प्रदेशभर में बारिश ने मचाई तबाही (Rain wreaks havoc), जनजीवन अस्त-व्यस्त
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
पूरी दुनिया में कुदरत की सौंदर्यता के लिए जाना जाने वाला राज्य होने के साथ ही उत्तराखंड प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं के लिए भी जाना जाने लगा है, इसे इस राजा का दुर्भाग्य ही कह सकते हैं प्रदेशभर में बारिश ने तबाही मचाई हुई है। भारी बारिश के चलते नदी-नाले भी उफान पर है।
भूस्खलन से कई परिवारों के बेघर होने की खबरे सामने आई है। लोगों पर बारिश इस कदर आफत बनकर टूट रही है कि उन्हें अपने आशियाने को छोड़कर अन्यत्र शरण लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।
बता दें बेघर परिवारों को अस्थायी राहत शिविरों में रात गुजारनी पड़ रही है। पिछले पांच दिनों से लगातार हो रही बारिश ने कहर बरपा रखा है। भारी बारिश के चलते प्रतापनगर विधानसभा के अंतर्गत ग्राम पंचायत भेलुन्ता देवल मोटर मार्ग के पास सड़क घसने से पांच परिवार इसकी जद में आ गए हैं।
जिला प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर सभी परिवारों को प्राथमिक विद्यालय में शिफ्ट किया है। पीड़ितों का कहना है कि प्रशासन को इसके बाए में जानकारी दी है हर मानसून में यहां पर ये स्थिति बनी रहती है बावजूद इसके प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है। जिसका खामियाजा आज उन्हें इस तरह भुकतना पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि तेज बारिश के चलते सड़क धंस गई है। जिससे छह परिवारों के मकान खतरे की जद में आ गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वह पिछले कई सालों से भूस्खलन का दंश झेल रहे हैं। पिछले कई साल पहले वहां पर भूस्खलन होने के कारण शासन प्रशासन ने भूगर्भीय टीम को भेजकर गांव का निरीक्षण करवाया था।
बस्ती छेरदानू का स्थल निरीक्षण करवाकर लोगों की समस्या का समाधान करने की बात कही गई। जिसमें 26 लोगों को विस्थापन भी किया गया है।
ग्रामीणों के अनुसार कुछ परिवारों को आज भी विस्थापित नहीं किया गया है। फिलहाल इन परिवारों को लेकर विस्थापित करने की प्रक्रिया चल ही रही है। पीड़ित परिवार प्रशासन से एक स्थाई छत की मांग कर रहे हैं।
पीड़ितों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें प्रशासन की ओर से केवल चार-चार लाख रुपए देकर उसी जगह पर मकान बनाने के लिए कहा गया। जिसके कारण उनके द्वारा बनाए गए मकान आज फिर भूस्खलन की जद में हैं। पीड़ित परिवार अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
अब सवाल यही उठता है कि आखिर कब शासन प्रशासन इस ओर नजरे इनायत करेगी। आखिर कब तक पीड़ित परिवारों को शरणार्थी बने रहना पड़ेगा उत्तराखंड में हो रही बारिश तांडव मचा रही है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में बीते सप्ताहभर से लगातार बारिश हो रही है, बारिश के कारण व्यवस्थाएं चौपट हो गई है। प्रदेशभर की 248 सड़कें बंद हैं।
बरसात के कारण हुए भूस्खलन से यह सड़क मार्ग अवरुद्ध हुए हैं। सड़कें बंद होने के कारण राज्यभर के 503 गांवों का संपर्क जिला मुख्यालयों से कट गया है। 70 गांवों में पानी की आपूर्ति ठप हो गई है। 150 गांव अंधेरे में जीने को मजबूर है।
लगातार हो रही बारिश के कारण कई लोग बेघर हो गए हैं तो कई लोग अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे है केदारनाथ पैदल मार्ग पर पहाड़ी से मलबा और पत्थर गिरने के कारण वहां से गुजर रही गुजरात की एक महिला तीर्थ यात्री की मौत हो गई। टिहरी जिले के नंद गांव के पास पहाड़ी से मलबा गिरने के कारण उत्तर प्रदेश का कांवड़िया गहरी खाई में गिरा और मौके पर ही मौत हो गई।
टिहरी जिले में आकाशीय बिजली ने तांडव मचाया है। जिले के भिलंगना ब्लॉक के पवाली बुपाल क्षेत्र में आसमान से बिजली गिरने के कारण वहां चर रही 100 से अधिक बकरियां मर गई हैं। जिले के मंगोली गांव में बुधवार रात आकाशीय बिजली गिरने से गौशाला और गाय की मौके पर जलकर मौत हो गई।
बागेश्वर जिले में हुई अतिवृष्टि के कारण चार मकान धराशाई हो गए, जिस कारण 14 लोगों की जिंदगी सड़क पर आ गई है। लक्सर में जल ‘प्रहार’, बिगड़े हालात, मदद के लिए बुलाई गई सेना, हरिद्वार में बारिश के बाद हालात खराब होते जा रहे हैं।
सीएम हालातों का जायजा लेने ग्राउंड जीरो पर हरिद्वार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हेलीकॉप्टर और नाव से जायजा. सीएम धामी के जायजा लेने के बाद लक्सर में आपदा राहत बचाव कार्य के लिए सेना बुला ली गई हैं।
(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।)