ज्ञानवापी केस: कोर्ट ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case) में सुनाया अहम फैसला, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सर्वे की मिली अनुमति
मुख्यधारा डेस्क
उत्तर प्रदेश में स्थित वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। वाराणसी की एक अदालत ने शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दे दी।
जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर की वैज्ञानिक विधि से जांच की मंदिर पक्ष की मांग स्वीकार की। अदालत का आदेश हिंदू पक्षों की उस याचिका पर आया है जिसमें अदालत के आदेश के माध्यम से सील किए गए हिस्से को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई द्वारा सर्वेक्षण कराने की मांग की गई थी। एएसआई इस सर्वे की रिपोर्ट जिला जज को 4 अगस्त को देगा।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “मुझे सूचित किया गया है कि मेरा आवेदन मंजूर कर लिया गया है और अदालत ने वाजू टैंक को छोड़कर, जिसे सील कर दिया गया है, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। सरकारी वकील राजेश मिश्रा के अनुसार, बैरिकेडेड ‘वज़ुखाना’, जहां हिंदू वादियों द्वारा ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया गया एक ढांचा मौजूद है, सर्वेक्षण का हिस्सा नहीं होगा।
ए के विश्वेश की अदालत ने हिंदू भक्तों के एक समूह की याचिका को बरकरार रखा, जिसमें यह निर्धारित करने के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग की गई थी कि मस्जिद हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी या नहीं। ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है और भगवान विश्वेश्वर की नियमित पूजा के इंतजाम किए जाएं।
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को लेकर चल रहा विवाद यह है कि इसमें हिंदू पक्ष ने मांग की थी कि पूरा ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए और मुस्लिमों का प्रवेश ज्ञानवापी में बंद किया जाए। इसके साथ ही हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद के गुंबद को ध्वस्त करने का आदेश दिया जाए। कोर्ट ने 14 जुलाई को हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हिंदू समूह द्वारा दायर याचिका में पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देश देने की मांग की गई थी। मुस्लिम पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि एएसआई सर्वेक्षण से परिसर को नुकसान हो सकता है।
कोर्ट कमिश्वर अजय मिश्रा ने इससे पहले 6-7 मई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया था। इसकी रिपोर्ट के अनुसार परिसर की दीवारों पर देवी-देवताओं की कलाकृति, कमल की कुछ कलाकृतियां और शेषनाग जैसी आकृति मिलने की बात कही गई थी। हालांकि इस रिपोर्ट में तहखाने को लेकर कुछ नहीं जानकारी बताई गई थी।
हिन्दू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी के नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है और भगवान विश्वेश्वर की नियमित पूजा के इंतजाम किए जाएं। मस्जिद परिसर को लेकर चल रहा विवाद यह है कि इसमें हिंदू पक्ष ने मांग की थी कि पूरा ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए और मुस्लिमों का प्रवेश ज्ञानवापी में बंद किया जाए। मस्जिद के गुंबद को ध्वस्त करने का आदेश दिया जाए।
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पहली बार मुकदमा 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किया गया था हालांकि इसका विवाद तब बढ़ा जब 18 अगस्त 2021 को 5 महिलाओं ने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजन और दर्शन की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।