जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 (Article 370) को निरस्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है अहम फैसला
मुख्यधारा डेस्क
देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट आज जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को निरस्त करने के खिलाफ दाखिल अर्जी पर फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर श्रीनगर से लेकर दिल्ली तक हलचल है। मामले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने सुनवाई की थी। सुनवाई 16 दिन चली थी। 5 सितंबर को सुनवाई खत्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आर्टिकल 370 पर 23 याचिकाएं दायर की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर 2 अगस्त से रेग्युलर सुनवाई शुरू हुई थी, जो 5 सितंबर तक चली। अब इसमें सुप्रीम कोर्ट 96 दिन बाद फैसला सुना सकता है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों की बहाली के लिए संविधान के अनुरूप शांतिपूर्ण तरीके से लड़ाई जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के प्रतिकूल फैसले की स्थिति में भी उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर में शांति भंग नहीं करेगी।
उमर ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना है। फैसला देने दीजिए। अगर हमें स्थिति बिगाड़नी होती तो हमने 2019 के बाद ही ऐसा किया होता। हमने तब भी कहा था और अब भी दोहराते हैं कि हमारी लड़ाई शांतिपूर्ण तरीके से संविधान के अनुरूप होगी। हम अपने अधिकारों की रक्षा और अपनी पहचान को सुरक्षित रखने के लिए संविधान और कानून की मदद ले रहे हैं।’
अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी के नेताओं को शनिवार रात से पुलिस थानों में बुलाया जा रहा है और डराया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को क्षेत्र के लोगों पर भरोसा करना चाहिए।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यह निर्णय ‘लोगों और देश के हितों के पक्ष में’ होने की संभावना नहीं है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा, मैंने पहले भी यह कहा है। केवल दो (संस्थाएं) हैं, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों को अनुच्छेद 370 और 35ए वापस कर सकती हैं और वे संस्थाएं संसद और सुप्रीम कोर्ट हैं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच निष्पक्ष है और उम्मीद है कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के पक्ष में फैसला देगी। भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा है कि इस बहुचर्चित मुद्दे पर सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए।
बता दें कि 5 अगस्त 2019 को संसद ने जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा खत्म करने का प्रस्ताव पास किया था। इसके साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का भी फैसला लिया गया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में 20 याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई।