Chardham yatra 2024 : चार धामों के कपाट खुलने शुरू हुई तैयारी, सीएम धामी श्रद्धालुओं का पुष्प वर्षा के साथ करेंगे स्वागत, इस बार यात्रा का बनेगा नया 'रिकॉर्ड' - Mukhyadhara

Chardham yatra 2024 : चार धामों के कपाट खुलने शुरू हुई तैयारी, सीएम धामी श्रद्धालुओं का पुष्प वर्षा के साथ करेंगे स्वागत, इस बार यात्रा का बनेगा नया ‘रिकॉर्ड’

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Chardham yatra 2024 : चार धामों के कपाट खुलने शुरू हुई तैयारी, सीएम धामी श्रद्धालुओं का पुष्प वर्षा के साथ करेंगे स्वागत, इस बार यात्रा का बनेगा नया ‘रिकॉर्ड’

(देवभूमि का सबसे बड़ा धार्मिक समारोह चार धाम यात्रा की तैयारी पूरी हो चुकी है। हर साल यहां पर देश विदेशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु सभी धामों के दर्शन करने आते हैं। 10 मई अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री, यमुनोत्री और केदानाथ धाम के कपाट एक साथ खुलेंगे। 12 मई को मोक्ष धाम बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। सिख धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 25 मई से खुलेंगे। धामी सरकार चार धाम यात्रियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा करके स्वागत करेगी। यात्रा को लेकर धामी सरकार खूब उत्साहित है। इस बार चार धाम यात्रा में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु पिछला सभी रिकॉर्ड तोड़ देंगे। अभी तक 19 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। 8 मई से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन सुविधा भी शुरू हो रही है।)

शंभू नाथ गौतम

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की सभी पांचों सीटों पर पहले चरण, 19 अप्रैल को मतदान हो चुके हैं। राजनीति के बाद अब देवभूमि का सबसे बड़ा धार्मिक समारोह चार धाम यात्रा की तैयारी पूरी हो चुकी है। जैसे लोकतंत्र में चुनावों का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है वैसे ही उत्तराखंड में धर्म के क्षेत्र में सबसे बड़ा त्योहार चार धाम यात्रा मानी जाती है। हर साल यहां पर देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन करने आते हैं। इस यात्रा से उत्तराखंड सरकार को राजस्व की भी अच्छी कमाई होती है।

इसके साथ प्रदेश के हजारों को रोजगार भी मिला हुआ है। जैसे होटल व्यवसाय, होमस्टे, बस, निजी टैक्सी, पूजा सामग्री की दुकानें, छोटे-मोटे दुकानदारों की चार धाम यात्रा के दौरान खूब कमाई होती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर पूरा प्रशासनिक अमला चार धाम की तैयारी में जुटा हुआ है। 5 दिनों बाद प्रदेश में चार धाम यात्रा शुरू हो रही है। एक सप्ताह के भीतर सभी धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए छह माह तक पूरे रीति रिवाज के साथ खुल जाएंगे। चार धाम कपाट के खुलने को लेकर उत्तराखंड में उत्साह का माहौल है। चार धाम से जुड़े व्यवसायियों और दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं।

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चार धाम के आसपास और यात्रा मार्गों पर दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें सजाने लगे हैं। कोविड काल के बाद चार धाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। साल 2024 की चार धाम यात्रा को लेकर धामी सरकार खूब उत्साहित है। इस बार चार धाम यात्रा में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु पिछला सभी रिकॉर्ड तोड़ देंगे। अभी तक चार धाम के लिए 19 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। 10 मई को अक्षय तृतीया है।

अक्षय तृतीया को सनातन धर्म में शुभ कार्यों के लिए विशेष माना जाता है। 10 मई को गंगोत्री, यमुनोत्री और केदानाथ धाम के कपाट एक साथ खुलेंगे। 12 मई को मोक्ष धाम बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। सिख धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 25 मई से खुलेंगे।

शनिवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा 10 मई से शुरू हो जाएगी। इसी दिन केदारनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं। यात्रा की तैयारियों की भी समीक्षा की गई है। सभी विभागों ने इसको लेकर अपनी-अपनी भूमिका तैयार कर ली है।

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देवभूमि उत्तराखंड में देश-दुनिया से लोग आते हैं। इसके लिए सड़कें अच्छी हों, इसलिए तमाम बातों पर चर्चा हुई। हर साल की तरह इस साल भी, भक्तों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाएगी। बता दें कि 15 अप्रैल से 3 मई तक चार धाम यात्रा के लिए ऑनलाइन माध्यम से पंजीकरण कराया गया है।

इस साल अभी तक सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन श्रद्धालुओं ने केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए कराया है। 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने इस धाम में दर्शन के लिए पंजीकरण कराया है। केदारनाथ धाम के दर्शन श्रद्धालु पैदल कर सकते हैं या फिर घोड़े या पालकी से भगवान शिव के इस मंदिर तक जा सकते हैं।

इस मंदिर तक चढ़ाई बेहद मुश्किल है जिस कारण श्रद्धालु घोड़े या पालकी का सहारा लेते हैं। इसके अलावा श्रद्धालु पहले से ही हेलीकॉप्टर बुक कराकर केदारनाथ धाम तक जा सकते हैं और दर्शन कर सकते हैं।

चार धाम के लिए 3 मई तक 19,25,617 पंजीकरण हुए हैं। इनमें केदारनाथ धाम के लिए 6,68,356, बदरीनाथ धाम 5,67,903, गंगोत्री धाम के लिए 3,47,061 और यमुनोत्री धाम के लिए 3,06,587 पंजीकरण ऑनलाइन माध्यम से हुए हैं। जबकि हेमकुंड साहिब के लिए 3,5,710 श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है।

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वहीं, 8 मई से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पर्यटन विभाग ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था भी शुरू होने जा रही है। जिन श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कराया है, वे 8 मई से हरिद्वार और ऋषिकेश में ऑफलाइन पंजीकरण करवा सकते हैं।

हरिद्वार में राही मोटल तथा और ऋषिकेश में यात्री पंजीकरण कार्यालय व ट्रांजिट कैंप में श्रद्धालु ऑफलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। प्रत्येक धाम के लिए प्रतिदिन ऑफलाइन पंजीकरण की संख्या ऋषिकेश में 1000 और हरिद्वार में 500 निर्धारित की गई है। श्रद्धालु चारों धामों की यात्रा के लिए पंजीकरण काउंटरों पर अधिकतम तीन दिनों के लिए पंजीकरण करवा सकते हैं।

धामी सरकार ने चारों धामों में श्रद्धालुओं की प्रतिदिन दर्शन की संख्या सीमित की

इस बार चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं के आने का आंकड़ा एक करोड़ के आसपास पहुंच सकता है। (यह एक अनुमान है) अभी तक चारधाम यात्रा के रजिस्ट्रेशन का आंकड़ा 19 लाख के पार पहुंच गया है जो कि पिछले साल से तुलना करने पर अपने आप में नया रिकॉर्ड है। वैसे भी इस साल पर्यटन विभाग और सरकार ने चारधाम यात्रा में नये रिकॉर्ड कायम होने की उम्मीद जताई है। पिछले साल 56 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा की थी।

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तीर्थयात्रियों के पंजीकरण की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकार ने चारों धामों में प्रतिदिन दर्शन की संख्या सीमित की है। इनमें केदारनाथ में 18,000, बदरीनाथ धाम में 20,000, गंगोत्री में 11,000 और यमुनोत्री धाम में 9,000 तीर्थयात्री प्रतिदिन दर्शन कर सकेंगे। हालांकि चार धाम होटल एसोसिएशन इस फैसले के विरोध में उतर आया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरी का कहना है कि इससे व्यापार कम होगा।

उत्तरकाशी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र मटूड़ा के मुताबिक राज्य की अर्थव्यवस्था पर्यटन और तीर्थाटन पर टिकी हुई है। छह माह के सीजन में भी अगर संख्या सीमित कर दी जाएगी तो कारोबार प्रभावित होगा। वहीं बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी श्रद्धालु चारधाम यात्रा नहीं कर पाएगा। श्रद्धालु चारधाम यात्रा के लिए ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। शासन और प्रशासन की तरफ से चारधाम यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। तीर्थयात्रियों के इस उत्साह को देखते हुए शासन और प्रशासन में खुशी की लहर है।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भी चारधाम यात्रा की तैयारियां का जायजा लिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सभी राज्यों को कहा गया है कि वे शुरुआती 15 दिन तक कोई भी वीवीआईपी चारधाम यात्रा के लिए न भेजें। उन्होंने कहा कि अभी चारधाम में संख्या निर्धारित करने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। फिलहाल चारों धाम में यात्रा प्रबंधन के लिए टोकन सिस्टम चलेगा। अब जानते हैं चारों धामों के बारे में। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित मंदिर है। यह नर-नारायण दो पहाड़ों के बीच बना हुआ है। इस क्षेत्र को बदरीवन कहते हैं। इस मंदिर के पुजारी को रावल कहते हैं। रावल आदि गुरु शंकराचार्य के कुंटुंब से ही होते हैं। केरल के नंबूदरी पुजारी ही यहां पूजा करते हैं।

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केदारनाथ धाम में बदरीवन में विष्णु जी के अवतार नर-नारायण ने यहां पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी। नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए। शिव जी ने नर-नारायण से वर मांगने को कहा तो उन्होंने वर मांगा कि आप हमेशा इसी क्षेत्र में वास करें। शिव जी ने वर देते हुए कहा कि अब से वे यहीं रहेंगे और ये क्षेत्र केदार क्षेत्र के नाम से जाना जाएगा। इसके बाद शिव जी ज्योति स्वरूप में यहां स्थित शिवलिंग में समा गए। गंगोत्री में गंगा नदी का मंदिर है। गंगा नदी का उद्गम गोमुख है और गंगोत्री में गंगा देवी की पूजा की जाती है। गंगोत्री के पास वह जगह है, जहां राजा भगीरथ ने देवी गंगा को धरती पर लाने के लिए तप किया था। यमनोत्री, यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। यहां देवी यमुना की पूजा की जाती है। यमुनोत्री मंदिर के बारे में कहा जाता है कि टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रतापशाह ने देवी यमुना का मंदिर बनवाया था। बाद में मंदिर का पुनः निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया ने करवाया था। यमुना नदी का वास्तविक स्रोत जमी हुई बर्फ की एक झील और हिमनंद (चंपासर ग्लेशियर) है। इन सभी चारों धामों के कपाट शीतकालीन छह महीने के लिए अक्टूबर-नवंबर महीने में बंद कर दिए जाते हैं। हर साल अप्रैल-मई के महीने में चारों धामों के कपाट पूरे विधि विधान के साथ खोले जाते हैं।

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