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हरिद्वार में चल रहे प्रज्ञा प्रवाह के पश्चिम उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड क्षेत्र का दो दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग संपन्न

admin
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हरिद्वार में चल रहे प्रज्ञा प्रवाह के पश्चिम उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड क्षेत्र का दो दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग संपन्न

हरिद्वार/मुख्यधारा

हरिद्वार के कांगड़ी क्षेत्र में स्थित जूना अखाड़ा के श्री प्रेम गिरि धाम में चल रहे प्रज्ञा प्रवाह के पश्चिम उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड क्षेत्र का दो दिवसीय क्षेत्र अभ्यास वर्ग रविवार को सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।

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प्रज्ञा प्रवाह विभिन्न राज्य स्तरीय संगठनों के माध्यम से काम करता है। जिसके प्रत्येक राज्य में अलग-अलग नाम हैं। उत्तराखंड में यह “देवभूमि विचार मंच” व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ इकाई “भारतीय प्रज्ञान परिषद” एवं ब्रज इकाई “प्रज्ञा परिषद” के नाम से संगठित है। प्रज्ञा प्रवाह की देश के विभिन्न प्रदेशों के सैकड़ों विश्वविद्यालयों में, जिला एवं मण्डल सत्र पर शाखाएं हैं। प्रज्ञा प्रवाह नियमित रूप से प्रशिक्षण सत्र और सम्मेलन आयोजित करता है व दो वर्ष में एक “लोक मंथन” आयोजित करता है।

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अभ्यास वर्ग के संदर्भ में

हरिद्वार के कांगड़ी क्षेत्र में स्थित जूना अखाड़ा के श्री प्रेम गिरि धाम में चल रहे प्रज्ञा प्रवाह के पश्चिम उत्तर प्रदेश -उत्तराखंड क्षेत्र का दो दिवसीय क्षेत्र अभ्यास वर्ग आज पूर्ण हो गया। उक्त अभ्यास वर्ग का आरम्भ 14 सितम्बर को प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे नंदकुमार के द्वारा किया गया शुभारम् उद्बोधन में जे नंदकुमार ने प्रज्ञा प्रवाह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में बताया।

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प्रज्ञा प्रवाह एक बौद्धिक आंदोलन है,यह एक ऐसा मंच है, जो समाज में भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। यह मंच भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं, जिसमें कला, दर्शन, साहित्य, अध्यात्म और सामाजिक विज्ञान शामिल हैं, से जुड़ा हुआ है। इसका उद्देश्य विद्वानों, बुद्धिजीवियों और उत्साही लोगों के लिए इन विषयों का पता लगाने और चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में काम करना है। इसकी स्थापना 1987 के दशक की शुरुआत में हुई थी। प्रज्ञा प्रवाह का उद्देश्य भारत सम्बंधित वर्तमान भारत की सोच को बदलना है। भारत एक पुरातन राष्ट्र है,भारत एक है,एक संस्कृति है,एक समाज है, एक राष्ट्र है।

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प्रशिक्षण वर्ग कुल 7 सत्रों में आयोजित किया गया। द्वितीय सत्र में श्रीमान रामाशीष जी, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य, ने हिंदुत्व, स्व. व भारत की अवधारणा विषय पर कहा कि भारतवर्ष को अनेक प्राचीन नाम से जाना जाता था जिनमे अजनाभ वर्ष तथा नाभि वर्ष नाम भारतवर्ष नाम स्थापित होने से पूर्व पुकारे जाते थे। भागवत गीता में भी श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को भारत नाम से पुकारा गया है। भारत का विचार सृष्टि एवं प्रकृति से जुडा हुआ है जिसे अलग करके नहीं देखा जा सकता है।

प्रज्ञा प्रवाह पश्चिम उत्तरप्रदेश के क्षेत्र संयोजक श्रीमान देवराज सिंह ने कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी जागरण, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, एवं नागरिक कर्तव्य के बारे में चर्चा की। वर्ग के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में प्रख्यात स्तम्भ लेखक विकास सारस्वत ने देश समाज की वर्तमान चुनौतियों मजहबी,राजनीतिक तथा आर्थिक विचारों जैसी चुनौतियों पर विस्तार से बात रखते हुये देश में धर्म परिवर्तन,अतिवादी मजहबी ताकतों के चेहरे से नकाब हटाने काम किया।

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महाराष्ट्र से अभ्यास वर्ग में पधारे पूर्व अखिल भारतीय संयोजक प्रज्ञा प्रवाह एवं अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो सदानंद दामोदर सप्रे ने प्रज्ञा प्रवाह के आयामो के बारे में चर्चा करते हुये उनके द्वारा किये जाने वाले कार्यों पर वर्ग में आये कार्यकर्ताओ का मार्गदर्शन किया। इसके पश्चात् पूर्व एवं पश्चिम उत्तर प्रदेश (उत्तराखंड ) क्षेत्र के संयोजक भगवती प्रसाद राघव ने प्रज्ञा प्रवाह के विभिन्न आयामों की आगामी कार्य योजना एवं लक्ष्य के बारे कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा की। साथ इस वर्ष 21से 24 नवंबर तक “भाग्यनगर” में प्रस्तावित” लोक मंथन 2024″ के आयोजन को लेकर भी कार्यकर्ताओ को बताया है। वर्ग के अंत में अखिल भारतीय सह संयोजक प्रज्ञा प्रवाह द्वारा प्रश्नोत्तर सत्र वर्ग में आये कार्यकर्ताओ की जिज्ञासा का समाधान करने का प्रयास किया गया, जिसमें समाज में गलत नैरेटिव से भारतीय परम्पराओं को पहुचाये जा रहे नुकसान पर चर्चा की।

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