Special Session Die : कयासों-अटकलों पर लगा विराम, महिला आरक्षण बिल और नई संसद भवन के नाम रहा विशेष सत्र, एक दिन पहले ही खत्म हुआ स्पेशल सेशन - Mukhyadhara

Special Session Die : कयासों-अटकलों पर लगा विराम, महिला आरक्षण बिल और नई संसद भवन के नाम रहा विशेष सत्र, एक दिन पहले ही खत्म हुआ स्पेशल सेशन

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Special Session Die : कयासों-अटकलों पर लगा विराम, महिला आरक्षण बिल और नई संसद भवन के नाम रहा विशेष सत्र, एक दिन पहले ही खत्म हुआ स्पेशल सेशन

विशेष सत्र शुरू होने से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि केंद्र सरकार देश का नाम ‘INDIA से हटाकर सिर्फ भारत’ रख देगी। इसके अलावा एक चर्चा यह भी थी कि केंद्र ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर बिल लाएगी।‌ वहीं विशेष सत्र की शुरुआत से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी सरकार ‘समान नागरिक संहिता’ का बिल संसद में पेश कर सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। यह स्पेशल सेशन महिला आरक्षण बिल और नई संसद के नाम रहा।

शंभू नाथ गौतम

केंद्र की मोदी सरकार के अब तक साढ़े नौ वर्ष के कार्यकाल में संसद का यह विशेष सत्र कई मायनों में यादगार और नारी शक्ति पर लिए गए ऐतिहासिक फैसले के लिए लंबे समय तक याद रखा जाएगा। केंद्र ने संसद इस सत्र को ‘स्पेशल सत्र’ के रूप में प्रेजेंट किया था। सत्र के शुरू होने से पहले कयासों और अटकलें का बाजार गर्म रहा।

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चर्चा थी कि मोदी सरकार संसद के विशेष सत्र में कोई बड़ा फैसला करने जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 5 दिन (18 से 22 सितंबर) तक संसद का विशेष सत्र बुलाया था। मगर यह सत्र एक दिन पहले 21 सितंबर को ही खत्म हो गया। यह स्पेशल सेशन पूरी तरह से महिला आरक्षण बिल और नई संसद के नाम रहा।

संसद के विशेष सत्र शुरू होने से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि केंद्र सरकार देश का नाम INDIA से हटाकर सिर्फ भारत रख देगी। हालांकि G20 बैठक से पहले ही सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया था कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है।

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दरअसल देश का नाम बदलने की चर्चा राष्ट्रपति के एक निमंत्रण से शुरू हुई थी। जब राष्ट्रपति ने राजनेताओं को G20 डिनर में शामिल होने का निमंत्रण भेजा तो उसमें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा हुआ था। इसके बाद विशेष सत्र की तारीख के चयन को लेकर भी चर्चा होने लगी। लेकिन यह सारी चर्चाएं सिर्फ बयानबाजी साबित हुईं।

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इसके अलावा एक चर्चा यह भी थी कि केंद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बिल लाएगी।‌ हालांकि केंद्र सरकार ने इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय कमेटी का गठन भी कर दिया है।

कांग्रेस समेत विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी का नाम भी कमेटी में शामिल था, लेकिन अधीर ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था।

वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर सरकार, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी I.N.D.I.A. में शामिल पार्टियों के अपने-अपने तर्क हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने इस विशेष सत्र में इससे जुड़ा कोई मु्द्दा नहीं उठाया। वहीं विशेष सत्र की शुरुआत से पहले एक चर्चा यह भी थी कि केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता का बिल संसद में पेश कर सकती है।‌ हालांकि ऐसी चर्चा मानसून सत्र से पहले भी थी, लेकिन तब भी यह बिल पेश नहीं हुआ था। कहा गया कि सरकार को UCC से जु़ड़ी कमेटी बनाने में लंबा वक्त लगने वाला है। ऐसे में इस बार की चर्चाओं को भी केंद्र सरकार ने खारिज किया और ऐसा कोई बिल संसद में पेश नहीं किया गया। कुल मिलाकर या संसद का विशेष सत्र में संसद भवन और महिला आरक्षण बिल के नाम रहा।

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‌वहीं कांग्रेस समेत विपक्षी सांसदों ने इस बिल को लागू होने पर सवाल भी उठाए। कई विपक्षी सांसदों की मांग थी कि यह विधेयक साल 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान लागू किया जाए। विपक्ष के सवालों को लेकर मोदी सरकार कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सकी। फिलहाल यह नारी शक्ति वंदन विधेयक देश में किस साल लागू होगा, अभी तय नहीं है।

चार दिन तक चले संसद के विशेष सत्र का सफर कुछ इस प्रकार रहा

महिला आरक्षण बिल नई संसद में पेश और पास होने वाला पहला बिल बना। 18 सितंबर को इस विशेष सत्र की शुरुआत पुरानी संसद भवन से हुई। उसी दिन मोदी सरकार ने शाम को राजधानी दिल्ली में कैबिनेट की बैठक बुलाई। इस बैठक में मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल लाने का एलान कर दिया। वहीं 19 सितंबर को पुराने संसद भवन की विदाई दी गई और उसी दिन संसद की कार्यवाही में संसद भवन में शिफ्ट हो गई। उसी दिन केंद्र सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया। उसके बाद 20 सितंबर को यह बिल लोकसभा से पूर्ण बहुमत के साथ पारित हो गया। लोकसभा में 7 घंटे की चर्चा के बाद यह बिल पास हो गया। इसके पक्ष में 454 और विरोध में 2 वोट पड़े। दो एआईएमआईएम के सांसदों ने इसका विरोध किया। उसके बाद 21 सितंबर दिन गुरुवार को नारी शक्ति वंदन विधेयक राज्यसभा में पेश हुआ।

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इस दौरान इस बिल को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों में लंबी चर्चा भी हुई। सदन में मौजूद सभी 215 सांसदों ने बिल का समर्थन किया। रात करीब 10:30 बजे यह विधेयक पारित हो गया। इसके बाद संसद का यह विशेष सत्र अपने तय समय से एक दिन पहले ही समाप्त हो गया। अब यह बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा। जिसके लागू होने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33% आरक्षण मिलेगा। अभी लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं, बिल के कानून बनने के बाद 181 महिला सांसद हो जाएंगी। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जन प्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण बिल को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने को ऐतिहासिक क्षण बताया है। उन्होंने कहा, ‘हमारे देश की लोकतांत्रिक यात्रा का एक ऐतिहासिक क्षण! 140 करोड़ भारतवासियों को बहुत-बहुत बधाई! नारी शक्ति वंदन अधिनियम से जुड़े बिल को वोट देने के लिए राज्यसभा के सभी सांसदों का हृदय से आभार। सर्वसम्मति से इसका पास होना बहुत उत्साहित करने वाला है। इस बिल के पारित होने से जहां नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व और मजबूत होगा, वहीं इनके सशक्तिकरण के एक नए युग की शुरुआत होगी। यह सिर्फ एक कानून नहीं है, बल्कि इसके जरिए राष्ट्र निर्माण में अमूल्य भागीदारी निभाने वाली देश की माताओं, बहनों और बेटियों को उनका अधिकार मिला है। इस ऐतिहासिक कदम से जहां करोड़ों महिलाओं की आवाज और बुलंद होगी, वहीं उनकी शक्ति, साहस और सामर्थ्य को एक नई पहचान मिलेगी।

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गुरुवार रात दोनों सदनों से नारी शक्ति बिल पारित होने के बाद नई संसद में महिला सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोटो खिंचवाए। यहां आपको बता दें कि एक साल में संसद के तीन सत्र बुलाए जाते हैं लेकिन जब सरकार को किसी विशेष मुद्दे पर चर्चा की जरूरत महसूस होती है तो यह विशेष सत्र बुलाया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 85 में संसदीय सत्र बुलाए जाने का जिक्र है। आमतौर पर संसद में तीन बार सेशन बुलाए जाने की परंपरा है। जनवरी के अंत में शुरू होकर अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह तक चलता है। जिसे हम बजट सत्र कहते हैं। वहीं जुलाई और अगस्त के महीने में होने वाला संसद के सत्र को मानसून सत्र कहा जाता है। ‌ उसके बाद सबसे आखिर में नवंबर से दिसंबर तक आयोजित होने वाला सत्र को शीतकालीन सत्र कहा जाता है।

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