द्वारीखाल/मुख्यधारा
नमामि गंगे एवं स्वच्छ भारत मिशन के द्वितीय चरण अंतर्गत किए गए कार्यों को साझा करने के लिए पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर सरपंच संवाद कार्यक्रम में कई राज्यों के सरपंच/प्रधानों ने वर्चुअली प्रतिभाग किया। इस दौरान गंगा ग्रामों की स्थिति पर चर्चा की गई और कहा गया कि मां गंगा के किनारे बसे सभी गंगा ग्राम भारतीय संस्कृति के संवाहक हैं। इस दौरान गंगा ग्रामों से प्रेरणा भी ली गई। इस मौके पर स्वच्छ भारत अभियान के एडिशनल सेक्रेटरी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इसी कड़ी में उत्तराखंड से पौड़ी जनपद के द्वारीखाल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत किनसुर प्रधान दीपचन्द शाह ने सरपंच संवाद कार्य में प्रतिभाग कर अपनी ग्रामसभा की स्थिति से अवगत कराया।
ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम में किनसुर प्रधान दीपचन्द शाह ने कहा कि हमारी ग्राम पंचायत देवप्रयाग के नजदीक स्थित है, जहाँ भागीरथी व अलकनन्दा नदियों का संगम है। इससे आगे यह नदी गंगा माँ बनकर बहती है। साथ ही व्यासघाट के दूसरे छोर पर उनकी ग्रामसभा सटी हुई है, जहां पर नयार नदी गंगा में मिल जाती है।
उन्होंने कहा कि नमामि गंगे के अंतर्गत हमारी ग्राम पंचायत किनसुर में विभिन्न प्रकार के कार्य स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत स्वजल के सहयोग से संचालित किये जाते हैं। पूर्व में हमारी ग्राम पंचायत के 181 परिवारों में से 94 परिवार शौचालय विहीन थे, लेकिन स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत समस्त शौचालयों का निर्माण ग्राम पंचायत के सहयोग से किया गया है। इसके साथ ही ग्राम बागी में एक सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया गया है, जिसमें 4 युनिट शौचालय हैं, जिसका रखरखाव ग्राम पंचायत के सहयोग से किया जाता है।
प्रधान ने बताया कि हमारी ग्राम पंचायत में पर्यावरणीय स्वच्छता के अंतर्गत समय-समय पर स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा सफाई अभियान के तहत गंगा घाटों की सफाई की जाती है। साथ ही उद्यान विभाग व वन विभाग के सहयोग से नदी के किनारे 2000 पौधों का वृक्षारोपण गत वर्ष किया गया। जिसमें फलदार व चारा प्रजाति के मिश्रित वनों का रोपण किया गया।
प्रधान दीपचन्द शाह ने यह भी कहा कि स्वच्छ भारत मिशन -2 के अंतर्गत ग्राम पंचायत में कई अभिनव प्रयोग किये गये। इसके अंतर्गत ग्राम पंचायत में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की कार्ययोजना तैयार की गई। जिसमें स्वजल जनपद पौड़ी का सहयोग सराहनीय रहा है। ग्राम बागी मे समस्त परिवारों के घरों को अंडरग्राउंड नालियों से जोड़ा गया, जिससे उनके घरों का अपशिष्ट ग्रे वाटर नालियों के माध्यम से, ग्रिट फिल्टर चैम्बर से छन कर सोख्ता गड्डे मे चला जाता, जिससे वह प्रकृतिक रूप से फिल्टर होकर जमीन के भीतर चला जाता है। वहीं दूसरे गांव पोगठा में भी इसी प्रकार का अभिनव प्रयोग करते हुए उक्त ग्रे वाटर को पुन: उपयोग करने हेतु अंडरग्राउंड टैंक का निर्माण किया जा रहा है।
श्री शाह ने बताया कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेन्ट के लिए भी उनके द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। हमारी ग्राम पंचायत द्वारा स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के सहयोग से पूरे रास्तों में छोटे-छोटे पोकेट बिन 1 घन मीटर के बनाये जा रहे हंै, ताकि स्कूल के छात्र-छात्राएं कूड़ा इधर उधर न फेंक कर उस पोकेट में ही डालें। ऐसा करने से उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आएगा। इन पोकेट में एकत्रित कूड़ा प्रत्येक माह की 15 तारीख वहां से उठा कर प्लास्टिक कलेक्शन सेंटर में भेज दिया जाता है।
किनसुर ग्राम पंचायत चूंकि न्याय पंचायत भी है, अत: स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत स्वजल एवं पंचायती राज के कनवरजैन्स के माध्यम से एक प्लास्टिक सेंटर व कॉम्पैक्टर मशीन की स्थापना का प्रस्ताव है, ताकि न्याय पंचायत स्तर पर भी कूड़ा का निस्तारण किया जा सके। कॉम्पैक्टर के माध्यम से कॉम्पैक्ट किया गया कूड़ा हरिद्वार कूड़ा निस्तारण केन्द्र को बेचा जाएगा।
अंत में प्रधान दीपचन्द शाह ने कहा कि हम लोग जो माँ गंगे नदी के किनारे बसे हैं, इससे हमें बहुत कुछ मिलता है या यूं कहें कि गंगाजी हमारे कई गांवों की जीविकोपार्जन का स्रोत भी है। अत: इसको साफ रखने की भी हम सभी की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि गंगा किनारों पर यदि मेडिशनल प्लांट लगाए जाएं तो इससे जहां पर्यावरण संरक्षण होगा, वहीं जनमानस को स्वास्थ्य लाभ भी मिलेगा।