मुख्य सचिव ने की थी सी0बी0आई0/सी0बी0सी0आई0डी0 जाँच की सिफारिश।
मन्त्री श्री आर्य ने आई0ए0एस0 षणमुगम से क्यों छीनी जाँच
एस0आई0टी0 से जाँच कराने की सी0एम0 की क्या थी मंशा
नेताओं/अधिकारियों के काॅलेजों पर कार्यवाही क्यों नहीं
देहरादून। जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि पूर्व में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में जाँच अधिकारी वी0 षणमुगम ने 27.03.2017 को पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जाँच की सिफारिश एवं गम्भीर घोटाले का इशारा करते हुए सरसरी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। षणमुगम के नेतृत्व में 08.03.2017 को एक जाँच कमेटी का गठन किया गया था।
समाज कल्याण मन्त्री यशपाल आर्य ने कार्यभार ग्रहण करते ही 26.03.2017 को मात्र एक सप्ताह के भीतर जाँच अधिकारी आई0एस0एस0 षणमुगम को हटाकर श्री वी0एस0 धानिक, निदेशक समाज कल्याण को जाँच सौंपने के निर्देश दिये थे, चूँकि षणमुगम आई0ए0एस0 अधिकारी थे, इसलिए इनके स्थान पर इनके निर्देश पर इनके पसंदीदा अधिकारी श्री जी0बी0 ओली को नियुक्त किया गया।
नेगी ने कहा कि पूरे प्रकरण की गम्भीरता को देखते हुए उस वक्त के मुख्य सचिव एस0 रामास्वामी ने दिनांक 12.05.2017 को सी0बी0आई0/सी0बी0सी0आई0डी0 विजीलेंस जाँच की सिफारिश की थी, लेकिन मुख्यमन्त्री ने मन्त्रियों एवं अन्य नेताओं के दबाव में आकर सी0बी0आई0/सी0बी0सी0आई0डी0 जाँच को दरकिनार कर मई 2017 को एस0आई0टी0 जाँच की मंजूरी दी, जबकि उक्त घोटाले के तार अन्य प्रदेशों से भी जुड़े थे।
नेगी ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि मुख्यमन्त्री का घोटाले की सी0बी0आई0/ सी0बी0सी0आई0डी0 जाँच न कराना, मन्त्री आर्य द्वारा जाँच अधिकारी को बदलना तथा आज तक मंत्रियों/नेताओं/अधिकारियों के काॅलेजों से जुडे घोटाले में शामिल गुनहगारों की गिरफ्तारियाँ न होना यह दर्शाता है कि पूरी सरकार ही भ्रष्टाचार में लिप्त है।
नेगी ने व्यंग्य कसते हुए कहा कि क्या अन्य दलों के गुनहगारों के लिए ही एस0आई0टी0 का गठन किया गया था।