…क्या हुआ जब बिगड़ैल हाथी दौड़ पड़ा पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के वाहन पर!
मामचन्द शाह
अब गजराज है तो मदमस्त बेखौफ होकर कहीं भी आ-जा सकता है। उसके लिए क्या खास और क्या आम, उसका तराजू तो सबके लिए एक ही है। अब किसी खास की फ्लीट टूं-टूं-टूं-टूं बजा भी रही हो तो भला उसके कानों पर जूं थोड़े ही रेंगेंगे! वैसे भी वन्य जीव-जंतुओं के बसेरों को काटकर कंक्रीट के जंगल भी मानवजाति ने ही तो बनाए हैं। ऐसे में अब मानव-वन्य जीव संघर्ष जब-तब दिख जाता है तो इसमें आश्चर्य कहां!
ऐसे ही मानव-वन्य जीव संघर्ष की एक आंशिक झलक गत दिवस कोटद्वार-दुगड्डा मोटरमार्ग पर देखने को मिली। मामला पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Rawat) से जुड़ा हुआ है तो मीडिया की सुर्खियां बनना भी स्वाभाविक सी बात है। हालांकि टीआरपी के ट्रेंड में यदि मामला उनसे न भी जुड़ा होता तो सोशल मीडिया की सुर्खियां तो बनना ही था। हालांकि फर्क सिर्फ इतना है कि वीआईपी का संकट देख वन विभाग के कर्मियों के वाहन की द्रुतगति वाली स्पीड देखते ही बन रही थी। हां अगर आम जन की पुकार होती तो शायद कुछ और बात होती…!
वीडियो :
त्रिवेंद्र रावत के वाहन के आगे आया गजराज
दरअसल हुआ यूं कि एक सप्ताह पूर्व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Rawat) ने दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। अपनी 45 मिनट की मुलाकात के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री को प्रदेश की कई ज्वलंत समस्याओं से अवगत कराया था। पीएम ने उनकी बात को काफी गौर से सुना तो उनका प्रसन्न होना भी स्वाभाविक ही था।
देहरादून पहुंचते ही आत्मविश्वास से लवरेज पूर्व सीएम अगले दिन ही पहाड़ों के भ्रमण पर चले गए और भगवान बद्रीविशाल का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद चमोली के सीमांत रिमखिम बॉर्डर पोस्ट पहुंचकर आईटीबीपी के हिमवीरों से मुलाकात कर उनका उत्साहवर्धन किया। फिर वापस मुड़ते हुए कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और पौड़ी के खिर्सू में बने बासा होमस्टे पहुंचे। यहां से पौड़ी जनपद के प्रसिद्ध ज्वाल्पा देवी के धाम में पहुंचकर पूजा अर्चना की और प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की। इसके बाद अपना पैतृक निकटवर्ती बाजार सतपुली होते हुए गत शाम को दुगड्डा पहुंचे।
इसी दुगड्डा मार्केट से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत (Trivendra Rawat) का काफिला कोटद्वार की तरफ बढ ही रहा था कि बीच में एक बिगड़ैल हाथी अचानक उनके वाहन के आगे धमक गया। धमका क्या, यूं कहें कि परीक्षा लेने उनकी ओर बढने लगा तो शायद गलत नहीं होगा। यह देख वाहनों के चक्के अपनी जगह थम गए। देखते ही देखते उनके पीछे वाहनों की लंबी कतार लग गई।
प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि पहले तो पूर्व सीएम अपनी गाड़ी में ही बैठे रहे, किंतु जब हाथी आक्रामक होकर उनकी ओर बढऩे लगा तो त्रिवेंद्र रावत (Trivendra Rawat) भी उसका रुख भांप गए और तत्काल वाहन से उतरकर एक ऊंचे पत्थर वाले चट्टान पर चढ़ गए। उनके साथ चल रहे अन्य लोग भी वाहन छोड़ सुरक्षित जगह पर चले गए। इस दौरान वन कर्मियों को फोन किया गया। वीआईपी से जुड़ा मामला होने के चलते विभागीय कर्मी दु्रतगति से मौके पर पहुंचे और हवाई फायर व अन्य ट्रिक अपनाकर बिगड़ैल गजराज का रुख जंगल की ओर कर सके। तब जाकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत समेत सभी लोगों की जान में जान आई।
कुल मिलाकर उपरोक्त घटना ने दो सबक जिम्मेदार लोगों को दे दिए..
एक तो यह कि प्रदेश में जहां-जहां गजराज के आतंक से ग्रामीण जूझ रहे हैं, उनके लिए तत्काल सुरक्षा इंतजाम किए जाएं, ताकि उनकी जानमाल की सुरक्षा के साथ ही उनकी फसलों को बर्बाद होने से बचाया जा सके, ताकि वे लोग सरकार द्वारा चलाए जा रहे सरकारी राशन की बाट जोहने को मजबूर न हो सकें।
दूसरा यह कि वन क्षेत्रों में मानव द्वारा किए जा रहे अंधाधुंध कटान को जितना हो सके, सीमित किए जाने की दिशा में प्रयास हो।
इस घटना से सबक लेकर अब उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Rawat) जब अगली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने जाएंगे तो वह प्रदेश के आम जनमानस की ये पीड़ा न सिर्फ उनके समक्ष रखेंगे, बल्कि इसका समाधान करवाने में भी सफल होंगे!
…बाकी तो गजराज भी एक प्राणी है… उसको भी …!!!