अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) पर चढ़ा होली का रंग, दोनों पर्व एक दिन पड़ने से उलझन में महिलाएं, किचन संभाले या अपना सबसे महत्वपूर्ण दिवस मनाएं
शंभू नाथ गौतम
इस बार 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के साथ रंगों का पर्व होली भी धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। वूमेन फेस्टिवल और रंगों का पर्व एक दिन पड़ने की वजह से महिलाएं कुछ असमंजस में है। होली का सुनते ही पकवान, पूड़ी कचौड़ी, खीर, दही-बड़े, पापड़ और सबसे महत्वपूर्ण त्योहार की शान गुझिया बनाई जाती है। खास बात यह है कि इन सब पकवानों को स्वादिष्ट एक महिला ही बना सकती है। अब महिला उधेड़बुन में है कि वह अपना सबसे बड़ा और सम्मान देने वाला पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया या किचन में जाकर होली के पकवान बनाएं। लेकिन समझदार नारी ने महिला दिवस और होली पर्व को एक साथ कैसे सेलिब्रेट करें सोच रखा है, यही आज की महिलाओं की समझदारी भी है।
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इस बार देश की महिलाएं कुछ उदास और असमंजस में भी हैं। पूरे साल में 8 मार्च की तारीख ऐसी होती है जिसमें महिलाएं चारदीवारी और चौका-चूल्हे से निकलकर अपना सबसे बड़ा पर्व ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ सेलिब्रेट करती हैं। इस दिन महिलाओं के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों का बखान भी किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर भारत समेत विश्व भर में कार्यक्रम धूमधाम के साथ आयोजित किए जाते हैं। लेकिन इस बार महिलाओं में असमंजस इसलिए है कि 8 मार्च को ही रंगों का पर्व होली भी पड़ रहा है। होली का त्योहार सुनते ही पकवान, पूड़ी कचौड़ी, खीर, दही-बड़े, पापड़ और सबसे महत्वपूर्ण होली की शान गुझिया बनाई जाती है। सबसे खास बात यह है कि इन सब पकवानों को स्वादिष्ट एक महिला ही बना सकती है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस बुधवार को पड़ रहा है। उसी दिन होली भी खेली जाएगी। अब महिला इस उधेड़बुन में है कि वह अपना सबसे बड़ा और सम्मान देने वाला पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया या किचन में जाकर होली के पकवान बनाएं। यह दिन महिलाओं को समर्पित है। घर की चारदीवारी के अंदर रहने वाली महिलाएं आज अपने देश ही नहीं विदेशों में भी अपना परचम लहरा रही हैं। इस दिन न केवल महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाती है बल्कि महिलाओं के लिए कई जरूरी कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
इंटरनेशनल वूमेंस डे और रंगों का पर्व होली साल में एक बार ही आते हैं। बिना गुझिया के होली का त्योहार अधूरा माना जाता है। इसी सब बातों को लेकर देश की महिलाएं कई दिनों से उलझी हुईं हैं। लेकिन समझदार नारी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और होली पर्व को एक साथ कैसे सेलिब्रेट करें यह भी सोच रखा है। यही आज की महिलाओं की समझदारी भी है। आज देश-विदेश में चाहे किसी भी क्षेत्र में महिलाएं तेजी के साथ आगे बढ़ रही हैं। अब वह समय नहीं रहा जब महिलाएं घर के काम और चौका-चूल्हा में ही सिमटी रहती थीं। मौजूदा समय में महिलाएं फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं। महिलाओं ने यह उपलब्धि अपने बल पर हासिल की है। महिलाओं को आगे बढ़ाने और समाज में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ही हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विश्व भर में मनाया जाता है। आइए जानते हैं इंटरनेशनल वुमन डे के बारे में। महिलाओं की उपलब्धियों को सराहने और उन्हें और ज्यादा सशक्त बनाने के लिए हर साल 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देशभर में अलग-अलग तरह के आयोजनों के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है।दुनिया के कई देशों की महिलाओं को लिंग भेद के कारण असमानता का सामना करना पड़ता है । पिछड़ी महिलाओं को समाज के प्रथम पायदान पर लाने और महिला अधिकारों के बारें में जागरूक करने के लिए अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं।
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समाज में जागरूकता और महिलाओं के अधिकार दिलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है यह दिवस
महिला दिवस को मनाने के पीछे साल 1908 में न्यूयॉर्क में हुई एक रैली का अहम योगदान है। दरअसल, इस साल न्यूयॉर्क में 12 से 15 हजार महिलाओं ने एक रैली का आयोजन किया था। रैली करने वाली इन महिलाओं की मांग थी कि उनकी नौकरी के कुछ घंटे कम किए जाए। साथ ही उन्हें वेतन भी उनके काम के मुताबिक दिया जाए। इसके साथ ही इन लोगों की यह भी मांग थी कि उन्हें वोट देने का भी अधिकार मिले। इस आंदोलन के एक साल बाद अमेरिका के सोशलिस्ट पार्टी ने पहले नेशनल वीमेन डे की घोषणा की थी। बाद में साल 1911 में डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, जर्मनी में पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सेलिब्रेट किया गया । अमेरिका में महिलाओं ने 8 मार्च को अपने अधिकारों को लेकर मार्च निकाला था। जिसके बाद अगले साल सोशलिस्ट पार्टी ने इसी दिन महिला दिवस मनाने की घोषणा कर दी।
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वहीं 1917 में पहले विश्व युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रेड और पीस के लिए हड़ताल शुरू की थी। उन्होंने भी युद्ध को लेकर अपनी मांग और विचार रखें। इसके बाद सम्राट निकोलस ने अपना पद त्याग दिया और महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। उनको मिले अधिकार को देखते हुए यूरोप में भी महिलाओं ने कुछ दिन बाद 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स का समर्थन करते हुए रैलियां निकाली। इसी वजह से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हो गई। इसके बाद 8 मार्च, 1975 को संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी।
यूनाइटेड नेशन की तरफ से जब 8 मार्च को महिला दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी, तो इसे एक खास थीम के साथ मनाया गया था। जब पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया, तो इसकी थीम ‘सेलिब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फॉर द फ्यूचर’ रखी गई थी। वहीं, बात करें इस साल की थीम की, तो इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के लिए थीम “डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी” तय की गई है। भले ही आज दुनिया के तमाम देश और हमारा समाज अधिक जागरूक है लेकिन महिलाओं के अधिकारों और हक की लड़ाई अभी भी जारी है। कई मामलों में महिलाओं को आज भी समान सम्मान और अधिकार नहीं मिले हैं। महिलाओं के इन्हीं अधिकार, सम्मान के लिए समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।