अवैध खनन (Illegal mining) का खौफनाक खेल - Mukhyadhara

अवैध खनन (Illegal mining) का खौफनाक खेल

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अवैध खनन (Illegal mining) का खौफनाक खेल

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

देवभूमि उत्तराखंड में जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा राज्य को किसी तरह से भ्रटाचार मुक्त बनाने के दावे किए जाते हैं वहीं कुछ भ्रष्ट  अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदेश में धड़ल्ले से अवैध खनन का कारोबार किया जा रहा है प्रदेश की बड़ी नदियों से लेकर छोटी नदियों में दिन रात खनन का काम चल रहे हैं ऐसे खनन माफियाओं को प्रशासन का कोई भय नहीं रहा आखिर किसकी मिलीभगत से अवैध खनन के
कारोबार चल रहे हैं और तो और पिछले काफी समय से ऋषिकेश  हरिद्वार मां  गंगा नदी में से खनन माफियाओं द्वारा सरेआम खनन किया जा रहा है जबकि इन्ही गंगा घाटों पर दिन भर हजारों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं मां गंगा नदी के जिस स्थानों  से खनन का काम किया जा रहा है वहीं से कुछ दूरी पर ही पुलिस चौकी स्थित है उसके बावजूद इन खनन माफियाओं द्वारा सरेआम खनन किया जा रहा है

देहरादून जिले में स्थित थाना रायवाला क्षेत्र में पढ़ने वाले हरिपुर कलां के परमार्थ घाट गीता कुटीर के पास गंगा नदी से सुबह  पांच बजे से ही कई  घोड़े खच्चरों से रेता निकालने का काम शुरू हो जाता है जो कि दोपहर तक निकाला जाता है खनन कारोबारी घोड़े खच्चर से कई कुंतल रेता निकाल कर  हरिपुर कलां में ही अपने अड्डे पर इकठ्ठा कर रहे हैं जो कि दिन भर हजारों रुपए में बेचने का खेल शुरू हो जाता है इन खनन
माफियाओं के अड्डे से पुलिस कर्मियों का आना जाना लगा रहता है लेकिन ना जाने क्यों सब कुछ देखने के बावजूद इन खनन माफियाओं पर कार्यवाही नहीं की जाती प्रशाशन के उच्चअधिकारियों को ऐसे खनन माफियाओं  के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए जिससे देवभूमि उत्तराखंड में ऐसे खनन कारोबारियों पर नकेल कसी जा सके।

उत्तराखण्ड राज्य, विकास की नई ऊंचाईयों को छू रहा है। आए दिन सरकार राज्य की जनता के सामने अपने विकास को लेकर उन्हें यकीन दिला रही है कि उत्तराखण्ड विकास की राह पर किस तेजी से आगे बढ रहा हैै। हालांकि विकास की जो छवि जनता को दिखाई जा रही है, वह हकीकत से कितना इत्तफाक रखती है यह कहना बहुत मुश्किल है? उत्तराखण्ड का निर्माण हुए दो दशक से अधिक का समय बीत चुका लेकिन कुछ दुश्वारियों आज भी जस की तस बनी हुई है। अगर इन दुश्वारियों को रैंक के हिसाब से पिरोया जाए तो पहला स्थान अवैध खनन को ही हासिल होगा।

राज्य निर्माण के बाद से आज तक न जाने कितनी सरकारें आई और कितनी सरकारें गई लेकिन कोई भी सरकार अवैध खनन के गोरखधंधे को पूर्ण रूप से रोकने में सफल नहीं हो पाई। हां, इतना जरूर है कि जब कभी भी विभागीय अधिकारियों पर दबाव पड़ता है तो उनकी टीमें जरूर अवैध खनन से भरी कुछ गाड़ियों को पकड़कर यह जताने से पीछे नहीं हटती कि उन्होंने अवैध खनन पर कितनी बड़ी कार्रवाई की है। राज्य में अवैध खनन के काले कारोबार का फैलाव एक वायरस की तरह हो रहा जोकि धीरे-धीरे प्राकृतिक स्रोत से बहने वाली नदियों की हस्ती को मिटाने का कार्य कर रहा है। मौजूदा समय में तो आलम यह है कि अवैध खनन का खेल अब खौफनाक हो गया है। खनन माफिया बदमाशों की तर्ज पर तांडव मचाते हुए नजर आ रहे है।

बेलगामी और बेखौफी का आलम तो यह है कि यह खनन माफिया किसी भी पुलिसकर्मी या किसी आम आदमी पर खनन के वाहन चढ़ाने से भी पीछे नहीं हट रहे है? सरकार के खनन विभाग से लेकर उत्तराखण्ड पुलिस के आला अधिकारियों के पास दबंग कर्मचारियों की अच्छी खासी फौज मौजूद है लेकिन बावजूद इसके वे लगातार खुलेआम हो रही काले सोने की चोरी को रोकने में उनकी नाकामी किसी से छिपी नहीं है। ‘क्राइम स्टोरी’ लगातार खनन माफियाओं की पोल खोलता आ रहा है लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि न तो पुलिस और न ही खनन विभाग इसके खिलाफ कोई एक्शन लेने में रूचि दिखाते हुए नजर आते है? हां, अब इतना जरूर है कि दो दिन पूर्व कैंट कोतवाली क्षेत्र में हुई घटना के बाद पुलिस जरूर हरकत में आई है।

अब सवाल यह उठता है कि पुलिस तभी नींद से जागी जब उसके एक कर्मचारी पर हमला हुआ जबकि खनन माफिया तो लगातार नदियों का सीना चीर कर वहां से सरकार का काला सोना चुरा रहे है? सफेदपोशों और खनन माफियाओं के गठजोड़ की चर्चाएं उत्तराखण्ड में आम है। राज्य के किसी भी जनपद में जब भी अवैध खनन का मुद्दा प्रकाश में आया है तो उस गोरखधंधे को अंजाम देने वाले माफियाओं के साथ किसी न किसी सफेदपोश का भी धीमें से उठा ही है? यही वह गठजोड़ है जिसके चलते विकास की राह पर अग्रसर राज्य उत्तराखण्ड आज तक अवैध खनन के दानव से मुक्ति नहीं पा सका है। खनन माफियाओं के हौसलें अब इतने बुलंद हो चुके है कि वह जो काम छिपते छिपाते करते थे उसे अब वह बेखौफ होकर खुलेआम कर रहे है और तो और यदि कोई उनके रास्ते का रोड़ा बनने की कोशिश करता है तो वह उसे रास्ते से हटाने के लिए भी तैयार रहते है।

बता दें कि कैंट कोतवाली से कुछ किलोमीटर दूरी पर जैंतनवाला के समीप एक खननमाफिया ने कैंट कोतवाली के पुलिसकर्मी के ऊपर खनन सामग्री से भरा ट्रैक्टर चढ़ा दिया था। बताया जा रहा है कि इस घटना की गूंज सीएम दरबार तक जा पंहुची और मुख्यमंत्री ने स्वयं इसका संज्ञान लेते इस घटना पर कड़ी नारजगी जताई और पुलिस महानिदेशक को दोषियों परकड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद डीजीपी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को घटना में शामिल चारों आरोपित भाइयों को तत्काल गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। वहीं, डीजीपी के आदेश पर कैंट कोतवाली निरीक्षक को लाइन-हाजिर कर दिया गया।

बताया जा रहा है कि ट्रैक्टर-ट्राली चढ़ाने के आरोपित ट्रैक्टर चालक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अब उसके तीन भाइयों को तलाश रही है। चारों भाइयों पर अवैध खनन करने और सिपाही पर ट्रैक्टर ट्राली चढ़ाने का आरोप है। चारों के खिलाफ हत्या के प्रयास सहित अन्य संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। मात्र दो दिन के भीतर पुलिस के आला अधिकारियों ने जिस तेजी के साथ इस घटना में खुलासों को लेकर जो फुर्ती दिखाई है अगर ऐसी ही फुर्ती वे समूचे राज्य में चल रहा अवैध खनन के खिलाफ दिखा दें तो खनन माफियाओं के दिल में भी उनका डर स्थापित होगा लेकिन ऐसा कभी संभव हो पाएगा, इस सवाल को जवाब तो भविष्य के गर्भ में ही कैद है? उत्तराखंड में अवैध खनन का कारोबार खूब फल-फूल रहा है खनन माफिया नदियों का सीना चीर अवैध खनन को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक पूरे देहरादून जिले की नदियों में अवैध खनन के कारोबार में यूपी से आए लोग सलिप्त हैं। इनके साथ मजदूर भी… जानकारी के मुताबिक पूरे देहरादून जिले की नदियों में अवैध खनन के कारोबार में यूपी से आए लोग सलिप्त हैं। इनके साथ मजदूर भी हिमाचल बॉर्डर पर बहने वाली यमुना, कालसी, टोंस और आसन नदी क्षेत्रों में भी रात में अवैध खनन के लिए ट्रैक्टर, डंपर आते- आए लोग सलिप्त हैं। देश की सबसे बड़ी आडिट एजेंसी कैग की रिपोर्ट में उत्तराखंड में अवैध खनन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है।

रिपोर्ट में सामने आया है कि देहरादून जिले की तीन प्रमुख नदियों (सौंग, ढकरानी और कुल्हाल) से एंबुलेंस और शव वाहनों से भी अवैध खनन ढोया गया है। इसके साथ ही हजारों रवन्नों में सरकारी वाहनों के नंबर भी पाए गए हैं।

( लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

 

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