पहाड़ में 300 शिक्षकों की वापसी का मामला एक बार फिर लटकने से नौनिहालों का भविष्य अधर में
उत्तराखंड राज्य गठन के 19 साल बाद भी आज तक पहाड़ की समस्याएं जस की तस बनी हुई है। विकास के बड़े बड़े दावे और वादे करने सरकार इसमे पूरी तरह फेल नजर आ रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी मूलभूत समस्याओं के चलते लोग पलायन करने को मजबूर हैं और सीमांत पर्वतीय छेत्र खाली हो रहे है।
पलायन की मार झेल रहा उत्तराखंड अब कराहने लगा है और सरकार आयोग बनाकर अपना पल्ला झाड़ रही हैं। ताज़ा मामला पूर्ववर्ती सरकार में आचार संहिता के समय पर्वतीय जनपदों से मैदानी जनपदों में नियम विरुद्ध ट्रांसफर होकर आए 500 शिक्षकों के उनके मूल तैनाती वाले जनपदों में वापसी का है, जिसमें उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा 26.10.2018 को आदेश दिया था कि स्थानांतरण एक्ट के अनुसार गम्भीर बीमार, दाम्पत्य नीति व पर्वतीय से पर्वतीय जनपदों में आये शिक्षकों को छोड़कर शेष सभी को उनके मूल तैनाती के जनपदों में तत्काल भेजा जाए। न्यायालय के आदेश की जद में आये ऐसे शिक्षकों की संख्या लगभग 200 बताई जा रही हैं, परन्तु लगभग एक साल बीतने के बाद भी प्रदेश की जीरो टॉलरेंस वाली डबल इंजन की सरकार राजनीतिक कारणों से आज तक इन शिक्षकों की वापसी नही कर पायी। ऐसा तब हो रहा है जब प्रदेश के मुखिया और शिक्षा मंत्री कई बार इनकी वापसी के आदेश जारी करने के निर्देश दे चुके है।
आखिर ऐसी क्या मजबूरी है, जिसके कारण फैसलों पर अमल नहीं हो रहा है। अभी हाल ही में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय द्वारा 17 सितम्बर को विभाग की समीक्षा बैठक में इस आदेश का अनुपालन करने के कड़े निर्देश सचिव शिक्षा आर. मीनाक्षी सुंदरम को दिये थे, लेकिन नतीजा फिर भी शिफर। राजनीतिक संरक्षण और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से बार बार कोई न कोई बहाना बनाकर रोक दिया जाता है।
सूत्रों के अनुसार अब पंचायत चुनाव के बहाने इन्हें एक बार फिर रोकने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि सरकार के बाकी सभी कार्य बादस्तूर जारी हैं। सरकार को पहाड़ की कितनी चिंता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है।
पलायन आयोग भी अपनी रिपोर्ट में कह चुका है कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण दिनोदिन पलायन हो रहा है। अब प्रदेश में छोटी सरकार का चुनाव होने जा रहा है, जिसमें स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा जाता है।
अब देखने वाली बात यही होगी कि प्रदेश की जनता पंचायत चुनाव में सरकार को इसका जवाब किस प्रकार देती है?