंडमार्क बन गया।प्रिंस होटल रोड़वेज बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन के बीच में था। तब प्रिंस होटल हरिद्वार रोड़ में सुविधा जनक इलाकों में सुमार होता था। उस समय पार्किंग की इतनी मांग नहीं थीं। मुसाफ़िर लोग पैदल ही होटल में आते थे।
हालांकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, देहरादून में नए और शानदार होटल उभरने लगे और प्रिंस होटल पीछे छूट गया। वर्ष 2024 तक, यह अपने प्रतिद्वंद्वियों से पिछड़ गया और इसके कभी चहल-पहल वाले हॉल अब खाली और शांत हो गए। होटल को ध्वस्त करके उसकी जगह पर एक नई इमारत बनाने के निर्णय को शहर के बदलते परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाने के लिए एक आवश्यक कदम के रूप में देखा गया।
जब मैं अब ढहती हुई इमारत को देख रहा था, तो मैं उस भव्यता की यादों को ताज़ा करने से खुद को नहीं रोक पाया, जो कभी इसकी शान हुआ करती थी। प्रिंस होटल की यादें हमेशा उन लोगों के दिलों में अंकित रहेंगी, जिन्हें वहां रहने का सौभाग्य मिला था। देहरादून में प्रिंस चौक, जिसका नाम प्रसिद्ध होटल के नाम पर रखा गया है, आने वाली पीढ़ियों के लिए इसके गौरवशाली दिनों की याद दिलाता रहेगा।
जबकि प्रिंस होटल को ढहाए जाने पर यह बदलाव की अनिवार्यता की याद भी दिलाता है। जैसे-जैसे शहर विकसित होते हैं और बढ़ते हैं, वैसे-वैसे उनके ऐतिहासिक स्थल भी विकसित होने चाहिए। प्रिंस होटल का ध्वस्त होना दो तीन दशक का अंत हो सकता है, लेकिन यह नई शुरुआत और अवसरों का मार्ग भी प्रशस्त करता है। इस होटल की याद बहुत सारे लोगों को अवश्य रहेगी।