45 साल की हुई बीजेपी : लोकसभा चुनाव के जोर-शोर में भाजपा (BJP) आज मना रही अपना स्थापना दिवस, 45 साल पहले पार्टी की रखी गई थी नींव - Mukhyadhara

45 साल की हुई बीजेपी : लोकसभा चुनाव के जोर-शोर में भाजपा (BJP) आज मना रही अपना स्थापना दिवस, 45 साल पहले पार्टी की रखी गई थी नींव

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45 साल की हुई बीजेपी : लोकसभा चुनाव के जोर-शोर में भाजपा (BJP) आज मना रही अपना स्थापना दिवस, 45 साल पहले पार्टी की रखी गई थी नींव

देहरादून/मुख्यधारा

लोकसभा चुनाव के जोर-शोर में भारतीय जनता पार्टी आज अपना स्थापना दिवस भी मना रही है। भाजपा हर साल 6 अप्रैल को अपना स्थापना दिवस मनाती है। ‌पार्टी का आज 45वां स्थापना दिवस है। ‌इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं दी ।

वहीं भाजपा के नेता और कार्यकर्ता पूरे देश भर में मोदी सरकार की नीतियों का प्रचार-प्रसार करने में जुट गए हैं। इसके लिए देशभर में विशेष तैयारियां की गई हैं।

इस मौके पर पार्टी ‘फिर एक बार, मोदी सरकार’ के नारे के साथ देश भर के 10 लाख से ज्यादा बूथों पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है। पार्टी देशभर के कार्यकर्ताओं को ‘फिर एक बार, मोदी सरकार- अबकी बार, 400 पार’ के नारे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के संकल्प को साकार करने के अभियान में अथक परिश्रम के साथ जुट जाने का आह्वान भी स्थापना दिवस के मौके पर फिर से करेगी।

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पार्टी इन कार्यक्रमों के जरिए मतदाताओं तक यह संदेश भी पहुंचाने का प्रयास करेगी कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक ओर जहां गरीब, किसान, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए ढेर सारे ऐतिहासिक कार्य हुए हैं, वहीं दूसरी ओर आधारभूत संरचना के क्षेत्र में बहुत तेजी से प्रगति करते हुए भारत के मान-सम्मान को बढ़ाने एवं संस्कृति और विरासत के क्षेत्र में भी अद्वितीय कार्य हुए हैं।चार दशकों में पार्टी ने लोकसभा में 2 सीटों से 303 सीटों का लंबा सफर तय किया है। अटल-आडवाणी की जोड़ी से मोदी-शाह की जोड़ी तक पार्टी ने हर दशक में नई उपलब्धि हासिल की। इसमें राम जन्मभूमि आंदोलन ने भी उसकी मदद की, जिसका परिणाम पिछले साल अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के तौर पर सामने आया। भले ही भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को हुई, लेकिन इसका इतिहास भारतीय जनसंघ से जुड़ा है।

डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर कथित अत्याचार पर भारत के चुप रहने पर जवाहरलाल नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की।

डॉ. मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ ने कश्मीर को विशेषाधिकार देने का विरोध किया। उन्हें जेल में डाल दिया गया, जहां उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। 1967 में भारतीय जनसंघ एवं दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में कई राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार टूटा और कांग्रेस को राज्यों में हार मिलनी शुरू हुई।

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1977 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल खत्म कर चुनाव कराने का फैसला किया तो जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर सभी कांग्रेस-विरोधी दल एकजुट हुए और ‘जनता पार्टी’ बनाई। भारतीय जनसंघ का जनता पार्टी में विलय 1 मई 1977 को हुआ। जनता पार्टी का प्रयोग ज्यादा दिन नहीं चला। आपसी प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई। कहा गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध रखने वाले जनता पार्टी में नहीं रहेंगे। तब 6 अप्रैल 1980 को नए संगठन के तौर पर भाजपा बनी। अटल बिहारी वाजपेयी पहले अध्यक्ष बने। 1984 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर थी और भाजपा सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल कर सकी।1989 में बोफोर्स और अन्य मुद्दों के चलते भाजपा आगे बढ़ी और तब उसके पास 85 सीटें थीं। इसी साल पार्टी ने राम जन्मभूमि आंदोलन को समर्थन दिया।

लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से राम रथयात्रा शुरू की। इसके बाद तो पार्टी को मिलने वाला समर्थन बढ़ता ही गया। उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया। आंदोलन ने जोर पकड़ा तो 1991 में पार्टी की सीटें बढ़कर 120 हो गईं। 1993 में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल और मध्य प्रदेश में भी भाजपा के वोट बढ़े। 1995 में आंध्र, कर्नाटक, बिहार, ओडिशा, गोवा, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी कमल खिला। 1996 में भाजपा ने 161 सीटें जीतीं और लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, पर बहुमत नहीं होने से 13 दिन में ही सरकार गिर गई। 1998 के मध्यावधि चुनावों में भाजपा ने सहयोगी दलों के साथ एनडीए बनाया और सत्ता में आई। 1999 में अन्नाद्रमुक ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई।

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अक्टूबर-1999 में एनडीए ने 303 सीटें जीतीं और स्पष्ट बहुमत हासिल किया। बीजेपी 183 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। 2004 में वाजपेयी के नेतृत्व में इंडिया शाइनिंग का नारा दिया गया, पर चला नहीं और कांग्रेस के 222 की तुलना में उसे 186 सीटें ही मिलीं। 2009 में भाजपा की सीटें घटकर 116 रह गईं। 2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 282 सीटें जीतीं और 543 में से एनडीए ने 336 सीटों पर जीत हासिल की। मोदी 26 मई 2014 को देश के 15वें प्रधानमंत्री बने। 1984 के बाद पहली बार किसी पार्टी को लोकसभा में बहुमत मिला था। इसके बाद बीजेपी ने 2019 में 303 सीटों पर जीत हासिल की और इतिहास रच दिया। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा केंद्र की सत्ता पर तीसरी बार आने के लिए जोर लगाए हुए हैं।

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