ग्राफिक एरा (graphic era) ने खोजी एक और क्रांतिकारी तकनीक, उद्योगों के पानी से अलग होंगे जहरीले रंग - Mukhyadhara

ग्राफिक एरा (graphic era) ने खोजी एक और क्रांतिकारी तकनीक, उद्योगों के पानी से अलग होंगे जहरीले रंग

admin
g 1

ग्राफिक एरा (graphic era) ने खोजी एक और क्रांतिकारी तकनीक, उद्योगों के पानी से अलग होंगे जहरीले रंग

देहरादून/मुख्यधारा

ग्राफिक एरा के वैज्ञानिकों ने गंगा और यमुना के जल को उद्योगों के जहरीले रंगों से बचाने की तकनीक खोज निकाली। इन वैज्ञानिकों ने नैनो सलूलोज से ऐसी छिल्ली बनाई है जो उद्योगों से निकलने वाले पानी से रंगों को अलग कर सकती है। केंद्र सरकार ने ये नई खोज पेटेंट के रूप में ग्राफिक एरा के नाम से दर्ज कर ली है।

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने जल प्रदूषण से निजात दिलाने वाला यह आविष्कार किया है। खास बात यह है कि प्रदूषण रोकने में क्रांतिकारी भूमिका निभाने वाली छिल्ली बनाने का यह काम गन्ने की खोई से किया गया है, जिसकी कीमत ना के बराबर है।

यह भी पढें : अच्छी खबर: सहकारिता विभाग (Cooperation Department) ने सभी जनपदों के एआर कोऑपरेटिव को दिया प्रशिक्षण

ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के रसायन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अभिलाषा मिश्रा व मैकेनिकल इंजीनियरिंग के शिक्षक डॉ ब्रिजेश प्रसाद और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विज्ञान विभाग की शिक्षिका रेखा गोस्वामी की टीम ने यह क्रांतिकारी आविष्कार किया है।

डॉ अभिलाषा मिश्रा ने बताया कि दो साल के लगातार प्रयासों के बाद टेनरी, टैक्सटाइल इंडस्ट्री आदि से निकलने वाले पानी में मौजूद खतरनाक रंगों को पानी से अलग करने की यह तकनीक खोजने में कामयाबी मिली है। इसके लिए वैज्ञानिकों के इस दल ने उद्योगों से निकलने वाले खतरनाक रासायनिक रंगों के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के साथ उन्हें पानी से अलग करने के लिए तमाम प्रयोग करने के बाद पाया कि एक विशेष तरह की छिल्ली (नैनो कम्पोजिट) में रंगों को सोखने की क्षमता है। गन्ने का रस निकालने के बाद बचने वाली खोई से तैयार की गई ऐसी नैनो कम्पोजिट को कई तरह के प्रयोगों और सुधारों के बाद इस दल ने उससे खतरनाक रंगों को पानी अलग करने की तकनीक विकसित कर ली।

यह भी पढें : भोले के गूंजे जयकारे: 2 महीने तक चलने वाली बाबा अमरनाथ यात्रा (Amaranth Yatra) आज से शुरू, यात्रियों का पहला जत्था गुफा की ओर रवाना

वैज्ञानिक रेखा गोस्वामी ने बताया कि इस नैनो कम्पोजिट के जरिये पानी से खतरनाक रंगों को ना सिर्फ अलग किया जा सकता है, बल्कि उन्हें दुबारा इस्तेमाल में भी लाया जा सकता है। इस तरह जहां एक ओर पानी को साफ किया जा सकेगा, वहीं रंगों को भी बार बार उपयोग में लाया जा सकेगा।

ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने इसे जल प्रदूषण रोकने की दिशा में एक बड़ी कामयाबी बताया। उन्होंने कहा कि टेनरी और टेक्सटाइल उद्योग से निकलने वाले जहरीले रंग कई राज्यों और औद्योगिक शहरों की एक बड़ी समस्या बन गए हैं। इस आविष्कार के जरिये कई दशकों से लगातार गहराती इस समस्या का निराकरण हो सकता है। उन्होंने इसके आविष्कारों को बधाई दी। केंद्र सरकार ने इस खोज का पेटेंट ग्राफिक एरा के नाम दर्ज कर लिया है।

यह भी पढें : कुशल नेतृत्व और उत्कृष्ट कार्य के लिए G-20 में सम्मिलित अधिकारी-कर्मचारियों को मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने किया सम्मानित

Next Post

उलटफेर : भारत में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप में इस बार नहीं दिखाई देगी वेस्टइंडीज (West Indies), 48 साल में पहली बार होगा ऐसा

उलटफेर : भारत में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप में इस बार नहीं दिखाई देगी वेस्टइंडीज (West Indies), 48 साल में पहली बार होगा ऐसा मुख्यधारा डेस्क  70 और 80 के दशक में क्रिकेट की दुनिया में वेस्टइंडीज सबसे पावरफुल […]
IMG 20230701 WA0077

यह भी पढ़े