सियासत: ऐन चुनाव में लगा आम आदमी पार्टी को झटका - Mukhyadhara

सियासत: ऐन चुनाव में लगा आम आदमी पार्टी को झटका

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  • देहरादून की छह सीटों में से आप पार्टी ने गढ़वाली मूल के एक भी व्यक्ति को नहीं दिया टिकट: संजय भट्ट

मुख्यधारा/देहरादून

आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में पहाड़वासियों के प्रति कितनी समर्पित है, इसकी पोल स्वयं उनके पदाधिकारी व कार्यकर्ता ही खोलने लगे हैं। आए दिन लगातार पार्टी से बड़ी संख्या में पदाधिकारी व कार्यकर्ता छिटककर दूसरे दलों की शरण ले रहे हैं। इसका प्रमुख कारण रीढ़ की तरह पिछले काफी समय से पार्टी के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर नए कार्यकर्ताओं को टिकट वितरण माना जा रहा है। ऐसे ही वाकया आज देहरादून में भी सामने आया है, जहां की छह सीटों पर एक भी पहाड़वासी को टिकट नहीं दिया गया है। इसे पहाड़वासी अपने साथ घोर उपेक्षा बता रहे हैं।

आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट ने आज उपेक्षा के चलते दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि आप पार्टी लगातार पहाड़वासियों के साथ भेदभाव व उपेक्षा कर रही है। देहरादून जिले में छह विधानसभा सीटें हैं, किंतु एक भी सीट पर पहाड़वासी को टिकट नहीं दिया गया है। जिसके चलते उन जैसे सैकड़ों कार्यकर्ताओं की घोर उपेक्षा की जा रही है।

संजय भट्ट ने कहा कि आप पार्टी ने देहरादून की सभी 6 सीटों में से एक भी गढ़वाली को प्रत्याशी नहीं बनाया है।

उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली में करीब 40 लाख उत्तराखण्डी रहते हैं। इसको देखते हुए भाजपा-कांग्रेस जैसे दल भी वहां अपने दो-दो प्रत्याशी उतारती है, किंतु आम आदमी पार्टी ने वहां भी एक भी उत्तराखंडी को टिकट देने लायक प्रत्याशी नहीं समझा। यह पहाड़ के प्रति आप की उपेक्षा नहीं तो और क्या है?

संजय भट्ट बताते हैं कि देहरादून शहर में वर्तमान में चार विधायक पहाड़ मूल के हैं। भाजपा यहां चार गढ़वाली व दो नॉन गढ़वाली मूल के नेता को टिकट देती रही है, जबकि कांग्रेस 2-3 गढ़वाली व 3-4 नॉन गढ़वाली को टिकट देती रही है। जिससे सभी का प्रतिनिधित्व बना रहे, किंतु पहली बार प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ रही आप पार्टी ने तो दून शहर के विधानसभा टिकटों में गढ़वालियों को कोई तवज्जो न देना दर्शाता है कि वे पहाड़वासियों का कितना सम्मान करती है?
यह स्थिति तब है, जब अधिकांश वोट, पहाड़ से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली से आए ये लोग उत्तराखण्डियत और उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन की मूल अवधारणा को क्या जानेंगे?

संजय भट्ट ने तर्क देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड बीजेपी ने 8 महिलाओं को टिकट देकर उत्तराखण्ड निर्माण करने वाली मातृशक्ति का सम्मान किया है। इसके उलट कांग्रेस व आप पार्टी ने मात्र 5-5 महिलाओं को ही टिकट दिया, जो उत्तराखण्ड की मातृशक्ति का अपमान को दर्शाता है।

कर्नल कोठियाल भी कर रहे नजरअंदाज

संजय भट्ट ने कहा कि पार्टी प्रभारी दिनेश मोहनिया व सह प्रभारी राजीव कुमार (चौधरी) दिल्ली से आए हैं, किंतु कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल भी मुख्यमंत्री पद की चाह में हो रही गलती को नजरअंदाज करेंगे, ऐसा सोचा नहीं था। यह पार्टी के लिए बड़ा नुकसानदेह है।

हवाई दावे भी कम नहीं

आप प्रभारी ने कहा था कि 60 फीसदी टिकट पुराने कार्यकर्ताओं को दिए जाएंगे, जबकि मात्र 6 पुराने कार्यकर्ताओं को टिकट दिए गए, बाकी टिकट मायावती की बसपा, कांग्रेस व अन्य पार्टी से आए धनबलियों को दिए गए। क्या कारण है कि पुराने कार्यकर्ताओं को हाशिये पर डाल दिया गया, कारण जनता भी जानती है।

संजय भट्ट ने तर्क देते हुए कहा कि आप की गलत नीतियों के चलते वरिष्ठ नेता रविन्द्र जुगरान, प्रवक्ता संजय भट्ट, प्रदेश प्रवक्ता राकेश काला, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष अनन्त राम चौहान, प्रदेश प्रवक्ता आशुतोष नेगी (पौड़ी), जिलाध्यक्ष पछुवादून गुरमेल राठौर, प्रदेश प्रवक्ता अवतार राणा (टिहरी), महानगर अध्यक्ष भूपेंद्र फारसी, जितेंद मलिक प्रदेश सचिव (रुड़की), दीपक सेलवान प्रदेश उपाध्यक्ष स्ष्ट प्रकोष्ठ, नवीन बिष्ट कैंट, संदीप नेगी संगठन मंत्री बद्रीनाथ, समेत दर्जनों पदाधिकारी आज घर बैठ गए या दूसरी पार्टियों की शरण में चले गए हैं। इसका प्रमुख कारण कुछ नेताओं की मिलीभगत है, जो अपने वर्चस्व के लिए पार्टी को गर्त में डुबाने का काम कर रहे हैं।

आज इस्तीफा देने वालों में प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट के साथ, धर्मपुर विधानसभा उपाध्यक्ष पप्पू यादव, धर्मपुर विधायक महासचिव राजू सिंह, समसुद्दीन खान, सन्नी पासवान, शिवमुनि आदि शामिल रहे।

बहरहाल, अब देखना यह होगा कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के चुनावी समर में रूठे नेताओं को मनाने को लेकर डैमेज कंट्रोल कर पाने में सफल हो पाती है या नहीं!

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